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  • National Lok Adalat: दुर्घटना में मृतक के परिवार को एक करोड़ 35 लाख का मुआवजा

    इंदौर में शनिवार 14 सितंबर को हुई नेशनल लोक अदालत।

    HighLights

    हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में भी लोक अदालत का आयोजन हुआ।इस दौरान यहां पर दो खंडपीठों में कुल 711 प्रकरण रखे गए थे। 280 प्रकरणों का निराकरण हुआ, कुल मुआवजा 2.98 करोड़ हुआ।

    नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(National Lok Adalat)। मार्च 2021 में वाहन दुर्घटना में अजय नामक व्यक्ति की मृत्यु के बाद शनिवार को लोक अदालत में आश्रित स्वजन को एक करोड़ 35 लाख रुपये का मुआवजा दिया। अदालत में न्यायाधीश और बीमा कंपनी के अधिकारियों ने मृतक की पत्नी, दो पुत्रियों और माता को क्लेम राशि का चेक सौंपा।

    उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में भी लोक अदालत का आयोजन हुआ। दो खंडपीठों में कुल 711 प्रकरण रखे गए। 280 प्रकरणों का निराकरण हुआ। कुल मुआवजा राशि दो करोड़ 98 लाख से ज्यादा के पारित हुए।

    अलग होने के लिए दंपती पहुंचे थे कोर्ट बाहर निकले फिर हाथ थाम कर

    कुटुंब न्यायालय के भीतर दाखिल तो आपसी विवाद के चलते हुए थे और कोर्ट में लिखकर दिया था कि अब साथ रहना संभव नहीं। शनिवार को जब कोर्ट रूम से बाहर निकले तो एक दूसरे का हाथ थामे थे और फिर से घर बसाने का इरादा कर लिया। शनिवार को कुटुंब न्यायालय में 44 ऐसे ही दंपति फिर से एक हुए और पारिवारिक जीवन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

    शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के अंतर्गत कुटुंब न्यायालय में चार खंडपीठ बनाकर सुनवाई की गई। कुल 460 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए। इनमें 155 प्रकरणों को राजीनामे के आधार पर समाप्त किया गया। 44 दंपती आपसी सहमति से फिर एक साथ रहने को राजी हुए।

    प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश संगीता मदान, द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश एससी श्रीवास्तव, तृतीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश माया विश्वलाल व अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश राकेश कुमार जैन ने दीप प्रज्वलन कर लोक अदालत की शुरुआत की। लोक अदालत में एडवोकेट जितेंद्र सिंह ठाकुर, प्रणय शर्मा, प्रीति मेहना, विजय राठौर, प्रशांत गिलोरे एवं अन्य अधिवक्ताओं का सहयोग रहा।

    फिर बनी जोड़ियां

    बाणगंगा निवासी 26 साल की महिला और खंडवा रोड के 28 वर्षीय युवक चार वर्षीय पुत्र होने के बावजूद विवाह विच्छेद करना चाह रहे थे। इसी तरह तलावली चांदा के 36 वर्षीय पुरुष और 35 वर्षीय महिला दंपती भी अलग होना चाह रहे थे। दोनों शासकीय नौकरी में हैं। दो संतानों के बाद भी दोनों में विवाद बढ़ने लगे। न्यायाधीश के समझाने के बाद दंपती फिर एक हो गए।