रायपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा स्विटज़रलैंड के सचिवालय द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद मुख्य सचिव द्वारा शपथ पत्र में मुख्य सचिव द्वारा अलग-अलग स्थानों के प्रमुख सचिवों की बैठक 4 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी।
छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति के मुख्य सचिव का इस कदम पर स्वागत है और उम्मीद है कि डीजे के आतंक से मुक्ति मिलेगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में नितिन सिंघवी ने राज्य में नामित अभिलेख पत्रों के खिलाफ यह निर्देश दिया था कि छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति ने दूसरी बार उच्च न्यायालय में कलेक्टरों और एसपी राजपूतों के खिलाफ अभिलेखों के अभिलेख रखे हैं।
उच्च न्यायालय ने अपने कियोडिआ ऑर्डर में लिखा है कि 2016 के ऑर्डर का पालन न करने के कारण डिवीजन बेंच में खिलाड़ियों को भर्ती किया गया है। अभी तक रजिस्ट्रार और एसपी रायपुर चार कंपनियों के दस्तावेजों की चोरी हो चुकी है
2016 का आदेश पूरे प्रदेश के लिए दिया गया है, जिसमें विस्तृत निर्देश दिये गये हैं। समिति ने मांग की है कि 2016 के ऑर्डर का पालन और मूल भावना में पूरे प्रदेश में अभी तक राजधानी रायपुर में ही 2016 के ऑर्डर का पालन नहीं किया जा रहा है।
2016 का ऑर्डर क्या है
दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि क्लस्टर में डीजे नहीं बजेगा। जब भी ऐसे डीजे दिखेंगे तो उनके कलाकार निर्देशित होते हैं और जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ही छोड़ दिए जाते हैं। लेकिन रायपुर प्रशासन डीजे बजने के बाद, ध्वनिक प्रदूषण हो जाने के बाद, कुछ असंगठित को खाना बनाने के लिए बेचने के लिए मजबूर किया जाता है। कई बार थाने में पेनल्टी लगाकर छोड़ दिया जाता है और कई बार कोलाहन अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाता है। डीजे फैकल्टी को उनके मशीनरी वाहन वापस मिल जाते हैं। पुलिस द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि डीजे के बदले डेसीबल में जावे जबकि डीजे के बजाय डेसीबल ही नहीं जाना जाता है। कई बार ध्वनि के निर्धारित मानक से अधिक के मानक की जानकारी डीजे उपकरण को दी जाती है पुलिस डीजे द्वारा आयुक्त की बैठक में यह भी कहा जाता है कि वाहनों से बाहर नहीं रहना चाहिए तो मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी, जब कि एसोसिएशन में डीजे को कोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन माना है।
बिल्डिंग दस्तावेज़ीकरण प्रशासन में शामिल नहीं है
अदालत द्वारा दिए गए अनुसार जब भी कोई आवेदक किसी विशेष पार्टी या धार्मिक-सामाजिक संगठन में ध्वनि प्रदूषण कर्ता होता है तो प्रशासन उन्हें उच्च न्यायालय के आदेश से सहमत नहीं होता है और वे जब भी सहमत नहीं होते हैं तो उच्च न्यायालय में प्रतिभागियों के खिलाफ वाद-विवाद करने वालों की सूची जारी की जाती है। है. रायपुर रजिस्ट्रार और एसपी ने उच्च न्यायालय में दस महीने पहले पूर्व शपथ पत्र दिया था कि दो लोगों के खिलाफ लाइसेंस की शिकायत की जाएगी लेकिन आज तक इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है।
समिति ने मांग की है कि पुलिस डीजे प्लेयर को मना किया जाए और ऑर्गनाइज डीजे बजाये जाएं, ऐसे में समिति ने मांग की है कि कोर्ट में सभी ऑर्गनाइजीगर के खिलाफ ग्रुप फाइल की जावे और जो दो ग्रुप की फाइल अभी तक नहीं आई है उन्होंने कोर्ट में कहा कि तत्कालीन डीजे के आतंक से प्रदेशवासियों को मुक्ति मिल गई है
बप्त द्वारा नष्ट करना है 2016 के ऑर्डर के आने के कुछ समय बाद तक यह कार्यवाही पिछले कई वर्षों से एक भी एपिसोड में शामिल नहीं की गई है
कोर्ट ने कहा कि स्कूल, कॉलेज, नेशनल हॉस्पिटल, कोर्ट और ऑफिस के 100 मीटर के दायरे में ध्वनि प्रदूषण नहीं होगा। रायपुर की स्थिति के बारे में चर्चा करते हुए समिति के अध्यक्ष विश्वजीत मित्रा ने बताया कि रायपुर शहर की यह स्थिति है कि पिछले साल 900 लाल वाले एम्स अस्पताल के परिसर में ही तीन दिन तक एक फेस्ट का आयोजन किया गया था, जिसकी मांग की गई थी आवाज 1 दूर तक बताए गए आउटलेट्स में कहा गया था, ये नहीं आए दिन कॉम अस्पताल के सामने, बैराज के सामने डीजे बजाते हुए रायपुर की जनता बनी है।
चिंतित है रामपुर की जनता
जिस तरह के डीजे का जादू, रायपुर शहर में कायम है, उस पर लोगों की उत्सुकता बनी हुई है और आने वाले कुछ महीनों में रायपुर शहर की जनता को शांत माहौल में बजने वाले ध्वनि प्रदूषण को सहना पसंद है।
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