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  • Shivpuri News: छत और दीवारों से चू रहा पानी, जर्जर स्थिति में विद्यालय खौफ के साए में विद्यार्थी और शिक्षक

    फर्स पर भरा पानी, क्लास में खड़े बच्चे

    HighLights

    खिरिया प्राथमिक विद्यालय में बदतर हालात है30 साल पुरानी स्कूल की इमारत की छत हैबारिश की बूंदे गिरने का दौर लगातार जारी रहता है

    नईदुनिया प्रतिनिधि शिवपुरी। बदरवास विकासखंड अंतर्गत कई शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय जर्जर स्थिति में हैं। बारिश के दिनों में इन स्कूलों की दीवारों और छत से पानी चू रहा है। ऐसे में यह स्कूल कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। शिक्षा विभाग के जिम्मेदार इन स्कूलों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

    यही कारण है कि स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों सहित वहां अध्यनरत छात्र खौफ के साए में हैं। इसी क्रम में सोमवार को खिरिया प्राथमिक विद्यालय का नया मामला सामने आया है। यहां 30 साल पुरानी स्कूल की इमारत की छत पर दीवार से पानी चू रहा है।

    स्कूल भवन की इमारत काफी जर्जर हो चुकी है। हालात यह हैं कि स्कूल के तीनों कमरों में से बारिश का पानी टपक कर रहा। न तो शिक्षकों को बैठने के लिए जगह है और न ही बच्चों के बैठने के लिए। ऐसे में शिक्षकों को इस बात का भय सता रहा है कि बारिश के दौरान कहीं कोई हादसा घटित न हो जाए। शिक्षकों के अनुसार वह सागर में हुए हादसे के बाद और अधिक दहशत में आ गए हैं।

    बच्चों को कहना बैठाएं

    स्कूल में प्रधानाध्यापक आनंद पाल यादव, सविता चिढ़ार व रवि गोस्वामी, तीन शिक्षक पदस्थ हैं। तीनों का कहना है कि बारिश के कारण स्कूल में पानी टपक रहा है। ऑफिस की कुर्सियां, क्लास रूम सभी जगह पानी भरा हुआ है। ऐसे में यह समझ नहीं आ रहा है कि बच्चों को कहा बैठाएं और खुद कहां बैठें। उनके अनुसार बारिश के कारण छत पर पानी भर जाने के कारण बारिश बंद होने के बाद भी स्कूल के कक्षों में घंटों तक बारिश की बूंदे गिरने का दौर लगातार जारी रहता है क्योंकि पूरी छत चू रही है।

    बीआरसीसी को लिख कर दर्ज कराई शिकायत

    शिक्षकों के अनुसार स्कूल की इमारत की खराब स्थिति की शिकायत वह लोग बीआरसीसी अंगद सिंह तोमर को मौखिक और लिखित रूप में दर्ज करा चुके हैं, परंतु आज तक इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। शिक्षकों ने वरिष्ठ अधिकारियों से स्कूल की इमारत को सही करवाने की गुहार लगाई है ताकि वह खौफ से बाहर निकलकर भयमुक्त वातावरण में बच्चों को अध्ययन कार्य करा सकें।