मनमोहन सिंह के 5 बड़े फैसले: अपने आर्थिक सुधारों के दम पर भारत की अर्थव्यवस्था को प्रगति की राह पर ले जाना, पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। 26 सितंबर की देर रात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह) का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के लिए कई बड़े जजमेंट थे। इन समानता का असर आज भी देश पर होता है।
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साल 1991 में मनमोहन सिंह की राजनीति में शुरूआत हुई, जब 21 जून को पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। उस समय देश को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा था। नरसिम्हा राव के साथ मिलकर उन्होंने विदेशी निवेश का रास्ता साफ किया था। वित्त मंत्री रहते हैं, उन्होंने देश में आर्थिक उदारता की भावना लागू की, जिससे विदेशी निवेश को बढ़ावा मिले। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए कई बड़े फैसले लिए।
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तो आइये जानते हैं डॉ. अविश्वास सिंह द्वारा दिए गए 5 बड़े फैसले, जिसने देश की किस्मत और लोगों की किस्मत बदल दी। उनके इस फैसले को लेकर देश हमेशा उनके सामने नतमस्तक रहेगा।
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राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार सचिवालय अधिनियम (नरेगा)
पूर्व मनोचिकित्सक सिंह के शासनकाल में ही वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण ग्रामीण रोजगार अधिनियम (नरेगा) लागू किया गया था। बाद में इसका नाम मठ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार सचिवालय अधिनियम (मनरेगा) रखा गया। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करना था, ताकि गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सुधार हो सके। इसके तहत ग्रामीण लोगों को साल में 100 दिन का रोजगार मिलता है। इससे ग्रामीण क्षेत्र से पलायन में कमी आई।
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भारत-अमेरिकन परमाणु सौदा
भारत- अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता डॉ. अर्थशास्त्र की सबसे बड़ी सुविधा में से एक हैं। इस एक्ट के बाद भारत को परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) से छूट मिली थी। इसके अलावा देश को अपने नागरिक और सैन्य परमाणु कार्यक्रम को अलग करने की अनुमति मिली। इस एक्ट के बाद ही भारत को संयुक्त राष्ट्र से यूरेनियम की आपूर्ति करने की अनुमति मिली, जहां के पास यह तकनीक है।
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सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई)
2005 में मनमोहन सरकार ने एक अधिनियम पारित किया, जिसके बाद जनता को सार्वजनिक अधिकारियों से बुनियादी ज्ञान का अधिकार मिल गया। इस अधिनियम को सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) नाम दिया गया है। इस अधिनियम से सरकार में बैठे लोगों के काम में पिप्लमी आई और उनका दायरा भी तय हो गया।
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प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर)
डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) सिस्टम लागू किया था। इस योजना के कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को उनके लिंक किए गए बैंक खाते के माध्यम से सीधे सामान्य छात्रवृत्ति के लिए एक प्रणाली स्थापित करना है। देश में आज लाखों लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
आधार की सुविधा (Aadhaar)
केंद्र की मोदी सरकार आज, जिस आधार का गुणगान कर रही है, वो भी मनमोहन सिंह के शासनकाल की ही मांद है। फिर भी पीएम बने रहे डॉ. मानवता ने आधार की शुरुआत की थी। इसे बनाने के लिए 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का गठन हुआ था। इसका उद्देश्य भारत के नागरिकों को एक ऐसी पहचान प्रमाण पत्र की सुविधा देना था, जिसे आसानी से हर जगह इस्तेमाल किया जा सके।
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