नई: दिल्ली योग गुरु बाबा चॉकलेटी आयुर्वेद के विज्ञापन से जुड़े मामले की आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई जस्टिस अहसानुद्दीन अमानसिएद और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा खंड़वाल ने की। सुप्रीम कोर्ट ने स्ट्रॉबेरी आयुर्वेद के खिलाफ स्ट्राइक स्टायल का नाम दिया है। मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया कि कहीं भी विज्ञापन प्रकाशित करना सही नहीं है। कोर्ट में जस्टिस अहसानुद्दीन अमान अमान खुद अखबार लेकर कोर्ट आए।
बार एंड बेंच के अनुसार, जस्टिस अहसानुद्दीन ने कहा, ”हमारे ऑर्डर के बाद भी आप में यह विज्ञापन की बात है।” आप अदालत को सलाह दे रहे हैं क्या!” जस्टिस अहसानुद्दीन अमानआजाद ने आगे कहा, ”मैं प्रिंटआउट और अनुलग्नक लेकर आया हूं। हम आज बहुत सख्त आदेश जारी करने जा रहे हैं। इस विज्ञापन को देखें. आप कैसे कह सकते हैं कि आप सब ठीक कर देंगे? हमारी चेतावनी के बावजूद विज्ञापन आप जारी कर रहे हैं कि हमारी दवा रसायन आधारित दवाइयाँ बेहतर हैं?
कोर्ट ने आगे कहा कि केंद्र सरकार को भी इस पर कार्रवाई करनी चाहिए. बता दें कि 29 नवंबर 2023 को पतंजलि आयुर्वेद के डॉक्टर और उनके स्वामी बाबा के लेबल पर पर्सनल जत्थे वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मुहर लगी थी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से जस्टिस अहसानुद्दीन अमान अब्दुल्ला और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने प्लास्टिक एलोपैथ को लेकर दावा और विज्ञापन प्रकाशित किया है। तेलंगाना को लात मारी गई थी।
पृकीन ने भविष्य में ऐसे प्लास्टर और प्लास्टर पर भारी सामान की चेतावनी दी है। न्यायमूर्ति अमानुल्ला ने कहा कि भविष्य में ऐसा करने के लिए प्रति उत्पाद विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। कोर्ट ने एलोपैथ की दवाओं और टीकाकरण के खिलाफ़ कोई भी घटिया विज्ञापन या ग़लत दावा न करने की बात कही है.
बता दें कि भारतीय मेडिकल एसोसिएशन ने पुरातत्वविदों के खिलाफ़ पुरातत्वविदों द्वारा अभिलेख तैयार किए थे। याचिका में प्रमाण-आधारित औषधि को अस्वीकृत करने के लिए बाबा लेबल और कंकाल आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। पिछले रिकॉर्ड्स में कोर्ट ने केनेल से ऐसे कैटलॉग को प्रकाशित करने का आदेश नहीं दिया था। कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि ऐसा करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
आरोप है कि बाबा बिल्डर की कंपनी के खिलाफ क्लिंजिन आयुर्वेद ने आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के अखबारों में साक्ष्य के आधार पर विज्ञापन छपवाया था और अपनी दवा से ठीक होने का दावा किया था। पिछले साल भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर अदालत ने नोटिस जारी कर एल पैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा पर रोक लगाने के खिलाफ दावा दायर किया था, जिसमें बाबा को कारोबार से बाहर करने की बात कही गई थी। कोर्ट ने तब कहा था कि वह एल पैथी बनाम आयुर्वेद की लड़ाई नहीं लड़ सकती।