रायपुर। राजधानी रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वकीलों की टीम ने जटिल ऑपरेशन को फिर से अंजाम देने के लिए एक बार नया कीर्तिमान स्थापित किया है। अब तक एम्स द्वारा कई सफल आपरेशन के बाद नए कीर्तिमान की स्थापना की गई, जिसमें प्लास्टिक और हड्डी रोग विभाग के डॉक्टरों ने हाथ से कटकर अलग-अलग जगहें बनाईं, सात घंटे में पुन: जोड़ में सफलता पाई है।
पीड़ित अब पूरी तरह से स्वस्थ है। भानपुरी निवासी 38 वर्ष के युवा का हाथ 25 सितंबर को लकड़ी काटने वाली मशीन से कट गया था। दुर्घटना के 90 मिनट के अंदर स्वजन थाली को बर्फ में गिरे हुए द्वीप के साथ एम्स के ट्रामा एवम उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में। यहां डॉक्टरों ने स्थिति की सूची को देखते हुए तुरंत भर्ती कर ली। प्लास्टिक सर्जरी और हड्डी रोग विभाग के फार्मासिस्ट ने पीड़ित के कटे हाथ का परीक्षण किया। डॉक्टरों ने सर्जरी के माध्यम से नाखूनों को जोड़ने के लिए तुरंत ऑपरेशन करने का निर्णय लिया।
सात घंटे तक चलने पर आप ऑपरेशन में हाथ को पुनः जोड़ने में जुट गए। हड्डी और जोड़ों को जोड़ने के लिए माइक्रोस्कुलर तकनीक का प्रयोग किया गया। अभी मरीज के हाथ में रिएक्शन आ गया है। इसमें कुछ ही सामान्य होने की उम्मीद है। सर्जरी की टीम में विभागाध्यक्ष डा. जितेन कुमार मिश्रा, डा. शर्मेंद्र आनंद साहू, आर्थोपेडिक विभाग के डा. सुदर्शन, एनेस्थीसिया विभाग के डा. दैवी त्रिमूर्ति, डा. चंदन डे और डा. जावेद के साथ डॉक्टर्स डा. अबी, डा. अपराजिता, डा. जलज, डा. अभिजीत और डा. निकिता शामिल थीं। निदेशक डा. अजय सिंह ने की सर्जरी पर हेयरस्टाइल।
समय पर पहुंच से वृद्धि हो जाती है
डा. जितेन कुमार मिश्रा ने बताया कि यदि कटे हुए अंग को समय पर अस्पताल में बर्फ के अंदर संरक्षित सतह में पहुंचाया जाए तो इसे पुनः प्रतिस्थापित करने की संभावना काफी अधिक होती है। इसके लिए जरूरी है कि अंग स्ट्रेट स्नो के संपर्क में न आएं। यदि अंग सामान्य अवस्था में एक घंटे से अधिक समय तक काटा जाता है और छह से आठ घंटे की आंतरिक सर्जरी की जाती है, तो इसे पुनः आरंभ किया जा सकता है।