रायपुर।। मुख्यमंत्री बाबूलाल गुरुवार को राजधानी रायपुर स्थित अपने निवास में तीजा-पोरा तिहार को प्रदर्शित कर रहे थे। इस दौरान प्रदेश की जन्मभूमि के लिए आज मुख्यमंत्री निवास माका बन गए और तीजा-पोरा तिहार में सख्त महिलाएं जम गईं। इस खुशी में सीएम बॅाचल सपरिवार शामिल हुए और देवताओं को तीजा का उपहार भी दिया गया। साथ ही मुख्यमंत्री ने सपरिवार भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की।
बताएं मुख्यमंत्री चंबा के दस्तावेजों पर पारंपरिक वेशभूषा में हजारों की संख्या में महिलाएं तीजा-पोरा मुख्यमंत्री निवास पर। इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास को पारंपरिक छत्तीसगढ़िया शैली में अपनाया गया था। तीजा-पोरा तिहार के अवसर पर महिला-बहनों के लिए मुख्यमंत्री निवास में संस्था की तरह करु भात से लेकर साज-श्रृंगार और विदाई तक साड़ी समारोहों में शामिल होना। बालाजी, आल्टा से श्रृंगार की व्यवस्था के साथ पूजा के लिए भगवान महादेव का आकर्षक मंदिर तैयार किया गया। मुख्यमंत्री सहित वहां मौजूद महिलाओं ने की पूजा- साष्टांग की। करू भात के लिए करेला चने की सब्जी, कढ़ी के साथ ठेठरी, खुरमी, बड़ा, सोहारी और अन्य छत्तीसगढ़ी गीतों की व्यवस्था की गई थी।
मुख्यमंत्री बघेल ने परिवार को लिया रायचुली झूले का आनंद
छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों के दल ने छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत से अनोखा समा बांधा। ‘तीजा पोरा के तिहार बहिनी नीक लागे मोर और गाड़ा गाड़ा जोहार…’ जैसे फिल्मों पर महिलाएं जोश थिरकीं। मुख्यद्वार के पास रायचुली झूले की व्यवस्था थी, जिसका महिलाओं ने जमकर लुत्फ उठाया। मुख्यमंत्री बघेल ने भी महिलाओं का उत्साह बढ़ाया, परिवार रायचुली झूले का आनंद लिया। मुख्यमंत्री संग सेल्फी लेने माताएं बहनें शामिल रहीं।
पारंपरिक छत्तीसगढ़िया शैली में सजा मुख्यमंत्री निवास
तीजा-पोरा तिहार कार्यक्रम के लिए पूरे मुख्यमंत्री निवास की पारंपरिक रूप में भव्य सजावट की गई थी। कार्यक्रम में तीजा-पोरा पर्व शामिल था जिसमें छत्तीसगढ़ी ग्रामीण संस्कृति और जन-जीवन के प्रतीक शामिल थे। मुख्य द्वार पर पोरा पर्व के पारंपरिक नंदिया बाला का अवतरण किया गया था। गैलरी को रंग-बिरंगे झालरों द्वारा आकर्षक कलेवर दिया गया था। ग्रामीण संस्कृति से जुड़ी नयनाभिराम संस्कृति से दीवारों को अपनाया गया। छत्तीसगढ़ी पारंपरिक आभूषणों का प्रदर्शन भी यहां किया गया।
हाथों में अंगुलियां और पैरों में माहुर बंद महिलाएं खुलीं
मुख्यमंत्री निवास में सगाई-बहनों के हाथों की शादी और पैर में माहुर की व्यवस्था की गई थी। ऐसा माना जाता है कि जब बेटी अपनी कंपनी बनाती है तो वह कुछ इसी तरह साज श्रृंगार कर तीजा के त्योहार में शामिल होती है। महिलाओं ने खूबसूरत कलाकारों और उनके चेहरे पर अलग ही मुस्कान बिखेरी, आई जिसने खूबसूरत को और बनाया दिया।