…ड्राइवर-सफाई कर्मचारी के लिए हीन भावना, चपरासी से ब्रेक… देश कैसे प्रगति करेगा… : सीजेआई चंद्रचूड़

अगर लोग लड़ेंगे तो देश कैसे प्रगति करेगा? जब हम 'हमारा संविधान, हमारा सम्मान' कहते हैं, तो हमें देश में बंधन और भाईचारे को भी बढ़ावा देना चाहिए और इन आदर्शों को अपने निजी जीवन में अपनाना चाहिए।' हम सफाई का काम करने वाले लोगों को हीन भावना से देखते हैं और ऑफिस के चपरासी के साथ काम करते हैं।' ये बातें भारते मुख्य न्यायाधीश दिवाई चंद्रचूड़ ने कही।

भरतपुर, सीजेई चंद्रचूड़ राजस्थान के नारे में 'हमारा संविधान, हमारा सम्मान अभियान' के तहत एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरन अपनी में उन्होंने ये बातें कही। उन्होंने अपने दस्तावेज़ में कहा है कि लोगों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि जो भी पेशेवर या निजी तौर पर भिक्षुओं के ठिकानों पर हैं, उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। सीजेई ने इसके कई उदाहरण भी लोगों के सामने रखे।

उन्होंने कहा कि 'मैं अक्सर देखता हूं कि लोग अपने से जूनियर या छोटे व्यक्ति को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते हैं।' मैं आपको एक अंग्रेजी व्यापार बताता हूँ. लोग अपने कलाकारों की तरह नहीं करते हैं और सोचते हैं कि वे छोटे काम कर रहे हैं। इसी तरह हम सफाई का काम करने वाले लोगों को हीन भावना से देखते हैं और ऑफिस के चपरासी के साथ मिलकर काम करते हैं।'

सीजे ने जमादार कहे जाने वाले पद के नामकरण का भी ज़िक्र पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए फैसले का ज़िक्र किया था। उन्होंने कहा कि 'जमादार' कोर्ट के वे कर्मचारी जो जज की कार का दरवाजा बंद कर देते हैं और जजों के बैठने की जगह के लिए कोर्ट रूम में कुर्सी खींचते हैं। सीजे ने बताया कि कैसे 75 साल बाद जैमडॉवर के पद का नाम बदल दिया गया।

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