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  • मध्‍य प्रदेश सरकार कराएगी बस, ट्रक, लोडिंग वाहनों के ड्राइवर, कंडक्टर और क्लीनर का श्रमिक पंजीयन

    मध्‍य प्रदेश में बस ड्राइवरों की सरकार ले रही है सुध।

    HighLights

    मोटर यातायात श्रमिक अधिनियम 1961 के तहत ऐसे संस्थानों के पंजीयन का प्रावधान है। प्रदेश में मोटर यातायात परिवहन संस्थानों व उनमें कार्यरत श्रमिकों की संख्या बहुतायत है। इन संस्थानों में श्रमिक, श्रम कानूनों के तहत सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहते हैं।

    राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार बस, ट्रक, लोडिंग वाहनों के ड्राइवर, कंडक्टर और क्लीनर का श्रमिक पंजीयन कराएगी। इसके लिए श्रम विभाग मोटर परिवहन संस्थानों में लगे श्रमिकों के पंजीकरण का एक माह तक अभियान चलाएगा।

    इस संबंध में श्रमायुक्त धनराजू एस ने सभी श्रम अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। दरअसल, मोटर परिवहन संस्थानों में ड्राइवर, कंडक्टर, क्लीनर, लोडिंग एवं अनलोडिंग करने वाले मजदूर की श्रेणी में आते हैं।

    इन श्रमिकों के कल्याण के लिए मोटर यातायात श्रमिक अधिनियम 1961 के तहत ऐसे संस्थानों के पंजीयन का प्रविधान है।

    प्रदेश में मोटर यातायात परिवहन संस्थानों व उनमें कार्यरत श्रमिकों की संख्या बहुतायत है, लेकिन इसके बावजूद ये पंजीकृत नहीं हैं। ऐसे में इन संस्थानों में लगे श्रमिक, श्रम कानूनों के तहत सरकार की योजनाओं के लाभ से वंचित रहते हैं।

    रजिस्‍ट्रेशन के लिए प्रेरित करेंगे

    आगामी एक माह में अभियान चलाकर संबंधित शासकीय, अर्धशासकीय, निजी निकायों, संस्थानों के अंतर्गत संचालित मोटर यातायात संस्थान एवं ट्रांसपोर्ट आनर्स, एसोसिएशन आदि से संपर्क कर उन्हें भी अधिनियम के अंतर्गत पंजीयन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे कि पंजीयन एवं नवीनीकरण की संख्या में वृद्धि हो सके और इनमें नियोजित श्रमिकों को श्रम कानूनों के प्रविधानों का लाभ मिल सके।

    मैदानी अधिकारियों की उदासीनता के चलते श्रमिकों को नहीं मिल पाता लाभ

    मैदानी श्रम अधिकारियों द्वारा ऐसे संस्थानों का पंजीयन अधिनियम के अनुसार नहीं किया जा रहा है और न ही उनका नियमित निरीक्षण किया जा रहा है। ऐसे में इन संस्थाओं के श्रमिकों को केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इससे इन संस्थानों में लगे श्रमिकों को श्रम कानूनों के तहत मिलने वाले विभिन्न लाभ जैसे न्यूनतम मजदूरी, साप्ताहिक अवकाश व अन्य अवकाश, ओवर टाइम, यूनिफार्म एवं चिकित्सा सुविधाएं आदि नहीं मिल पा रही है।

  • लोक सुरक्षा कानून लागू करेगी मध्य प्रदेश सरकार, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर जैसे शहरों से होगी शुरुआत

    मध्य प्रदेश विधानसभा। फाइल फोटो

    HighLights

    सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा।इसकी दो महीने तक की रिकॉर्डिंग भी सुरक्षित रखनी होगी। इस पर होने वाला खर्च दुकान संचालकों को ही करना होगा।

    वैभव श्रीधर, नईदुनिया भोपाल। मध्य प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा। इसकी रिकॉर्डिंग दो माह तक सुरक्षित रखनी होगी और जब भी पुलिस को जांच के लिए इसकी आवश्यकता होगी तो उपलब्ध करानी होगी। इसके लिए लोक सुरक्षा कानून का प्रारूप तैयार किया गया है।

    इसे विधानसभा का मानसून सत्र निर्धारित समयावधि से पहले ही सत्र समाप्त होने के कारण प्रस्तुत नहीं किया जा सका था। अब गृह विभाग ने अध्यादेश के माध्यम से इसे लागू करने की तैयारी की है और प्रारूप को परिमार्जन के लिए विधि विभाग को भेजा है। प्रदेश में कॉलेज, स्कूल, मॉल, रेस्टोरेंट, अस्पताल सहित ऐसे स्थान, जहां सौ से अधिक लोग इकट्ठा होते हैं, वहां संचालकों को सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे।

    इस पर होने वाला व्यय भी संचालकों को भी वहन करना होगा। दरअसल, इस व्यवस्था की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि जांच के दौरान पुलिस को जब भी रिकॉर्डिंग की आवश्यकता होती थी तो यह बात सामने आती थी कि सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं या फिर रिकॉर्डिंग सुरक्षित नहीं रखी जाती है। प्रस्तावित लोक सुरक्षा कानून में यह प्रविधान किया जा रहा है कि संचालकों को सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग दो माह तक सुरक्षित रखना अनिवार्य होगा।

    चार साल से चल रही तैयारी

    प्रदेश में लोक सुरक्षा कानून बनाने की तैयारी वर्ष 2020 यानी चार वर्ष से चल रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर गृह विभाग ने इसकी कवायद प्रारंभ की थी। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा ने तेलंगाना के सीसीटीवी कैमरे लगाने और उसका डाटा सुरक्षित रखने संबंधी कानून का अध्ययन कराकर प्रारूप तैयार कराया था। विधि विभाग द्वारा परिमार्जित करने के बाद इसे कैबिनेट के माध्यम से राज्यपाल मंगुभाई पटेल की अनुमति के लिए भेजा जाएगा।