नई दिल्ली: पाकिस्तान में चुनाव हुए दो दिन बीत चुके हैं, लेकिन नई सरकार की तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो पाई है. अगला पीएम कौन होगा इस पर सस्पेंस बरकरार है. जेल में रहने के बावजूद पाकिस्तानी राजनीति में इमरान खान का करिश्मा बरकरार है और चुनाव नतीजे भी इसकी गवाही दे चुके हैं. इमरान भले ही संख्या बल में आगे हों, लेकिन नवाज सेना की मदद से जनादेश का खेल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. सेना की मंजूरी के बाद पाकिस्तान में गठबंधन सरकार की कवायद तेज हो गई है.
पाकिस्तान के इस पूरे सियासी समीकरण में बिलावल भुट्टो किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं. बिलावल के पीपीपी गठबंधन के बिना नवाज का सत्ता के सिंहासन पर चढ़ने का सपना टूट सकता है। सूत्रों के मुताबिक बिलावल भुट्टो इस बार किंगमेकर नहीं बल्कि किंग की भूमिका निभाना चाहते हैं. हालाँकि सेना ही पाकिस्तान का आखिरी सच है. कहा जा रहा है कि इस बार सेना की पर्ची में नवाज शरीफ की ताजपोशी तय है. ऐसे में नवाज का पलड़ा बिलावल पर भारी पड़ सकता है.
पाकिस्तान की 265 में से 255 सीटों के नतीजे आ गए हैं. इमरान खान की पीटीआई समर्थित 101 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. वहीं नवाज शरीफ की पीएमएलएन को 77 सीटें मिली हैं. तीसरे स्थान पर बिलावल भुट्टो की पीपीपी है, जिसने अब तक 54 सीटें जीती हैं. इसके बाद चौथे नंबर पर अल्ताफ हुसैन की एमक्यूएम-पी है, जिसके पास 17 सीटें हैं.
जीतकर भी कैसे हार गए इमरान खान?
एक तरफ पाकिस्तान में सैन्य सरकार अपने नए मोहरे को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाने की तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ पूरे पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थन में नया माहौल बन रहा है क्योंकि इमरान हार चुके हैं जीतने के बाद भी. मतलब साफ है कि पाकिस्तान में वही हो रहा है जो सेना प्रमुख मुनीर चाहते थे.
सेना ने गाजर और डंडे से इमरान खान को अपनी गुगली में फंसा लिया है. नवाज शरीफ के निर्देशानुसार शाहबाज शरीफ ने बिलावल भुट्टो के पिता आसिफ अली जरदारी और मौलाना फजलुर रहमान से मुलाकात की. संभव है कि नवाज की पार्टी पीएमएल-एन और बिलावल की पार्टी पीपीपी मिलकर नई सरकार बनाएं। यानी पाकिस्तानी पॉलिटिकल लीग में शतक लगाने के बावजूद इमरान खान मैच हार गए हैं.
सरकार बनाने का गणित
नतीजों से साफ है कि किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, इसलिए अब सभी पार्टियां सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ में जुट गई हैं. नवाज शरीफ किसी भी कीमत पर सरकार बनाने की कोशिश में हैं, जबकि बिलावल गद्दी पर बैठना चाहते हैं. तो सरकार बनाने का गणित क्या हो सकता है?
पाकिस्तान में नई सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को नेशनल असेंबली की 265 सीटों में से 133 सीटें जीतना जरूरी है, लेकिन कोई भी पार्टी अपने दम पर इस आंकड़े को नहीं छू पाई है. ऐसे में नवाज की मुस्लिम लीग और बिलावल की पीपुल्स पार्टी एक साथ आकर सरकार बनाने को तैयार हैं.
अब तक नवाज की पीएमएल-एन ने 73 सीटें जीती हैं, जबकि बिलावल की पीपीपी ने 54 सीटें जीती हैं। वहीं, फजलुर रहमान की JUI-F को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली है. गठबंधन के बाद कुल सीटों की संख्या 129 है और बहुमत के लिए 133 सीटों की जरूरत है. इसलिए 5 सीटों की और जरूरत है, जबकि 10 सीटों के नतीजे अभी आने बाकी हैं.
अब अगर गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो उन्हें निर्दलीय उम्मीदवारों की जरूरत पड़ेगी. नवाज शरीफ ने इसके लिए पहले से ही तैयारी कर ली है. पूरे नतीजे आने से पहले ही वह जनता के बीच पहुंच गए और इमरान समर्थित उम्मीदवारों को लुभाने की कोशिश में लग गए.
इमरान खान से कहां गलती हुई?
पीएमएलएन और पीपीपी की उम्मीदों के उलट इमरान के समर्थक बेहद खुश हैं और मीम्स के जरिए नवाज और बिलावल का मजाक उड़ा रहे हैं. भले ही इमरान जेल में हैं, लेकिन उनकी पार्टी पीटीआई का दावा है कि इमरान खान ही पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री का फैसला करेंगे. पीटीआई दावा कर सकती है कि पीएम इमरान खान फैसला करेंगे, लेकिन यह तय है कि पाकिस्तान में सेना पीटीआई की उम्मीदों पर पानी फेर देगी, क्योंकि इमरान और सेना फिलहाल कट्टर दुश्मन हैं।
पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात
जहां नवाज और बिलावल सरकार बनाने की कोशिश में जुटे हैं, वहीं नतीजों के बाद पाकिस्तान में उबाल शुरू हो गया है। इमरान खान के समर्थक सड़कों पर हैं और सेना को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं. अब सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान में चुनाव का नतीजा गृह युद्ध है, क्योंकि चुनाव से पहले पाकिस्तान के लिए जो दावा किया गया था वो सच होता दिख रहा है.
धांधली के वीडियो सामने आए हैं. नतीजों के बाद हिंसा की तस्वीरें सामने आई हैं, जो भविष्यवाणी को सच साबित कर रही हैं. इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप ने चुनाव से पहले दावा किया था कि अगर चुनाव में धांधली हुई तो पाकिस्तान में गृह युद्ध छिड़ सकता है.