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  • MP में आनंद ग्राम बनाएगी सरकार, हैप्पीनेस के पैमाने का IIT से कराया जाएगा मूल्यांकन

    “हैप्पीनेस” का मूल्यांकन उच्च शिक्षा संस्थानों से होगा।

    HighLights

    प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक आनंद केंद्र बनाया जाएगा गांवो को आनंद ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगाआनंद उत्सव में 20 लाख से अधिक लोग भाग ले चुके हैं

    राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल : मध्य प्रदेश में राज्य सरकार हैप्पीनेस के पैमाने का मूल्यांकन कराएगी। इसके लिए किसी उच्च शिक्षा संस्थान या आइआइटी का सहयोग लिया जाएगा। वहीं शहरों की अपेक्षा अब प्रदेश के गांवों को आनंद ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ऐसे ग्राम, जहां सद्भावना, भाईचारा, परस्पर सहयोग और आनंद का भाव प्रमुख हो, उन्हें उदाहरण के रूप में सामने लाया जाएगा।

    तनावमुक्ति और आनंदित व्यवहार के प्रशिक्षण के लिए ग्राम पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, पटवारी, नगर निगम और नगर पालिका के कर्मचारी एवं पुलिसकर्मी शामिल किए जाएंगे। इसी तरह वैचारिक और रचनात्मक गतिविधियों के लिए हर जिले में नगरीय विकास एवं आवास विभाग के सहयोग से एक आनंद केंद्र अथवा भवन बनाया जाएगा। आनंद कार्यों के लिए बुजुर्गों की सेवाएं भी ली जाएंगी।

    महापुरुषों पर प्रकाशित कृतियों को स्कूल कॉलेजों के विद्यार्थियों तक पहुंचाएगा

    भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुषों और ऐतिहासिक पात्रों के जीवन से आज के युवा वर्ग को सीख देने के लिए अन्य विभागों से समन्वय कर रूपरेखा तैयार कर गतिविधियों का संचालन किया जाएगा। भारतीय संस्कृति के आदर्श महापुरुषों पर प्रकाशित कृतियों को आनंद विभाग स्कूल एवं कालेजों के विद्यार्थियों तक पहुंचाएगा। बता दें कि प्रतिवर्ष 14 से 28 जनवरी की अवधि में आनंद उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें अब तक लगभग 20 लाख लोग सहभागिता कर चुके हैं।

    प्रत्येक जिले में बनेंगे आनंद केंद्र व भवन

    वैचारिक और रचनात्मक गतिविधियों के लिए प्रत्येक जिले में नगरीय विकास एवं आवास विभाग के सहयोग से एक केंद्र अथवा भवन बनाया जाएगा। ये भवन मांगलिक भवन से भिन्न होंगे और यहां शहर के प्रबुद्ध वर्ग के साथ आम नागरिकों की उपस्थिति में रचनात्मक कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।

    आनंद विभाग अपनी गतिविधियों का संचालन, खेल, स्कूल, उच्च शिक्षा विभाग और जन अभियान परिषद जैसी संस्थाओं का सहयोग लेकर संयुक्त रूप से करेंगे। आनंद के लिए विभिन्न नगरों में कार्य करने वाली संस्थाओं के कार्यों का अध्ययन कर सूचीबद्ध किया जाएगा, जिससे अन्य शहरी क्षेत्रों में भी ऐसे सामाजिक कार्य किए जा सकें।

  • मध्‍य प्रदेश सरकार कराएगी बस, ट्रक, लोडिंग वाहनों के ड्राइवर, कंडक्टर और क्लीनर का श्रमिक पंजीयन

    मध्‍य प्रदेश में बस ड्राइवरों की सरकार ले रही है सुध।

    HighLights

    मोटर यातायात श्रमिक अधिनियम 1961 के तहत ऐसे संस्थानों के पंजीयन का प्रावधान है। प्रदेश में मोटर यातायात परिवहन संस्थानों व उनमें कार्यरत श्रमिकों की संख्या बहुतायत है। इन संस्थानों में श्रमिक, श्रम कानूनों के तहत सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहते हैं।

    राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार बस, ट्रक, लोडिंग वाहनों के ड्राइवर, कंडक्टर और क्लीनर का श्रमिक पंजीयन कराएगी। इसके लिए श्रम विभाग मोटर परिवहन संस्थानों में लगे श्रमिकों के पंजीकरण का एक माह तक अभियान चलाएगा।

    इस संबंध में श्रमायुक्त धनराजू एस ने सभी श्रम अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। दरअसल, मोटर परिवहन संस्थानों में ड्राइवर, कंडक्टर, क्लीनर, लोडिंग एवं अनलोडिंग करने वाले मजदूर की श्रेणी में आते हैं।

    इन श्रमिकों के कल्याण के लिए मोटर यातायात श्रमिक अधिनियम 1961 के तहत ऐसे संस्थानों के पंजीयन का प्रविधान है।

    प्रदेश में मोटर यातायात परिवहन संस्थानों व उनमें कार्यरत श्रमिकों की संख्या बहुतायत है, लेकिन इसके बावजूद ये पंजीकृत नहीं हैं। ऐसे में इन संस्थानों में लगे श्रमिक, श्रम कानूनों के तहत सरकार की योजनाओं के लाभ से वंचित रहते हैं।

    रजिस्‍ट्रेशन के लिए प्रेरित करेंगे

    आगामी एक माह में अभियान चलाकर संबंधित शासकीय, अर्धशासकीय, निजी निकायों, संस्थानों के अंतर्गत संचालित मोटर यातायात संस्थान एवं ट्रांसपोर्ट आनर्स, एसोसिएशन आदि से संपर्क कर उन्हें भी अधिनियम के अंतर्गत पंजीयन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे कि पंजीयन एवं नवीनीकरण की संख्या में वृद्धि हो सके और इनमें नियोजित श्रमिकों को श्रम कानूनों के प्रविधानों का लाभ मिल सके।

    मैदानी अधिकारियों की उदासीनता के चलते श्रमिकों को नहीं मिल पाता लाभ

    मैदानी श्रम अधिकारियों द्वारा ऐसे संस्थानों का पंजीयन अधिनियम के अनुसार नहीं किया जा रहा है और न ही उनका नियमित निरीक्षण किया जा रहा है। ऐसे में इन संस्थाओं के श्रमिकों को केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इससे इन संस्थानों में लगे श्रमिकों को श्रम कानूनों के तहत मिलने वाले विभिन्न लाभ जैसे न्यूनतम मजदूरी, साप्ताहिक अवकाश व अन्य अवकाश, ओवर टाइम, यूनिफार्म एवं चिकित्सा सुविधाएं आदि नहीं मिल पा रही है।

  • मप्र सरकार स्थानीय उत्पाद के निर्यात और MSME सेक्टर पर करेगी फोकस, प्रदेश के बाहर भी होगा रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव

    जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का हुआ आयोजन।

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    स्थानीय उत्पाद के निर्यात और MSME सेक्टर पर काम करेगी सरकार महाकोशल के बाद ग्वालियर और रीवा में होगी रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेवतमिलनाडु के कोयंबटूर में 25 जुलाई को इंडस्ट्री कान्क्लेव करेगी सरकार

    राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल : मध्य प्रदेश सरकार अब स्थानीय उत्पादों के निर्यात पर जोर देगी, इसके लिए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) और सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर में काम को बढ़ाया जाएगा। निर्यात पर अलग-अलग श्रेणी में सब्सिडी भी दी जाएगी।

    सरकार ने माना है कि पहले की अपेक्षा मध्य प्रदेश से निर्यात घटा है। इससे छोटे उद्योग भी प्रभावित हुए है। ऐसे में अब राज्य सरकार छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और प्रोत्साहन राशि भी बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसकी शुरुआत उज्जैन और जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव के माध्यम से की गई है।

    औद्योगिक क्षेत्र में पिछड़े इलाकों में निवेश पर जोर

    सरकार औद्योगिक क्षेत्र में पिछड़े ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित कर यहां निवेश लाने पर जोर दे रही है। इसके बेहतर परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव एक ऐसी शुरुआत है जो मध्य प्रदेश को देश में अलग स्थान प्रदान करेगी। उज्जैन से इसकी शुरुआत हुई जो महाकोशल में पहुंची।

    ग्वालियर और रीवा में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव

    अगली श्रंखला में अब मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सितंबर में और अक्टूबर में रीवा में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का आयोजन किया जाएगा। प्रदेश के बाहर तमिलनाडु के कोयंबटूर में 25 जुलाई को, कर्नाटक के बेंग्लुरु में अगस्त में, दिल्ली में सितंबर और इंदौर में सितंबर में ही इंडस्ट्री कान्क्लेव प्रस्तावित है।

    ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन की तैयारियां

    रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव के बाद सात और आठ फरवरी 2025 को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मध्य प्रदेश की नई निर्यात नीति की घोषणा होगी और निवेश बढ़ाने के लिए नए निवेशकों के साथ नई उद्योग नीति में किए गए प्रविधानों को सांझा किया जाएगा।

    आज जबलपुर में आयोजित “Regional Industry Conclave 2024” में प्रदेश में 265 इकाइयों को 340 एकड़ भूमि हेतु आशय पत्र प्रदान कर बधाई व शुभकामनाएं दीं।

    उज्जैन, इंदौर, भोपाल एवं जबलपुर के साथ ही अन्य क्षेत्रों में निवेश की कुल राशि ₹1,876 करोड़ है एवं इससे 12900 से अधिक रोजगार का सृजन… pic.twitter.com/BnllRrrNEb

    — Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 20, 2024

    प्रदेश में निर्यात का दोगुना रखा रक्ष्य

    सभी जिलों में निर्यात सुविधा प्रकोष्ठ बन गए हैं। इससे छोटे और मझौले स्तर के उत्पादकों में निर्यात के प्रति जागरूकता आई है। मध्य प्रदेश व्यापार संगठन परिषद और निर्यात प्रकोष्ठों ने मिलकर कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं जिससे निवेश की संभावनाओं का आंकलन करने में सरकार को मदद मिली।

    नीमच, हरदा, अशोकनगर, नरसिंहपुर, शहडोल, बालाघाट, बैतूल और धार में जिला निर्यात संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किए गए। मध्य प्रदेश, भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में योगदान बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत हैं।

    कई प्रोडक्ट का निर्यात

    वित्तीय वर्ष 2023-24 में दवा उत्पाद, कपास, परमाणु रिएक्टर, बायलर, मशीन, कपड़ा, जैविक रसायन, एल्युमिनियम, धातु, अनाज, विद्युत मशीनरी उपकरण, प्लास्टिक जैसे प्रोडक्ट का निर्यात हुआ है। सबसे ज्यादा दवा उत्पादों का निर्यात हुआ। इनका निर्यात मूल्य 13,158 करोड़ रुपये है। अगले तीन सालों में मध्य प्रदेश का निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मेक इन इंडिया कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है, इसके अंतर्गत डिफेंस सेक्टर पर विशेष फोकस किया गया है। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की मंशानुसार प्रदेश में उद्योगों की श्रृंखला स्थापित करने की इस सोच से प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा। एमएसएमई सेक्टर का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश के 16 जिलों में भी नई उद्योग इकाई लगाने की योजना प्रस्तावित है।

    चेतन्य काश्यप, मंत्री एमएसएमई मप्र