नई दिल्ली। दूरसंचार अधिनियम 2023 को 26 जून से लागू किया जाएगा। यह अधिनियम पिछले साल दिसंबर में संसद से पारित हो गया था। नए टेलीकॉम एक्ट में अगर किसी व्यक्ति के आधार कार्ड से 9 से ज्यादा सिम कार्ड जारी हुआ है तो उसे पहले गलती के लिए 50 हजार रुपए और दूसरे गलती के लिए 2 लाख रुपए तक की गलती लगाई जा सकती है।
दूरसंचार सचिव नीरज मित्तल ने कहा है कि नया नियम 150 साल पुराने टेलीग्राफ अधिनियम को रिप्लेस करेगा। नया कानून दूरसंचार क्षेत्र और प्रौद्योगिकी में तकनीकी उन्नति की वजह से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 और भारतीय वायरलेस टेलीग्राफ अधिनियम, 1933 जैसे मौजूदा नियमों को रद्द कर दिया गया है। कर दिया. पीएम मोदी नोटिफिकेशंस के अनुसार नए अधिनियम के कई सेक्शन 1, 2, 10 से 30, 42 से 44, 46, 47, 50 से 58, 61 और 62 के प्रावधान लागू होंगे।
बता दें कि अभी केंद्र सरकार ने इस दूरसंचार अधिनियम के कुछ खंड को ही लागू करने का फैसला किया है। इस क्षेत्र में मोबाइल और सुविधाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखा जाएगा। वहीं, स्पेक्ट्रम के स्विच, वीपीएन सेवा आदि से जुड़े सेक्शन अभी लागू नहीं होंगे।
नए टेलीकॉम अधिनियम की बड़ी बातें
मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए नए टेलीकॉम अधिनियम में कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिससे यूजर की आईडी और सिम कार्ड का गलत इस्तेमाल नहीं किया जा सका। नए टेलीकॉम अधिनियम में सिम कार्ड और उपयोगकर्ता की पहचान का गलत इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति या संस्था पर भारी जुर्माना लगाया गया है। साथ ही, फर्जी को जेल की सजा भी हो सकती है। अगर, कोई फर्जी तरीके से सेव के आईडी का इस्तेमाल सिम कार्ड खरीदने के लिए करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। या फिर जेल और फाइन दोनों लगाया जा सकता है. इसमें सिम कार्ड स्पूफिंग वेबसाइट रिसीवर से अपनी पहचान छिपाना भी शामिल है।
टेलीकॉम कम्पनियों को नए अधिनियम के तहत उपयोगकर्ता की पहचान केवल बायोमैट्रिक आधारित पहचान (आधार कार्ड से लिंक) के माध्यम से सत्यापित करना होगा। यह नियम अपराधी को वोटर आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस का गलत इस्तेमाल करके सिम कार्ड जारी करने से रोकेगा।
नए नियम में टेलीकॉम कंपनियों को एडवरटाइजिंग मैसेज या स्पेसिफाइड मैसेज रिसीव करने का कंसेंट फॉर्म कनेक्शन लेने से पहले भरना होगा। इसके अलावा टेलीकॉम कंपनियों को आपके लिए DND (डू-नॉट-डिस्टर्ब) सेवा रजिस्टर करने का विकल्प देना होगा। साथ ही, उपयोगकर्ताओं को मैसेज या वायरस को रिपोर्ट करने का विकल्प मिलना चाहिए। इसके अलावा, टेलीकॉम ऑपरेटरों को शिकायतों के लिए ऑनलाइन रजिस्टर करने के लिए शिकायतों या शिकायतों को दर्ज करना भी आवश्यक होगा।
केन्द्र सरकार किसी भी टेलीकॉम कंपनी को केवल नीलामी के माध्यम से ही स्पेक्ट्रम आवंटन कर सकती है। हालांकि, इसके लिए कुछ अपवाद भी हैं जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा अनुसंधान कार्य, डिजास्टर प्रबंधन, व्यापक पूर्वानुमान, परिवहन, दूरसंचार सेवाएं जैसे डीटीएच और दूरसंचार, बीएसएनएल, एमटीएनएल, सार्वजनिक प्रसारण सेवाएं आदि शामिल हैं। इनके लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन दस्तावेज़ीकरण आधार पर किया जा सकता है।
ट्राई के चेयरमैन को केवल उन्हें नियुक्त किया जा सकता है, जिनके पास कम से कम 30 साल का प्रोफेशनल अनुभव और सदस्यों के तौर पर 25 साल का प्रोफेशनल अनुभव होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों को देखते हुए टेलीकॉम कंपनियों को अपने उपकरणों को केवल सरकार की ओर से पहचाने जाने वाले विश्वसनीय स्रोत से ही लेना होगा।
किसी की अनुमति के बिना दूरसंचार सेवा प्रदान करना या फिर बिना किसी की अनुमति के दूरसंचार नेटवर्क या डेटा एक्सेसरीज़ करना, कॉल करना आदि अपराध माना जाएगा। इसके लिए तीन साल की कठोर सजा और 2 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। नियमों का उल्लंघन करने पर सिविल पैनल लगाए जाने का प्रावधान है, जिसमें 5 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
कस्टम-बिल्ट सिम बॉक्स, सेशन इनिशिएशन प्रोटोकॉल (एसआईपी) ट्रंक कॉल डिवाइस और प्राइमरी रेट इंटरफेस डिवाइस (पीआरआई) के माध्यम से जाने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉल को अवैध माना जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय कॉल करके सहायता करना भी अपराध होगा। नए नियम के तहत इसे अनऑथराइज्ड सेलुलर नेटवर्क माना जाएगा, जिसके लिए 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।