हेमंत सोरेन बेल: झारखंड (Jharkhand) के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन शुक्रवार (28 जून) को रांची की बिरसा मुंडा जेल से बाहर आ गए हैं। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन (Kalpana Soren) ने हेमंत को रिसीव किया। जेल के बाहर कर्मचारियों ने उनका औपचारिक स्वागत किया। जेल से जब हेमंत सोरेन बाहर निकले तो वह अपनी बड़ी ईमानदारी के साथ आत्मविश्वास से लबरेज दिखी। जेल से बाहर आकर हेमंत सोरेन ने दाने का पात्र स्वीकार कर लिया।
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बता दें कि शुक्रवार सुबह जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) से उन्हें जमानत दे दी गई थी। जमानत देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल होने के ठोस सबूत नहीं मिले हैं।
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इससे पहले सोरेन की जमानत याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 13 जून को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों ने 27 मई को झारखंड उच्च न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दायर की थी।
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ईडी ने हाई कोर्ट में किया था ये दावा
ईडी ने हाई कोर्ट में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य पेश किए थे। कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया था कि हेमंत सोरेन ने बड़गाई की 8.5 एकड़ जमीन पर कब्जे के लिए अधिकारियों से भी मदद ली थी। ईडी ने दावा किया है कि बड़गाई के राजस्व कर्मी भानु प्रताप और उनके प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद के खिलाफ ईडी के दावे की पुष्टि की गई है।
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हेमंत सोरेन का क्या दावा है?
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा था कि ग्राउंड छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत “भुईंहरी” नेचर की है। यह किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। इस भूमि का नाम लीज राजकुमार पाहन के नाम पर है। इससे हेमंत सोरेन का कोई संबंध नहीं है।
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अंतरिम जमानत के लिए SC पहुंचे सोरेन
राष्ट्रीय चुनाव के दौरान हेमंत सोरेन अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। हालांकि कोर्ट ने सोरेन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था क्योंकि सोरेन ने याचिका में यह खुलासा नहीं किया कि ट्रायल कोर्ट ने मामले में आरोपपत्र पर विचार किया है। ईडी ने दलील दी थी कि अगर हेमंत सोरेन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो जेल में बंद सभी नेता जमानत की मांग करेंगे।
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