रायपुर। राजधानी की सड़कें अपने हालातों पर बाढ़ बहा रही हैं। नल योजना मिशन के साथ नगर निगम की ओर से पोल रुक-रुक कर हो रही बारिश ने खोल दी है। राजधानी की सड़कों पर रेले एवेरेस्ट फतह से कम नहीं है। मूंगफली के खोदे गए पेड़ों को दोनों परमुखा जिम्मेदार ठहराया गया, जिसमें नागारिकों की सुविधा बढ़ाने के बजाय उनके संसाधनों को बढ़ाया गया है।
दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से राजधानी में बारिश हो रही है। मुख्य बाजार में तिहारे सीजन में आना-जाना तयिर साबित हो रही है। पाइप लाइन से खोदे गए गड्डे के आस-पास निर्माण सामग्री दुघर्टना को आमंत्रित किया जा रहा है। राजधानी में खोदे गए स्कोर से 30-40 प्रतिशत दुघर्टना में वृद्धि हुई है। बारिश न हो तो भी बारिश का खतरा बना रहता है। पूरे छत्तीसगढ़ में राजनीतिक बुखार छा गया है, राजनीतिक आश्रमों से फुरसत नहीं है। सूची में शामिल पूंजीपतियों की सूची भी बन सकती है। इस पर किसी का ध्यान ही नहीं है। सभी दल अपनी मस्ती में मस्त हैं। यहां की राजधानी की जनता से पोस्ट है। बारिश रुकते ही खोदे जाएंगे, गंदगी के ढेर से लोग आई फ्लू का शिकार हो जाएंगे।
राजधानी में पिछले एक साल से जल रहे नल-जल योजना की पाइप लाइन, मुख्य बाजारों के साथ-साथ वार्डों के गली-मोहल्लों में लोगों का आवागमन बंद कर दिया गया है। आम नागारिकों के साथ वाहनों की रेटिंग 100% तक पहुंच गई है। ऐसा लग रहा है कि राजधानी की राजधानी बसी हुई है। अब विधानसभा चुनाव के बाद सड़कों में सुधार होगा। क्योंकि राजनीतिक शास्त्र के साथ जिम्मेदार विभाग इस दिशा में कोई निर्णय नहीं ले पा रहा है।
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