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  • महाकाल के आंगन में भक्त देख सकेंगे, 1000 साल पहले कैसा था मंदिर… जमीन से मिले पुरावशेषों को दिया जा रहा रूप

    राजेश वर्मा, नईदुनिया, उज्जैन(Ujjain News)। महाकाल के आंगन में भूगर्भ से निकले मंदिर के पुरावशेषों को पुरातत्व के विद्वानों की देखरेख में शिव मंदिर का रूप दिया जा रहा है। भक्त एक बार फिर देख सकेंगे कि 1000 साल पहले यह शिव मंदिर कैसा दिखाई देता था। महाकाल मंदिर समिति का कहना है कि यह मंदिर 36 फीट ऊंचा बनाया जाएगा। इसके पुनर्निर्माण में छह माह का समय लग सकता है।

    करीब दो साल पहले यहां नवनिर्माण के लिए की जा रही खोदाई में शिव मंदिर का आधार भाग प्राप्त हुआ था। इसके साथ ही मंदिर के भग्न अवशेष तथा शिवलिंग आदि प्राचीन मूर्तियां भी मिली थीं। मंदिर समिति ने पुरासंपदा प्राप्त होने की जानकारी मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग को दी थी। इसके बाद भोपाल से पुरातत्व के जानकारों का दल उज्जैन पहुंचा और पुरावशेषों की पड़ताल की।

    आक्रांताओं ने मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था

    जांच में पाया गया कि शिव मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है, उस समय आक्रांताओं ने इसे क्षतिग्रस्त कर दिया था। विभाग ने प्राचीन शिल्पकला के संरक्षण के लिए उसी स्थान पर मंदिर के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया।

    करीब छह माह पहले नवनिर्माण के लिए बिखरे पड़े अवशेषों का मिलान कर नंबरिंग की गई थी। अब नंबरों के अनुसार पत्थरों को जोड़ा जा रहा है। पुरातत्व अधिकारी डॉ. रमेश यादव ने बताया भूगर्भ से निकले मंदिर के अवशेषों को जोड़ने का काम शुरू हो गया है। कहीं कोई पत्थर की कमी लगती है, तो प्रदेश के अन्य जिलों से इसी प्रकार का पत्थर मंगवाया जा रहा है। सामग्री के प्रबंध में समय लग रहा है, वर्षा का मौसम होने से भी काम की गति धीमी है।

    इसी तरह पुरावशेषों से खड़ा हुआ बटेश्वर मंदिर समूह

    पुरातत्व विभाग के अनुसार आठवीं से 10वीं शताब्दी के बीच गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के शासनकाल में 200 मंदिरों का एक समूह बनाया गया था, मुरैना जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित इस जगह को बटेश्वर मंदिर समूह के रूप में पहचाना जाता है।

    पुरातत्व विभाग के अनुसार भूकंप या बाढ़ जैसी किसी आपदा से 13वीं शताब्दी में यह मंदिर नष्ट हो गए। इसका पुरावशेष मौजूद था। बटेश्वर को 1920 में संरक्षित स्थलों की सूची में शामिल किया गया, लेकिन इसके संरक्षण का काम साल 2005 में पुरातत्व विभाग के तत्कालीन अधीक्षक केके मोहम्मद ने शुरू किया और भग्नावस्था में पड़े पत्थरों को चुन-चुन कर उनसे 60 मंदिरों को उनके पुराने स्वरूप में खड़ा किया गया।

    बजट के अभाव में करीब 14 साल पहले जीर्णोद्धार का काम बंद हो गया। ढाई साल पहले इंफोसिस फाउंडेशन की सुधा मूर्ति ने आर्थिक मदद दी, जिससे बटेश्वर का सबसे बड़ा मंदिर, विष्णु मठ मंदिर फिर पुराने स्वरूप में बनकर तैयार हो गया है।