सरकार नहीं ले रही बीएसएनएल की सुध, कभी नंबर 1 थी, अब डूबने के बाद मजबूर कर्मचारियों की मौत

पटेल, गोविंद। कभी-कभी बीएसएनएल का सीम कार्ड पाने के लिए ग्राहकों की लंबी-लंबी कतारें लगती थीं और आपके सीम कार्ड मिल जाते थे तो वह आपके लिए सौभाग्यशाली होता था। वह उस दौर में जब टेलीकॉम की दुनिया में एक बीएसएनएल का अपना आधिपत्य था उस दौर में कभी गुलजार बने रहने वाले इन बीएसएनएल टावरों और मंदिरों के दरवाजे इस तरह हो गए होंगे कि यह कभी किसी ने नहीं सोचा था। बीएसएनएल इन दिनों बेल दौर से गुजर रही हैं। इस सरकारी टेलीकॉम कंपनी के बुरे दिन भी कभी नहीं सोचा था. आज वह इस तरह अपनी बेबसी पर फूला हुआ नजर आ रही है। उनके कर्मचारी वहां चले गए, उनकी जगह पर कोई पोस्टिंग नहीं हुई। आज के आयामों में यह है कि इन टावरों पर रहने वाले आपके रेस्तरां में भूखमरी के अवशेष हैं। इसके अलावा अन्य स्थानों पर अर्थशास्त्री द्वारा जीवन बसर करनें पर अर्थशास्त्री हैं।

आज बेरोजगारी और बेब उनकी साक्षात् झलक दिख रही है। जो दसकों तक बेहतरीन जीवन बसर करने वाले कर्ममारी आज वे बताए में ममा कर परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं और खून के मजबूत रोने पर अड़े हुए हैं, लेकिन उनका दर्द आजतक मरहम तक डूबना मुनासिब नहीं समझा। आज आधे घंटे बद से बदतर होते चले गए। इनमें से इन बदलावों के जिम्मेदार कौन हैं आज यक्ष प्रश्न खड़े हैं। आज एक तरफ निजी मस्कारा कंपनी 5जी की सेवाएं दे रही है तो बीएसएनएल सरकारी टेलीकॉम कंपनी 3जी सेवा उपलब्ध करा रही है, टावरों के शेयर ये कभी-कभी बंद हो जाते हैं। सबसे पहले टावर पर जेनेटर को डीलरशिप के लिए बेचा गया था, आज उसकी भी बिक्री बंद हो गई है। जब बिजली रहती है तो टावर बंद रहता है, अन्य बंद रहता है और सितारों के मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है, जिससे बचे हुए सितारों का रूझान निजी टॉर्च कंपनी की तरफ बढ़ जाता है और उनकी ही सेवा मुनासिब समझा जाती है और जब एक बार का दौर चला तो चला गया। सरकार की ओर से भी यह नीति विचारधारा रेगुलेटरी फर्म ऑफ इंडिया ने मोबाइल पोर्ट वॉल्युमिनेशन से जुड़े नए नियमों (16 दिसंबर 2019) को लागू कर दिया है, जिससे निजी कंपनी की ओर से प्राइवेट टेलीकॉम कंपनी का काम और आसान कर कंपनी का काम शुरू हो गया है।

बीएसएनएल के ग्राहक निजी कंपनी करा रहे सीमए पोर्ट

बीएसएनएल के ग्राहक अपना मोबाइल नंबर निजी टेलीकॉम ऑपरेटर को पोर्ट कराने के लिए कहते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि जब दुनिया 5जी स्पेक्ट्रम की ओर बढ़ रही है, बीएसएनएल के पास 4जी स्पेक्ट्रम नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि जब 2016 में 4जी स्पेक्ट्रम की लॉन्चिंग हुई तो फिर से इसे बैन कर दिया गया। एक अधिकारी का कहना है कि एनबीएस ने इस बारे में सरकार का ध्यान खींचने के लिए पोर्टफोलियो बार पत्र लिखा था, लेकिन बांड्स ने कोई बदलाव नहीं किया। अधिकारी का कहना है, “फ़ाइल दफ़्तर में घूमता रहता हूँ। इससे भी अधिक लाभ क्यों नहीं, यह बहुत से कारण हो सकते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि बीएसएनएल के खराब होने का कारण यह है कि उन्हें 4जी स्पेक्ट्रम नहीं दिया गया। सरकार नहीं चाहती कि बीएसएनएल निजी आपरेटर्स के साथ बातचीत करे। सरकार अपना गला घोटना चाहती है। इसके अलावा 5जी के रिजॉल्यूशन को अब सीधे 5जी के बारे में कहा जा सकता है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि 5जी का 4जी से शुरू होना जरूरी है ताकि सिस्टम के नेटवर्क और 5जी के लिए उपकरण तैयार किया जा सके।

सिद्धांत से लेकर मोबाइल टावरों के हालात

ऑफिस से लेकर टावर तक अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों के सहयोगी कार्य के प्रति देनदारियों का बिजनेस न करना भी बीएसएनएल के डूबने का कारण नजर आया। जो टावर्स पर एक जैसे आते हैं, उसके लिए वह एक ही तरह के बाहर बेपरवाह पैडें-पड़े कपड़े कर जंग लगता है। विलासिता समय से ऊपर टावरों पर नहीं। वह पड़े-पड़े खराब हो जाते हैं। इनमें से ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिसमें अलग-अलग शिष्यों और वृद्धि को शामिल किया गया है। यहां पर जिला मुख्यालय पर स्थित रेलवे कर्मचारी संघ के स्वामित्व वाली कंपनी बीएसएनएल ओरिजिनल वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकती है। यदि इसकी जांच की जाए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। वहीं जिले में लगभग 120 बी.टी.ए. रहते हैं। कुछ तो बीएसएनल के निजी जमीन में हैं तो ज्यादातर किराए की जमीन में हैं यहां टावरों पर रहने वाले आपके ठेकेदार गार्ड आज भूखमरी के मकान पर कोई वेतन नहीं मिल रहा है, जिससे वे मानसिक तनाव के कारण जीवन जीने को मजबूर हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

एक ओर जहां रिलायंस, जियो और एयरटेल ने और निजी टेलीकॉम ने देश के कई राज्यों में 5जी सर्विस दे रही हैं। वहीं, दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र की भारत संचार निगम लिमिटेड के ग्राहकों को अभी तक 4जी सेवा भी नहीं मिल पा रही है। गिरावट का कारण यह है कि बीएसएनएल के शेयरों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। बेहतर और हाई स्टैटिस्टिक्स के कारण अब बीएसएनएल के ग्राहक भी दूसरी कंपनी की ओर रुख कर रहे हैं। ऑफर की छूट तो केंद्र सरकार ने बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम का लाइसेंस नहीं दिया। जब कर्मचारियों ने इसके लिए कई हड़ताल-प्रदर्शन किए तो उसके बाद लाइसेंस तो दे दिया गया, लेकिन उस पर एक शर्त दी गई कि स्पेक्ट्रम के उपकरण यानी तकनीक भारत से ही खरीदनी होगी। यह शर्त केंद्र सरकार ने सुरक्षा से सुविधा उपलब्ध करायी थी. जबकि निजी कंपनियों पर किसी तरह की बात नहीं की गई है।

बीएसएनएल डूब गई तो प्राइवेट कंपनियों की फैक्ट्री

इसका कारण यह है कि निजी ऑटोमोबाइल चीन या अन्य देशों से इक्वीपमेंट खरीदकर 5जी सेवा भी शुरू की गई है। वहीं, बीएसएनएल का 4जी अब तक रुका हुआ है। केंद्र सरकार ने बीएसएनएल के हाथ बांध रखे हैं. संसद में पार्टी की घोषणा तो कर देते हैं, लेकिन शर्त लगाते हैं कि पैसा कहां खर्च करेंगे. अधिकारी काम तो करना चाहते हैं, लेकिन घटिया फ़ार्म हैं. उन्होंने कहा कि अगर बीएसएनएल डूब जाएगा तो प्राइवेट कंपनी मनाएगी टैरिफ वसूलेगी। इसलिए जरूरी है कि सरकारी कंपनी बाजार में रहे।

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