तकनीकी क्षेत्र में नौकरी तलाश रहे लोगों को नए साल का झटका लग सकता है। गूगल, फेसबुक, फेसबुक और एपल समेत दुनिया के छह दिग्गज टेक निर्माता भारत में नए नियुक्तियों पर रोक लगाने की योजना बना रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक (मेटा मंच), यूजर, एपल, माइक्रोसॉफ्ट, यूजर और गूगल की ओर से पोस्टिंग में भारी गिरावट आई है।
2022 से तुलना करें तो इस साल भारत में जॉब ऑफर के मामले में 90 प्रतिशत की गिरावट आई है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इन किसानों को भारत में नई भर्तियों पर रोक लग सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोसायटी में एक्टिविस्ट थिएटर का किरदार सिर्फ 200 है। यह आंकड़ा इससे पहले वाली एक्टिव हैएरिंग से 98% कम है। भारतीयों में यह स्थिरता ऐसे समय में आई है जब टेक अर्थशास्त्री वैश्विक आर्थिक मंदी के साथ जुड़ रहे हैं।
चौथी तिमाही में कंपनी ने जो कहा, वही किया
हैयरिंग के आंकड़े कंपनी के अधिकारियों ने अपने मॉनिटर्स की घोषणा करते हुए समय-समय पर दिए गए सुपरमार्केट के स्टोर्स की घोषणा की है, खैर ही तीसरी तिमाही एक मजबूत हैयरिंग होटल है। मेटा के मुख्य निर्देशक डेब वेनर ने कहा था कि काम को बेहतर तरीके से करने के लिए कई तरह के बदलाव किए जाएंगे और काम काफी धीमा होगा। कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के मुताबिक, 2023 के अंत तक कंपनी का आकार मौजूदा के बराबर या फिर छोटा हो सकता है। मेटा के शेयर होल्ड अल्टीमीटर कैपिटल द्वारा कहा गया है कि सिलिकॉन वैली के गूगल से लेकर मेटा, ट्वीट, रिटार्यड जैसी कंपनियां काफी कम लोगों की संख्या के साथ-साथ लगभग अभी भी नतीजे हासिल करने में सक्षम हैं।
अलग-अलग मीडिया मठाधीश का कहना है कि मेटा, चार्जर, अल्फाबेट और माइक्रोसॉफ्ट में भी लोगों की संख्या कम हो रही है। अन्य सीएफओ ब्रायन ओलासाव्स्की ने कहा कि वे कुछ बिजनेस में भर्ती पर रोक पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि बिक्री में वृद्धि काफी कम है। तीसरी तिमाही की समस्याओं के अगले मतलब चौथी तिमाही तक भी रहने का ख़तरा है।
भारतीय टेक कंपनी पर असर
ऐसा नहीं है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स की ग्रोथ धीमी हो रही है या फिर रुक रही है। भारतीय बड़े उद्योगपति भी पिछले काफी समय से बिल्कुल अज्ञात सिक्कों का सामना कर रहे हैं, जो विदेशी कंपनियों के सामने हैं। पिछले साल भारतीय क्रिकेटरों ने भी हैरिंग की गति धीमी कर दी थी। मॉन्स्टर डॉट कॉम के सीईओ शेखर गरिसा ने मनीकंट्रोल को बताया कि सर्विस कंपनी और प्रोडक्ट्स कंपनी में काम करने वाली प्रतिभा शायद कभी-कभी इंटरसेक्ट करती है। यही कारण है कि बड़ी टेक की प्रगति में मंदी से भारतीय आईटी सेवा निगम को सीधे तौर पर लाभ होने की संभावना नहीं है।