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  • रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले उत्सव में डूबा प्रदेश, मंत्री केदार कश्यप ने कहा- यह सिर्फ अयोध्या का नहीं, बल्कि पूरे देश की भावनाओं से दर्शन है…

    रायपुर। अयोध्या में भगवान श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले छत्तीसगढ़ का कोना-कोना उत्सव मनाया जा रहा है। इस बीच साय सरकार के वरिष्ठ मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि भगवान राम का मंदिर पांच सौ साल बाद बन रहा है। ये अयोध्या का विषय नहीं है, बल्कि ये पूरे देश की भावनाओं से जुड़ा विषय है। इसे भी पढ़ें: राम मय हुआ भगवान राम का ननिहाल: आज छत्तीसगढ़ में 3 विश्व रिकॉर्ड, कल नवा रायपुर के चौक-चौराहों पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का होगा सीधा प्रसारण

    मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि हमारे प्रिय ने इसके लिए बिग बैटल गर्ल बनाई है। इतिहास देखिए तो छत्तीसगढ़ में भी भगवान राम की गौरवान्वित करने वाली गाथाओं से आच्छादित है। ऐसे में पूरे राज्य में हर्ष और उल्लास का माहौल है। जगह-जगह रंगोली बनाई जा रही है। घर-घर से लोग निकल कर अक्षत चावल बाँट रहे हैं।

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    उन्होंने कहा कि भगवान राम छत्तीसगढ़ के भी हैं। वन गमन क्षेत्र में वे यहां से बहुत कुछ सिखाते भी हैं और सिखाते भी हैं। भगवान राम जब तक अयोध्या में आए तब तक उन्हें राजा राम कहा गया, लेकिन जब वह दंडकारण्य में आए तब उन्हें वनवासी राम भी कहा गया। उन्हें सबसे उन्नत राम भी कहा गया.

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    मंत्री ने कहा कि दुनिया के किसी भी जंगल में घूमने जाएं, वहां कांटा मिलेगा। लेकिन जंगल के जंगल में कांटा नहीं मिलेगा। वहां भगवान श्री राम के चरण पड़े थे। ये हम लोगों के लिए सौभाग्य का विषय है. सुकमा में राम राम मेला होता है, बड़ा आयोजन होता है। ऐतिहासिक दशहरा का पर्व मनाया जाता है। यह 75 दिन तक का समय है. उत्सव का माहौल हर तरह का है. भजन गाये जा रहे हैं. खुशियाँ बँटी जा रही है।

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  • आरंग में मिली जैन तीर्थंकर की प्राचीन प्रतिमा: जैन समाज की मांग पर पुजारी ने डोंगरगढ़ ले जाने की दे दी मंजूरी, अब स्थानीय निवासी कर रहे विरोध

    रायपुर. छत्तीसगढ़ में आरंग को चॉकलेट की नगरी कहा जाता है। राजा मोरध्वज की राजधानी आरंग में प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियां और ऐतिहासिक स्मारकों के मिलने के कारण ही आरंग की पहचान है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से आरंग नगर में ऐसा हो रहा है जो अभी तक कहीं भी न तो देखने को मिला है और न ही सुनने को। वास्तविक सितंबर 2021 में अरंग के अंधियार खोप तालाब में दीपकरण ​​के दौरान प्राचीन और दुर्लभ जैन तीर्थंकर की सुदर्शन प्रतिमा मिली थी। जिसे नगरवासियों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित भांडदेवल मंदिर में सुरक्षित रखा है। लेकिन इस प्राचीन और दुर्लभ मूर्ति को आरंग से ले जाने के लिए असंगठित दबाव बन गया है।

    मूर्ति को डोंगरगढ़ के जैन समाज द्वारा ले जाने की मांग की गई है। जिस पर रायपुर जिला प्रशासन द्वारा स्टॉकिस्ट सर्वेश्वर ग्रे ने मूर्ति को जैन समाज डोंगरगढ़ को प्रतिष्ठा का आदेश जारी कर दिया। ऑर्डर की जानकारी आरंग के स्थानीय लोगों के पास होने के बाद से कलेक्टर के ऑर्डर का विरोध हो रहा है। कई सामाजिक विद्वानों ने इस आदेश के विरोध में संबंधित विभाग को पत्र भी लिखा है। लेकिन प्रयोगशाला दबाव के कारण मूर्ति को डोंगरगढ़ ले जाने पर रोक नहीं लग पाई है। लोगों का कहना है कि अरंग की पहचान यहां की प्राचीन मूर्तियां, अवशेष और ऐतिहासिक खंभों के कारण होती है। अगर ये प्राचीन मूर्ति यहां से चली जाएगी तो इसी तरह कोई भी समाज ही मांगेगा और यहां के कई आभूषणों को ले जाएगा। नागरिकों की सहमति के बिना आरंग की खदानों को ले जाना अनुचित है।

    रजिस्ट्रार की ओर से जारी आदेश

    इतिहास के सिद्धांत का कहना है कि निखत निधि अधिनियम 1878 के प्रस्ताव में इस प्राचीन मूर्ति को जैन समाज द्वारा पूजा पाठ के लिए अनुमति देने का आदेश जारी किया गया है। जबकि इस अधिनियम में कलेक्टर को कोई शक्ति प्रदान नहीं की गई है, जिससे वे किसी व्यक्ति या समाज को पूजा पाठ दे सकें। इसका सारांश महत्वपूर्ण है कि खड़ियालों का व्यापार करना भी गलत है।

    यथासम्भव महत्वपूर्ण महत्व की मूर्ति या प्रतिमा जहां से प्राप्त होती है, उन्हें उसी स्थान पर या पुरातत्व विभाग के संग्रहालय में सुरक्षा और संरक्षण के लिए रखा जाता है। लेकिन आरंग केस में ऐसा नहीं हो रहा है. उल्लेखनीय है कि पहले भी आरंग स्टेशन में कई प्राचीन मूर्तियां अलग-अलग जगह ले जाई गई थीं। इस विषय में आज तक कोई पुष्ठ जानकारी नहीं है। यही क्रम रहा तो अरंग की ऐतिहासिकता पर ही प्रश्न चिह्न पुनः स्थापित। नगरवासियों की मांग है कि राजपूतों के त्रुटिपूर्ण पूर्ण आदेश को राजशाही निरस्त किया जाए और आरंग के खड़ियालों को सुरक्षित करने के लिए आरंग में ही संग्रहालय बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

  • ‘गाथा श्रीराम मंदिर की’ संगीतमय नायकों से भावविभोर हुए दर्शक, श्रीराम मंदिर से जुड़े 500 साल के इतिहास पर ऐतिहासिक लाइव गुरुओं के दर्शन बने राजधानीवासी

    रायपुर. श्रीराम जन्मभूमि से जुड़ी 500 साल पुराने इतिहास की गाथाओं के नायक आज राजधानी के रायपुर स्थित पुलिस ग्राउंड में स्थित हैं। छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन एवं संस्कृति, धर्मस्व एवं पर्यटन मंत्री बृज मोहन अग्रवाल की विशेष उपस्थिति रही। यहां से आए मोहित शिवानी के हार्ट बैंड ने 500 साल पहले पौराणिक कथाओं के अनुसार मंदिर तोड़े जाने की शुरुआत की और इसके बाद श्रीराम जन्मभूमि से मुक्त युद्ध की गाथा शुरू हुई। इस 75 मिनट की कहानी में अयोध्या में श्रीराम मंदिर के 2000 से अधिक वर्षों के इतिहास के संगीतमय नायकों को दिखाया गया है।

    संगीतमय पौराणिक कथाओं के स्वामी श्रीराम जन्म से शुरू हुई अयोध्या पर आक्रांताओं की झलकियां और अयोध्या के रक्षकों की चर्चा हुई। इस कथा के माध्यम से हर उस महत्वपूर्ण व्यक्ति का उल्लेख किया गया है, जो अयोध्या और श्रीराम मंदिर से जुड़ा है। साथ ही राजा विक्रमादित्य और मां अहिल्याबाई होल्कर द्वारा मंदिर के जीर्णाधार, बैरागी साधुओं का संघर्ष, गर्भगृह से रामलला का जाना, गर्भगृह में रामलला का प्रकट होना, कार सेवक, कोठारी बंधुओं के बलिदान, राजनीतिक उद्घाट-भंडार और वर्तमान पुरातात्विक मंदिर की भव्यता , दिव्यता और उनके पीछे केंद्र और राज्य सरकार के संकल्प का चित्रण किया गया।

    संगीतमय श्रीराम गाथा में श्रीराम चंद्र कृपालु भज मन, हमारे साथ श्री रघुनाथ, हनुमान चालीसा जैसे अनेक भक्तिमय भजनों की प्रस्तुतियों से पूरा राममय हो गया। उपस्थित जन तालियों की थाप के बीच राम भजन से मंत्रमुग्ध हुए।

    इस मौके पर कृषि मंत्री रामविचार नेता, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी घटक, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री टंकराम वर्मा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडे, पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, विधायक उधेश्वरी पैकारा, विधायक रोहित साहू, सहयोगी अनुज शर्मा, गुरु खुशवंत साहेब, निर्माता-निर्देशक एबॉर्शन रहे. बजरंग मोहन अग्रवाल ने इस भव्य समारोह के लिए आयोजक, प्रस्तुतकर्ता और उनकी पूरी टीम को बधाई दी।

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  • सीजी में आरक्षक संवर्ग की सीधी भर्ती, अब 6 मार्च तक निःशुल्क ऑनलाइन आवेदन

    रायपुर. पुलिस मुख्यालय छत्तीसगढ़ ने जिला पुलिस बल के आरक्षक संवर्ग की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन की तारीख 15 फरवरी से 06 मार्च 2024 को रात 11.59 बजे तक कर दी है। इसके साथ ही आरक्षक संवर्ग की भर्ती में मुख्य आयु सीमा के लिए निर्धारित अधिकतम आयु सीमा के लिए 5 वर्ष की अतिरिक्त छूट प्रदान की गई है।

    उल्लेखनीय है कि पुलिस मुख्यालय, छत्तीसगढ़ वदरा जिला पुलिस बल के आरक्षक संवर्ग की 5967 रिक्तियों पर भर्ती के लिए 04 अक्टूबर 2023 को विज्ञापन जारी किया गया था। इस विज्ञापन के तारतम्य में छत्तीसगढ़ पुलिस की वेबसाइट पर ऑफ़लाइन आवेदन की तारीख 01 जनवरी 2024 से 15 फरवरी 2024 तक निर्धारित की गई थी, जिसे लगभग 6 मार्च तक कर दिया गया है।

    इस संबंध में गृह (पुलिस) विभाग द्वारा जारी पत्र में उल्लेख किया गया है कि ”जिला पुलिस बल के आरक्षक संवर्ग की भर्ती में छात्र-छात्राओं को अधिकतम आयु-सीमा के लिए एक बार अतिरिक्त 05 वर्ष की छूट प्रदान की जाती है” है।” पुलिस मुख्यालय, छत्तीसगढ़ वदरा जिला पुलिस बल के 5967 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए 04 अक्टूबर 2023 को अन्य योजनओं पूर्व उद्यमों के लिए विज्ञापन जारी करें।

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  • मुंगेली व्यापार मेला: तीसरा दिन हुआ नागालैंड प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम में राष्ट्राध्यक्षों पर होगी नृत्य कला

    रोहित कश्यप,मुंगेली। जिले में आयोजित हो रहे मुंगेली व्यापार मेले के तीसरे दिन दोपहर 12 बजे से 12 बजे तक चलचित्र प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें शत्रु ने अपनी टैगिंग कला का परिचय दिया। कम समय में आकर्षक बागान कला के माध्यम से संग्रहालय ने अपनी कला से लोगों को परिचित कराया। प्रशिक्षण प्रतियोगिता में 48 वर्ष की आयु में भाग लिया। और पढ़ें- CG NEWS : आईईडी की चपेट में आईएसटीएफ के जवान घायल को हवाई जहाज से रायपुर लेकर आए

    इस प्रतियोगिता के पुराने पारस जैन, कुमारी निधि शर्मा और सन्नी शुक्ला रहे। प्रशिक्षण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले को रात्रि कालीन कार्यक्रम के प्रारंभ की ओर से सम्मानित किया गया। इससे पहले कल रात जूनियर वर्ग के पंजाबी थीम पर रोजमर्रा की प्रतियोगिता में बच्चों ने बहुत ही आकर्षण और मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। इस प्रतियोगिता में न्यू जेनरेशन पब्लिक स्कूल लोरमी ने प्रथम, माेण्ड साईन इंटरनेशनल स्कूल मुंगेली ने द्वितीय तथा कस्तूरबा स्कूल स्कूल मुंगेली ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजेता टीम को सलामी बल्लेबाज और खिलाड़ियों के हाथों से सम्मान की राशि और स्मृति चिह्न दिया गया। इस प्रतियोगिता के पौराणिक मोनिका सचिन उप्पल, रश्मि मारुत सिंह और संप्रित कौर रिंकू।

    आज तीसरे दिन रात्रिकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम में सीनियर वर्ग के स्कूली बच्चों की ओर से देशव्यापी नृत्य प्रस्तुत किया गया। तीसरे दिन के कार्यक्रम के लिए स्टार्स ऑफ टुमारो डेमोसाईटी की पूरी टीम लगी हुई है। आज रात्रिकालीन कार्यक्रम में लोगों की बड़ी संख्या में पहुंचने की संभावना है।

    व्यापार मेले में सफल बनाने वाली संस्था के संयोजक रामशरण यादव, अध्यक्ष महावीर सिंह, सचिव विनोद यादव, संयोजक धनराज परिहार, दिनेश गोयल, सतपाल मक्कड, गोकुलेश सिंह, विकास जैन, राहुल कुर्रे, आशीष कुमार सोनी, दीपक जैन, श्रेणिक पार्लिंग, गौरव जैन, अनीश जैन, ब्लूश केशरवानी, संगीतकार परिहार, बेयर सुथार, अनुराग सिंह, सूरज मंगलानी, सुनील वाधवानी, देवशंकर सागर, आशीष सिंह, राहुल साहू, हरिओम सिंह, मुकेश पांडे, आशुतोष सिंह, नागेश साहू , कोमल लागे, व्लादिमीर शर्मा, राहुल मल्लाह, पवन यादव, श्रेयांश बद, वैभव ताम्रकार, रॉकी सलूजा, चित्रकांत सिंह, रविकांत भंडारी, संतोष जांगड़े, आर्या सिंह, अजय चंद्राकर सुरेश यादव सहित संस्था के सभी सदस्य सक्रिय रहे।

  • धमतरी से हैं प्रभु श्रीराम के नाता…पुत्रयेष्ठी यज्ञ के बाद हुए थे राजा दिसंबर के चार पुत्र, श्रृंगी ऋषि ने किया था यज्ञ

    अभिषेक मिश्रा, धमतरी। क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री रामचन्द्र जी का जन्म पुत्रयेष्ठी यज्ञ से हुआ था, और यह यज्ञ छत्तीसगढ़ अर्थात कौशल प्रदेश के श्रृंगी ऋषि ने किया था। धमतरी जिले के सिहावा के महेंद्रगिरी पर्वत पर श्रृंगी ऋषि का जन्म हुआ था, यहां आज भी श्रृंगी ऋषि का आश्रम है। तुलना से महानदी का उद्गम भी हुआ है. इसे भी पढ़ें: श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को दो दिन शेष, अनुष्ठान का आज पांचवा दिन, साज रे श्रीराम दरबार, देखिए तस्वीरें

    कहते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम ने भी महेंद्र गिरी पर्वत की स्थापना की थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस इलाके को रामवनगमन पथ में शामिल किया है। आज जब अयोध्या में श्री राम फिर से प्रतिष्ठित हो रहे हैं तो धमतरी के श्रृंगी ऋषि पर्वत में फिर से प्रतिष्ठा हो गई है।

    छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से दक्षिण दिशा में करीब 160 किमी दूर धमतरी जिले में महेंद्रगिरी पर्वत के नीचे और महानदी के तट पर बसा ग्राम पंचायत सिहावा है। सिहावा में शक्तिमान पर्वत पर स्थित मंदिर और उस पर लहराते ध्वज को नीचे से ही देखा जा सकता है। अतुलनीय पर्वत की चोटी पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम है। इसे बोलचाल में श्रृंगी ऋषि पर्वत भी कहा जाता है।

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    पहले ये वीरान हुआ था. लेकिन आज यहां मंदिर, मंडप, सीढ़ियां, बिजली-पानी सब बेकार हैं। लोगों के दान और पंचायत की मदद की गई है। करीब साढ़े चार सौ सीढ़ियां आश्रम जब हम यहां पहुंचे तो यहां भी यज्ञ की तैयारी चल रही थी। ध्वज, ध्वज, कलश, रंगोली, नमूने में लोग लगे थे।

    21 जनवरी को ऋषि की प्रतिष्ठापना हुई थी

    ये एक सुखद संयोग माना जा रहा है कि 2017 में स्थानीय वेदाचार्यों और पुजारियों ने 21 जनवरी को श्रृंगी ऋषि की प्रतिष्ठा की थी, और साल 2024 में 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्रतिष्ठा की जा रही है. इस आश्रम में कई प्राचीन खंडित प्रतिमाएं भी रखी हुई हैं, जिनके बारे में कोई नहीं जानता कि ये क्या हैं। किस निर्माण का हिस्सा है, लेकिन यहां सुरक्षित रखा गया है।

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    आश्रम में शिला के नीचे श्रृंगी ऋषि की तपोमूर्ति बनी हुई है। यहाँ आते हैं, पूजा करते हैं। इस आश्रम का प्रबंधन और मठ गांव के ही पुजारी और स्थानीय वेदाचार्य करते हैं, जिनमें आम लोगों की तरफ से पूरी तरह से निवास होता है।

    फिर से हुआ श्रृंगी ऋषि पर्वत

    आज सिहावा का श्रृंगी ऋषि पर्वत फिर से अवतरित हो गया है। इसकी हर तरफ चर्चा हो रही है. और लोग इसे देखने भी पहुंच जाते हैं। वास्तव में, भगवान श्री राम जी का श्रृंगी ऋषि से सीधा संबंध था। रामचरित्र मानस के बाल कांड में बताया गया है। कि जब राजा महाराजा का जन्मोत्सव के रूप में कोई चित्र प्राप्त नहीं हुआ तो चिंता का विषय था। ऐसे समय में महर्षि वशिष्ट ने शोभा श्रृंगी ऋषि के शरण में जाने की सलाह दी थी।

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    उस युग में कहा जाता है कि श्रृंगी ऋषि ने ही अपनी तपस्या से पुत्रयेष्ठी मंत्र सिद्ध किया था। महर्षि वशिष्ट के कहे राजा दशरथ सिहावा के महेंद्र गिरी पर्वत में आ और श्रृंगी ऋषि के शरण में उनके आशीर्वाद से पुत्रयेष्ठी यज्ञ करने की प्रार्थना की। कहा जाता है कि राजा दशमीर के साथ श्रृंगी ऋषि अयोध्या गए थे, वहां उन्होंने यज्ञ किया था, और राजा के दशमीर को तीन राणियों के मंदिर में प्रसाद प्राप्त किया था, इसके बाद भगवान राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था।

    हिरणी के गर्भ से हुआ था ऋषि का जन्म

    धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रृंगी ऋषि का जन्म हिरणी के गर्भ से हुआ था। उनका अस्सिटेंट पर यंग था। और सींग इसी कारण उनका नाम श्रृंगी ऋषि पड़ा। कहा जाता है कि श्रृंगी ऋषि महर्षि विभांडक के पुत्र और कश्यप ऋषि के पुत्र थे। इस प्रकरण में बताया गया है कि विभांडक महान तपस्वी थे, जो महेंद्रगिरी पर्वत पर रहते थे। साथ ही वो बेहद आकर्षक देहयष्टि वाले थे।

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    स्वर्ग की अप्सराएँ उन पर मोहित हो गई थीं। एक बार जब विभाण्डक ऋषि तपस्या कर रहे थे, तब एक अप्सरा हिरणी का रूप लेकर उनका बंद हो गया। और इसी समय विभाण्डक ऋषि का वीर्य स्खलित हो गया, और पास के जल कुंड में मिल गया। इस पानी को हिरणी ने पी लिया, और बेहोश हो गई। इसी हिरणी के गर्भ से श्रृंगी ऋषि का जन्म हुआ था। ये भी कहा जाता है कि श्रृंगी ऋषि महेसासा महेंद्र गिरी पर्वत पर ही जन्में, और यही रहे। यहां तपस्या की. उन्होंने कभी किसी औरत को नहीं देखा था.

    श्रेष्ठ दक्षिणा के रूप में दी गई बेटी शांता

    सिहावा के श्रृंगी ऋषि पर्वत पर माता शांता का भी छोटा सा मंदिर है। माता शांता राजा दशहरा की सबसे बड़ी संतान थीं। यानी भगवान राम की बड़ी बहन थी, जिसमें माता कौशल्या की बहन ने गोद लिया था। राजा चतुर्थांश ने पुत्रयेष्ठी यज्ञ के बाद, श्रृंगी ऋषि को दक्षिण के श्रेष्ठ के रूप में अपनी बेटी शांता को दिया था, और इसी कारण श्रृंगी ऋषि आश्रम के पास माता शांता का मंदिर भी बनाया गया है।

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    सिद्धांत यह भी है कि आज भी निसंतान दंपत्ति श्रृंगी ऋषि के आश्रम में पूजापाठ और यज्ञ के बाद संत प्राप्त होते हैं। श्रृंगी ऋषि पर्वत से ही छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी का भी उद्गम माना गया है। पर्वत पर एक छोटा कुंड है, जो कभी सुखता नहीं है। यह भी कहा जाता है कि वनवास के समय भगवान राम लंबे समय तक महेंद्रगिरि पर्वत के आसपास रहे थे। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस इलाके को राम वन गमन पथ में शामिल किया है.

  • सीजी की षष्ठम विधानसभा के प्रबोधन कार्यक्रम का आज होगा प्रारंभ, उत्तर प्रदेश, इंडोनेशिया, शामिल होंगे कई दिग्गज

    नितिन नामदेव, रायपुर। छत्तीसगढ़ की षष्ठम विधानसभा का प्रबोधन कार्यक्रम का आज से प्रारंभ होने जा रहा है। सुबह 11 बजे से कार्यक्रम की शुरुआत होगी. दो दिव्य इस कार्यक्रम में देश के कई दिग्गज शामिल होंगे। कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के मुख्य आतिथ्य में होगा।

    कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री दिव्य विजय शर्मा और अरुण साव, नेता प्रतिपक्ष का उद्बोधन भी होगा। इस कार्यक्रम में नोबेल अध्यक्ष ओम बिरला के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी शामिल होंगे।

    नागपुर के कार्यक्रम में शामिल होंगे सीएम

    प्रबोधन कार्यक्रम में सीएम भी मौजूद रहेंगे। इससे पहले सुबह 9.20 बजे स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट के कलाकार और रात 9.30 बजे उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की तस्वीरें लेंगे। प्रबोधन कार्यक्रम के बाद सीएम शाम 6 बजे नागपुर से प्रस्थान करेंगे। वहाँ से वे राष्ट्र संत तुकड़ो जी महाराज विद्यापीठ जायेंगे। यहां शाम 7 बजे से आयोजित राष्ट्रीय गणतंत्र महोत्सव में शामिल होंगे। इसके बाद सीएम रात 9:30 बजे नागपुर से रामपुर पहुंचे।

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  • एनईसी के 71वें पूर्ण सत्र में शामिल हुईं डेमोक्रेट गवर्नर अनुसुइया उइके, कहा-केंद्रीय नेताओं के सहयोग से विकास और शांति के पथ पर वापसी

    काउंसिल की गवर्नर अनुसुइया उइके ने आज स्टेट कन्वेंशन सेंटर, शिलांग, मेघालय में नॉर्थ ईस्ट काउंसिल (एनईसी) की 71वीं पूर्ण बैठक में भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की. बैठक में केंद्रीय दानदाता मंत्री जी किशन रेड्डी, राज्य मंत्री दानदाता, बली वर्मा, उत्तर पूर्वी राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। संवाद सत्र के दौरान अनुसुइया उइके ने केंद्रीय गृह मंत्री और उत्तर-पूर्व परिषद के अध्यक्ष अमित शाह को बधाई दी और उत्तर प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास में केंद्र सरकार की ओर से निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन की बात कही।

    गवर्नर ने बताया कि कई लोग इस समय राहत शिविरों में रह रहे हैं और उन्हें उनके घर भेजने की जरूरत है। वे उन लोगों को स्वायत्त राहत राशि/अंतरिम राहत राशि की आपूर्ति की आवश्यकता पर दिया गया, रासायनिक संरचना को नष्ट कर दिया गया है। उइके ने ऑर्थोडॉक्स एसोसिएशन एवं आवास उपलब्ध कराने की सिफारिश की। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए राजमार्गों को सुरक्षित करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में पोस्ता की खेती के विकल्प के रूप में चाय बागान विकसित किये जा सकते हैं, क्योंकि इससे पोस्ता की खेती करने वालों के लिए वैकल्पिक व्यवसाय संभव है।

    उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने सुझाव दिया कि सरकारी मंजूरी के लिए विकास श्रमिकों की राशि से कर्मचारियों को वेतन की स्थिति दी जाए, जिसे समाप्त करने के लिए उन्होंने कहा कि राज्य को अनुदान के रूप में एकमुश्त राशि से छूट दी जाए। दी जानी चाहिए, ताकि वेतन भुगतान के लिए इसका उपयोग आवश्यक हो सके। अमेरिका को देश में खेलों का पावर हाउस कहा जाता है। राज्यपाल अनुसुइया ने आग्रह किया कि खिलाड़ियों को प्रशिक्षण, प्रोत्साहन और खेल के लिए वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया जाना चाहिए, क्योंकि राज्य में प्रतिभावान खिलाड़ी मौजूद हैं।

    गवर्नर ने कहा कि राज्य में प्राकृतिक और पर्यावरण की दृष्टि समृद्ध है और ऐसे में यहां पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कला, संस्कृति और हस्तशिल्प उच्च गुणवत्ता वाले हैं, जिसका उपयोग रोजगार, व्यापार और व्यवसाय को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में केंद्रीय नेताओं का सहयोग राज्य को निकट विकास और शांति के पथ पर वापस लाएगा।

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  • CG NEWS : पटवारी ने फर्जी तरीके से जमीन का नामांतरण कर लिया फर्जीवाड़ा, बैंक से लिया 22 लाख का लोन, एक गिरफ्तार का मामला

    सारंगढ़-बिलाईगढ़। जिले में किसान से धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। जहां पर फर्जी तरीके से जमीन का नामांतरण किया गया और फर्जी तरीके से जमीन का बैनामा करा कर फर्जी तरीके से बैंक में 22 लाख रुपये का लोन लिया गया. मामले की शिकायत कर रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। केस में अन्य पुस्तकों की खोज जारी है।

    प्रार्थी नम्मू लाल पटेल निवासी देवरानी ग्राम बिररा थाना ने 17 जनवरी 2024 को रिपोर्ट दर्ज कराई है कि उनके पास 2.5 नैकेल भूमि क्षेत्र है। मूलनिवासी परमानंद कर्सर निवासी पवनी बिलाईगढ़ और उनके सहयोगियों के साथ संबंधित आडिटिक इलेक्ट्रानिक इलेक्ट्रानिक पटवारी ने सांठगांठ कर फर्जी तरीके से जमीन का नामकरण किया। इतना ही नहीं नेट में 2.5 नैके जमीन को लगभग 12 नैके जमीन पर रखकर बी-1 और अन्य दस्तावेजों से फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया और कैश बैंक राजिम जिला गरियाबंद से 22 लाख रुपये का लोन लिया गया है। इस मामले में पुलिस ने धारा 420,467,468,471 के तहत अपराध दर्ज कर जांच जारी की है।

    धोखाधड़ी के मामले को उजागर करने से लिया गया बिर्रा पुलिस ने नवागत परमानंद कर निवासी पवनी बिलाईगढ़ जिला सारंगढ़ को उसकी सकुनत से पकड़ लिया। इश्यू में लेकर घटना के संबंध में पूछताछ की गई, जिसमें उसने अपना जुर्म कबूल किया। पुलिस ने अनाथालय को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है। मामले में अन्य आरोपियों की पुलिस पतासाजी कर रही है।

  • कोंडागांव का शिलान्यास अब स्पेन में ऑर्केस्ट्रा जूडो की ट्रेनिंग, माली अनुमान को अंतिम पड़ाव तक पहुंचाया गया

    कोंडागांव। चाहत अगर मन में हो तो राह खुद बी खुद निकल आती है। यह साबित कर दिया है जिले के एक गांव की बेटी 15 साल की रंजीता करोटे ने। कक्षा 9वीं के आर्किटेक्ट रंजीता के पिता नहीं हैं। माँ की माली हालत ख़राब है. इसलिए बेटी की पढ़ाई के लिए उसे कोंडागांव बाल कल्याण परिषद में भर्ती कराया गया। मगर यहां बेटी ने जो कारनामा कर दिखाया वह किसी से कम नहीं है। और पढें-स्टूल में मेकअप के शौक़ीन के लिए चोर बनी महिला, पड़ोसी के घर में डाला डाका, सीसीटीवी में कैद

    असल में, रंजीता बाल में अतिरिक्त कल्याण की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीबीपी के सोलो से जूडो के गुर भी सिखाने लगी। इसी लगन के साथ उनका सेलेक्शन साेई भोपाल में हो गया। यहां भी उन्होंने बाजी मार ली. अब उसे जूडो का प्रशिक्षण लेने के लिए स्पेन भेजा जा रहा है।

    रंजीता यहां ले रही थी ट्रेनिंग

    आईटीबीपी 41 बटालियन की ओर से संचालित कोंडागांव में कोचिंग कैंप है, जो वर्ष 2016 से संचालित किया जा रहा है। इससे कई बेहतर क्षेत्र के छात्र- क्लाइमेट राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जूडो में पदक ला चुके हैं। मगर रंजीता करोटे विदेश जाने वाली पहली वास्तुकार है। रंजीता आईटीबीपी में जूडो के उदय सिंह यादव और नारायण सोरेन से ट्रेनिंग ले रही थीं। वह अब तक पांच बार राज्य में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं, तो वहीं भोपाल नेशनल जूडो में कांस्य पदक और लखनऊ में भी कांस्य पदक जीत चुकी हैं।

    अब ले रही है साई भोपाल में ट्रेनिंग

    रंजीता करोटे अब साए भोपाल में अध्ययन कर रही है और कहीं पर भी जूडो का प्रशिक्षण ले रही है। विदेश भेजे जाने वाले प्लेयर्स के ट्रायल में रंजीता ने भोपाल में बाजी मारी है। अब वह 20 जनवरी को स्पेन में अंतर्राष्ट्रीय जूडो अभ्यास सिल में भाग लेने के लिए जाएगा। बता दें कि 2020-23 में रंजीता का सेलेक्शन गेम इंडिया वूमेन लीग में हुआ था। वहां से मेडल प्राप्त करने के बाद उनका चयन भोपाल सानी में हो गया, जहां अब वह पढ़ाई कर रही हैं।

    यह है परिवार की स्थिति

    रंजीता कोंडागांव विकासखंड के ग्राम फरसागांव के कोर कोटे गांव की है। पिता के देहान्त के बाद माँ पालन-पोषण पोषण कर रही थी, लेकिन जब आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो उसे पढ़ने के लिए माँ ने कुंडा के बाल कल्याण परिषद में भर्ती विद्यालय में दाखिला लिया। यहां रंजीता पढ़ाई के साथ-साथ जूडो भी सिखाने लगी थी।

    लोगों के लिए मिसाल है रंजीता

    आईटीबीपी 41 बटालियन के ट्रेनर उदय सिंह यादव ने बताया कि, इलेक्ट्रानिक्स ने जो कारनामा कर दिखाया है, उसके लिए शब्द मेरे पास नहीं है। रंजीता ने जिले और प्रदेश ही नहीं देश को भी गौरवान्वित किया है। रंजीता लोगों के लिए एक मिसाल है. इससे मिलती-जुलती सीख यह है कि अभाव में भी लगन हो तो बंधकों को बचाया जा सकता है। मुझे पूरा विश्वास है एक दिन यही गाँव का नाम रोशन करेगा।