“मुस्लिम समुदाय ने घर-शौचालय-पानी और नौकरी पीएम मोदी से ली और वोट कांग्रेस…”

‘विशेष समुदाय’ (मुस्लिम समाज) के लोगों ने घर-शौचालय-सड़क-नौकरी सब पीएम मोदी (पीएम मोदी) से ली और वोट कांग्रेस को दे दिया। असम (Assam) के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने लोकसभा चुनाव को लेकर विशेष समुदाय पर ‘बढ़ते हुए’ ये बड़ा दावा किया है। सरमा ने कहा कि अगर असमंजस में कोई सांप्रदायिकता लिप्त है तो वह केवल एक ही समुदाय है। उन्होंने सारा लाभ मोदी से लिया लेकिन वोट कांग्रेस (कांग्रेस) को दिया। उनका उद्देश्य विकास नहीं बल्कि मोदी को अपना दबदबा कायम करना था।

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शनिवार को गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान सरमा ने ये बड़ा दावा किया है। असम मुख्यमंत्री ने इसका वीडियो अपने एक्स अकाउंट पर भी शेयर किया है।

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कांग्रेस चुनाव को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला करते हुए कहा कि इस समुदाय के लोगों को मोदी सरकार से घर, शौचालय, सड़क, सरकारी नौकरी, राशन और प्रति माह 1250 रुपये मिले, लेकिन इस समुदाय ने कांग्रेस को वोट दिया क्योंकि इन्हें तुष्टिकरण करना चाहिए।

एक विशेष समुदाय के लोग हैं जिन्होंने मोदी सरकार से घर, शौचालय, सड़क, सरकारी नौकरी, राशन और प्रति माह ₹1250 मिले। लेकिन इस समुदाय ने कांग्रेस को वोट दिया।

क्योंकि इनके तुष्टिकरण चाहिए। उनका उद्देश्य विकास नहीं बल्कि मोदी को हटाना और अपने समुदाय का दबदबा कायम रखना था। pic.twitter.com/P4GfFgGkSZ

— हिमंत बिस्वा सरमा (@himantabiswa) 23 जून 2024

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सीएम सरमा ने कहा कि उनका उद्देश्य विकास नहीं बल्कि मोदी को हटाना और अपने समुदाय का दबदबा कायम रखना था। इससे साबित होता है कि हिंदू सांप्रदायिकता में लिप्त नहीं हैं। यदि असमंजस में कोई सांप्रदायिकता लिप्त है तो वह केवल एक ही समुदाय है।

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असम में एनडीए ने जीती है 11 सीटें

असम में एनडीए ने 14 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को केवल तीन सीटें मिलीं। अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो भारत को 47 प्रतिशत वोट मिले जबकि भारतीय गठबंधन ने 39 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं। सीएम सरमा ने कहा कि अगर हम कांग्रेस के 39 फीसदी वोट का विश्लेषण करें तो यह पूरे राज्य से नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि इसका 50 प्रतिशत हिस्सा 21 विधानसभा क्षेत्रों में से मिला है, जो अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में भाजपा को तीन प्रतिशत वोट मिले।

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1 से 3 फीसदी मुस्लिम वोट पड़े

बता दें कि लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने दम पर बहुमत नहीं लाएगी। इसके कारण राजनीति पंडितों का भी मानना ​​है कि मोदी ने सभी धर्मों के लोगों और जातियों के लिए काम किया है। यहां तक ​​की योजनाओं का लाभ भी सभी धर्म के लोगों को मिला। इसके बावजूद भाजपा इतनी कम क्यों मर रही है? कई खबरों के अनुसार बहुमत नहीं आने के पीछे एक बड़ा कारण मुस्लिम धर्म का 5% वोट भी पार्टियों को मिलने के लिए नहीं माना गया है। वहीं 2019 में कांग्रेस के राष्ट्रीय चुनाव में लगभग 6 से 8 फीसदी वोट मुसलमानों के मिले थे। वहीं इस बार यह आंकड़ा ओक से तीन प्रतिशत में सिमट कर रह गया।

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