मोटी फ़ीसदी प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस, अब ईडब्ल्यूएस कोटा से

रायपुर। मेडिकल कॉलेज में EWS (गरीबी रेखा से नीचे) कोटे का लाभ “फर्जी गरीब” बड़े पैमाने पर उठा रहे हैं। ऐसे लोगों की पोल कंसल्टेंसी खोली जा रही है, मगर चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से कोई जांच की जा रही है, इसके बजाय इन लोगों को सीधे तौर पर रखा जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि जो छात्र लाखों पिज्जा खर्च करके प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई करके आ रहा है उसे बिना सोचे समझे पीजी में कैसे पढ़ा जा रहा है।

वकीलों के संगठन ने दी है याचिका

नेशनल ऑर्गनाइजेशन यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट एसोसिएशन की छत्तीसगढ़ इकाई के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. हीरा सिंह लोधी और अन्य डॉक्टरों ने ऐसे डॉक्टरों की लिखित याचिका दायर की है। 2023 में आयोजित एनईईटी परीक्षा का चित्रण में भाग लिया गया है और ईडब्ल्यूएस संवर्ग के अंतर्गत सीट एबंटिट की गई है।

35 लाख खर्च कर बने डॉक्टर

डॉ. हीरा सिंह ने टीआरपी न्यूज से बातचीत में बताया कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस साल में करीब साढ़े 7 लाख रुपये हो जाती है और इस दौरान 4 साल में लगभग 35 लाख रुपये खर्च हो जाते हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई शंकरा मेडिकल कॉलेज, भिलाई से पूरी तरह करके जिन दो छात्रों ने पीजी याने यूनिवर्सिटी में डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी) का कोर्स करने के लिए दाखिला लिया है, उनके सभी मेडिकल शिक्षा विभाग के बारे में कुछ भी जानते हैं, केवल ईडब्ल्यूएस कोटे का प्रमाण पत्र इन्हें देखकर इस कोट से प्रवेश कैसे दिया गया।

भी अज्ञात बने विभाग के अधिकारी को जानना

एमबीबीएस की पढ़ाई करके निकले छात्रों की मार्कशीट में इस बात का जिक्र रहता है कि उन्होंने जनरल कैटिगरी या फिर किसी और कोटा के तहत एमबीबीएस में प्रवेश लिया और पढ़ाई की। वर्तमान में ऐसे दो छात्रों के नाम सामने आए हैं। ऐसे लोगों की पात्रता पर अगर शक हो तो उनकी जांच की जा सकती है, लेकिन सभी को कुछ जानकारी है और चिकित्सा शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी सीधे तौर पर जानकारी दे रहे हैं। ऐसे में इनमें से किसी का भी आत्मविश्वास होना स्वाभाविक है।

मेडिकल के जिन दो छात्रों के नाम उजागर हुए हैं उनमें से एक शिवम कौशिक पिता डेके कौशिक और दूसरे छात्र मानसी शाह पिता कीर्ति शाह हैं। बताया जा रहा है कि मानसी शाह के पिता भी बीएएमएस डॉक्टर हैं। यूनाइटेड डॉक्टर्स एसोसिएशन ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त और निदेशक से अनुरोध किया है कि वे छात्रों के ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र की जांच करें और किसी प्रकार के पंजीकरण में सुधार के कदम उठाएं। ।।

टीआरपी न्यूज ने ईडब्ल्यूएस कोटे के फर्जीवाड़े को उजागर किया था

बता दें कि पिछले साल ही टीआरपी न्यूज ने मेडिकल की पढ़ाई में ईडब्ल्यूएस कोटे के नाम पर हर साल फर्जीवाड़े को शामिल किया था। टैब इस मुद्दे पर डीएमई और स्वास्थ्य मंत्री से भी चर्चा हुई थी। कायदे से ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्रों के वैज्ञानिक-निर्माता-निर्माता से जांच करा लेनी चाहिए मगर साफ नजर आती है कि विभाग के मुख्य अधिकारी और सहयोगी से जुड़े टीम के लोग भी अनजान बन गए हैं। अन्यथा प्राइवेट में एमबीबीएस करने वाले छात्रों को पीजी में कैसे दाखिला दिया जा रहा है।

टीआरपी न्यूज़ द्वारा पूर्व में प्रकाशित की गई खबर:

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कौन सा उपकरणीय चिकित्सा शिक्षा विभाग..?

याचिकाकर्ताओं के संगठन द्वारा इस तरह की याचिका स्मारक पर ली गई है जिसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी सहयोगी ईडब्ल्यूएस कोटे से यात्री लेने वाले छात्रों की जांच की जाएगी ताकि प्रतिभावान और पात्र छात्र चिकित्सा की पढ़ाई करने से आलोचना न हो। ऐसी ही एक याचिका दायर करने वाले वकील के संगठन ने स्टेज तैयार किया है। प्रार्थना-पत्र पर नजर डालें :