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  • सरकारी छात्रावास में नवाचार… शानदार सुविधाओं के बीच इठलाती हैं आदिवासी बेटियां

    कस्तूरबा आदिवासी बालिका छात्रावास में इस तरह रहने के लिए कमरों को सुंदर बनाया।

    HighLights

    मप्र के धार जिले के सुसारी में सरकारी छात्रावास का मामला।छात्रावास में हुए नवाचार निजी छात्रावासों को भी दे रहे मात।बालिकाओं की सुरक्षा का ध्यान, प्रतिदिन लगती है स्मार्ट क्लास।

    शैलेंद्र लड्ढा, सुसारी (धार)। भारत जब स्वतंत्र हुआ, तब महात्मा गांधी ने जैसा देश बनाने का संकल्प देखा था, उसमें यह भी शामिल था कि बेटियां पढ़ें और आगे बढ़ें। मप्र के धार जिले के सुसारी में लगता है बापू का यह सपना सच हो रहा है। यहां सरकारी छात्रावास में ऐसी शानदार सुविधाएं और माहौल मिल रहा है कि आदिवासी बेटियां इन सुविधाओं को पाकर इठलाती हैं और यह सब देखकर गांधीजी की अर्धांगिनी कस्तूरबा जहां होंगी, वहां प्रसन्न होकर मुस्कुराती होंगी।

    कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में अलग माहौल

    दरअसल, सरकारी छात्रावासों में अव्यवस्थाओं की खबरें आती रहती हैं, लेकिन धार जिले के निसरपुर ब्लाॅक के कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास सुसारी में कुछ अलग ही किया गया है। सहकार और जनसहयोग से कक्षा नौ से 12 तक निवास करने वाली 100 आदिवासी बालिकाओं के लिए निजी छात्रावास से भी अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाकर नवाचार का संदेश दिया गया। अगर देखें तो प्रदेश के अधिकांश इलाकों में संचालित होने वाले शासकीय छात्रावासों की बदहाल स्थिति नजर आती है, परंतु इस छात्रावास में रहने वाली बालिकाओं को स्वस्थ, स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण दिया जा रहा है।

    राजस्थानी मांडना और पिछोरा पेंटिंग

    छात्रावास परिसर दो मंजिला है और 25 कमरे हैं। प्रत्येक कमरे में चार बालिकाएं रहती हैं। एक माह पहले यहां पर पहले चरण में 12 कमरों की दीवारों पर राजस्थानी मांडना और पिछोरा पेंटिंग के साथ खिड़कियां और आलमारियों पर सुंदर परदे लगाए। साथ ही पूरे परिसर में कारपेट और पेंटिग का कार्य किया गया है।

    सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे

    परिसर में बालिकाओं की सुरक्षा के लिए आठ सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। गेट पर परिसर से बाहर अध्ययन करने के लिए चार्ट बना हुआ है। बालिकाओं को आत्मसुरक्षा के लिए कराटे, जूडो के साथ योगा क्लास का संचालन होता है। स्मार्ट कोचिंग क्लास में प्रतिदिन अलग-अलग विषय पर उच्च शिक्षित शिक्षकों द्वारा क्लास ली जाती है। परिसर में एक लाइब्रेरी जनसहयोग से बनाई गई है। निजी चिकित्सक भी हर माह स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं। बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई, पेंटिंग, वेस्ट से बेस्ट और परंपरागत आदिवासी वेशभूषा किस तरह बनाई जाती है, उनकी भी समय-समय पर ट्रेनिग करवाई जाती है। इसके पीछे यह मकसद कि अगर पढ़ाई के बाद बालिका नौकरी ना कर पाए तो वह इस तरह के कार्य कर खुद आत्मनिर्भर बन जाए।

    खाना हमेशा गर्म मिलता है

    बालिकाओं का खाना हमेशा गर्म मिले, इसके लिए छात्रावास में बिजली से गर्म पानी कर उसकी भाप से भोजन गर्म रहता है। कभी-कभी आदिवासी परंपरा अनुसार देसी चूल्हे और खापरी पर बने भोजन के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। मेस में डायनिग टेबल पर भोजन की व्यवस्था के साथ पीने के लिए आरओ पानी की व्यवस्था की गई।

    जनसहयोग के साथ अपने वेतन से 10 फीसद राशि का उपयोग

    सभी कार्य में स्कूल के सहपाठी भी सहयोग कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर भी जनसहयोग से अभी तक एक लाख की राशि एकत्रित की और मैं अपने वेतन में से 10 फीसद राशि का उपयोग इस कार्य में करती हूं। इसके पीछे मेरा यह उद्देश्य है कि अगर आप का रहने का वातावरण अच्छा हो तो पढ़ाई में दिक्कत नहीं आती है।- राधा डोडवा, आश्रम अधीक्षक

  • Ganpati Ghat: गणपति घाट पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बन रही सड़क, अब सिर्फ 2 किमी का काम बाकी

    गणपति घाट को व्यवस्थित किया जा रहा है ताकि हादसे कम किए जा सकें।

    HighLights

    100 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे गणपति घाट का काम जारी। निर्माण एजेंसी ने अब तक साढ़े छह किमी की सड़क तैयार कर दी है।गणपति घाट पर अंडर पास का काम अगले महीने पूरा किया जाएगा।

    नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Ganpati Ghat)। सड़क हादसों को रोकने के लिए मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर गणपति घाट को व्यवस्थित किया जा रहा है। साढ़े आठ किमी लंबे नए मार्ग निर्माण का काम काफी धीमा है। जबकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को दिसंबर तक काम खत्म करना है।

    अभी फ्लाईओवर और दो किमी की सड़क का डामरीकरण बाकी है। हालांकि अंडर पास का काम अंतिम चरण में पहुंच चुका है। फिलहाल निर्माण एजेंसी को ब्रिज के लिए फ्लाई एश की जरूरत है। इसे लेकर महीनेभर का इंतजार करना होगा।

    जून 2023 पर शुरू हुआ था निर्माण

    100 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे गणपति घाट का काम जून 2023 में शुरू हुआ था। निर्माण एजेंसी ने साढ़े छह किमी की सड़क तैयार कर दी है। डामरीकरण भी हो चुका है। अंडर पास का काम अगले महीने पूरा किया जाएगा।

    आने-जाने वाले वाहनों को हो रही दिक्कत

    निर्माण कार्य चलने के बावजूद यहां से वाहनों को निकलने के लिए वैकल्पिक मार्ग नहीं है। इसके चलते मार्ग पर वाहनों की आवाजाही में काफी दिक्कतें होती है। कई बार गाड़ियां आपस में टकरा जाती हैं। जबकि रात में अधिक दिक्कत है। इस वजह से आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं।

    दिसंबर तक पूरा हो जाएगा सड़क का काम

    अधिकारियों के मुताबिक सड़क का दो किलोमीटर का हिस्सा बाकी है। बेस तैयार होने के बाद सीमेंटीकरण होगा। बाद में डामर बिछाई जाएगी। दिसंबर तक काम पूरा किया जाएगा। इस संबंध में निर्माण एजेंसी को निर्देश दिए जा चुके हैं।

    समय से पहले करेंगे काम

    दिसंबर तक गणपति घाट बनाने की डेडलाइन है, जो समय से पहले पूरा किया जाएगा। वैसे दो किमी की सड़क का डामरीकरण और ब्रिज बनना बाकी है। ओंकारश्वर में इन दिनों कावड़ यात्री पहुंच रहे हैं। इस दौरान वहां से भारी वाहन को लेकर प्रतिबंध लगा है। – सुमेश बांझल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण

    नहीं आ रहे भारी वाहन

    सावन होने के चलते इन दिनों ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर आने-जाने वाले कावड़ यात्री निकल रहे हैं। इस बीच इंदौर-खंडवा रोड पर भारी वाहनों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके चलते गणपति घाट पर बनने वाले ब्रिज के लिए फ्लाई एश नहीं आ रही है। वैसे सिंगाजी पावर प्लांट से 80 हजार क्यूबिक मीटर एश की व्यवस्था हो चुकी है। यह अगले महीने आने की उम्मीद है।

  • Mandu in Monsoon: जमीं पर उतरे बादल… मांडू में जन्नत से नजारे देख मंत्र मुग्ध सैलानी

    झमाझम बारिश के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक मांडू की सैर करने के लिए पहुंच रहे हैं।

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    मांडू में दिखा मानसून का अद्भुत सौंदर्य। रविवार को उमड़ी हजारों सैलानी की भीड़। सैलानियों ने पारंपरिक व्यंजनों के लिए मजे।

    नईदुनिया प्रतिनिधि, मांडू। मानसून की सक्रियता से इन दिनों मांडू में प्रकृति ने अपना अद्भुत सौंदर्य बिखेर दिया है। यहां जमीन पर उतरे बादलों को देख सैलानी अभिभूत है। सैलानियों का कहना है कि वह मांडू नहीं, जन्नत की सैर कर रहे हैं। यहां के ऐतिहासिक महलों के साथ अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य, ऊंचे पहाड़ों व गहरी खाइयों से उठती धुंध और बहते झरने पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। रविवार को हजारों सैलानियों ने मांडू का भ्रमण किया।

    मांडू और मानसून का गहरा नाता

    दरअसल मांडू और मानसून का आपस में गहरा नाता है। वर्षा की बूंदें जैसे ही मांडू से टकराती है। यहां पर्यटकों का आना शुरू हो जाता है। शनिवार को यहां मौसम का मिजाज देख पहले से ही हजारों सैलानी मौजूद थे। रविवार सुबह से लेकर शाम तक सैलानियों का आना-जाना लगा रहा।

    मांडू में ये प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल

    रानी रूपमती महल, बाज बहादुर महल, जहाज महल हिंडोला महल, नीलकंठ महादेव मंदिर, प्रसिद्ध चतुर्भुज श्रीराम मंदिर डिनो डायनासोर फासिल्स पार्क, प्राचीन जैन तीर्थ, अशर्फी महल दाई का महल, ईको पॉइंट, जामी मस्जिद, होशंगशाह का मकबरा होमस्टे विलेज मालीपुरा, दरिया खां का महल, लोहानी गुफा, सोनगढ़ किला, प्राकृतिक स्थल काकड़ा खाेह

    सैलानियों ने लिया भुट्टे और पकौड़े का आनंद

    सैलानियों ने मांडू भ्रमण के साथ मौसम के अनुसार भुट्टो और भजिया (पकोड़े) का आनंद लिया। वही मांडू के पारंपरिक व्यंजन दाल, मक्का के पानिए और बाफले का भी मजा लिया।

    मांडू ने ओढ़ी कोहरे की चादर

    लगातार हो रही बारिश के चलते ऐतिहासिक महलों ने कोहरे की चादर ओढ़ ली है। ऐसे में महलों का सौंदर्य निखर गया है। मांडू के चारों ओर सैलानियों को बस धुंध ही धुंध नजर आ रही है। यहां पहुंचे सैलानियों ने मित्रों, परिवार के सदस्यों के साथ फोटोग्राफी की व रील बनाकर हाथों-हाथ इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया। रविवार को पहुंचे सैलानी बारिश से बचने के लाभ जतन करते दिखे।

    वर्षों पहले मांडू का ऐसा सौंदर्य हमने देखा था। उसके बाद कई बार आए, लेकिन इस बार मांडू के वास्तविक सौंदर्य को देखने की इच्छा पूरी हो गई। – सुनील जैन, पर्यटक, इंदौर

    मैं सिविल इंजीनियर हूं, लेकिन शताब्दियों पूर्व मांडू के महलों की इंजीनियरिंग देख हतप्रभ हूं। मांडू अद्भुत है। यहां सारी खूबियां है। इसे यूनेस्को विश्व धरोहर में जल्द ही शामिल किया जाना चाहिए। – स्वाति सिंह, पर्यटक