नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में पेश किए गए वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए पर्याप्त आवंटन किया गया है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला और वित्त मंत्री के रूप में सीतारमण का सातवां बजट है। बजट ने सवाल खड़े किए हैं और बहस को जन्म दिया है, कुछ लोगों ने इसे राष्ट्रीय विकास के बजाय राजनीतिक लाभ के लिए अधिक लक्षित बजट बताया है। बिहार और आंध्र प्रदेश को महत्वपूर्ण आवंटन क्यों मिला और इसे लेकर विवाद क्यों हैं, इसकी व्याख्या करने वाले 10 प्रमुख बिंदु यहां दिए गए हैं:
बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए प्रमुख घोषणाएं:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए 58,900 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती तथा अन्य परियोजनाओं के विकास के लिए 15,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की। इस महत्वपूर्ण आवंटन को जेडी(यू) अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाले राज्यों के लिए एक बड़े वरदान के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक संदर्भ:
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों ही केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए के सहयोगी हैं। भाजपा के अकेले बहुमत से दूर होने के कारण उसे इन क्षेत्रीय दलों के समर्थन की जरूरत है, इसलिए आवंटन को उनके निरंतर गठबंधन और समर्थन को सुरक्षित करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
विपक्ष के आरोप:
विपक्ष ने बजट की आलोचना करते हुए मोदी सरकार पर राजनीतिक पक्षपात का आरोप लगाया है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसे “कुर्सी बचाओ” बजट बताया, जिसका उद्देश्य अन्य राज्यों की कीमत पर राजनीतिक सहयोगियों और व्यापारिक मित्रों को खुश करना है।
क्षेत्रीय पूर्वाग्रह के दावे:
कांग्रेस से राहुल गांधी, शशि थरूर और पी. चिदंबरम तथा सपा से अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने बजट की आलोचना करते हुए इसे पक्षपातपूर्ण बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह बजट अन्य क्षेत्रों और राज्यों की उपेक्षा करता है तथा केवल भाजपा के राजनीतिक सहयोगियों पर ध्यान केंद्रित करता है।
मित्र राष्ट्रों की प्रशंसा:
आलोचना के बावजूद बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने बजट की तारीफ की है। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने पीएम मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का शुक्रिया अदा किया। बिहार के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बजट का स्वागत करते हुए इसे बिहार के लिए ‘आशीर्वाद’ बताया।
बिहार के लिए पर्याप्त आवंटन:
बजट में बिहार में विभिन्न सड़क परियोजनाओं के लिए 26,000 करोड़ रुपये शामिल हैं, जिसमें पटना-पूर्णिया और बक्सर-भागलपुर को जोड़ने वाले एक्सप्रेसवे शामिल हैं। इसके अलावा पीरपैंती में 2400 मेगावाट की बिजली परियोजना के लिए 21,400 करोड़ रुपये और बाढ़ राहत एवं प्रबंधन के लिए 11,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्थलों का विकास:
बजट में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह बिहार में महाबोधि मंदिर और विष्णुपद मंदिर के विकास का जिक्र किया गया है। इसके अलावा, बिहार में नए मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट और खेल इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए जाएंगे।
आंध्र प्रदेश के लिए समर्थन:
बजट में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत आंध्र प्रदेश के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें पानी, बिजली, रेलवे और सड़क जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए धन के साथ-साथ पोलावरम सिंचाई परियोजना को पूरा करने और पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए वित्तीय सहायता भी शामिल है।
बिहार और आंध्र प्रदेश का सामरिक महत्व:
महत्वपूर्ण आवंटन को भाजपा द्वारा अपने राजनीतिक गठबंधन को बनाए रखने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जाता है। 2024 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने 240 सीटें हासिल कीं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से कम है। टीडीपी और जेडी(यू) ने क्रमशः 16 और 12 सीटें जीतीं, जिससे भाजपा के सरकार गठन के लिए उनका समर्थन महत्वपूर्ण हो गया।
राजनीतिक मांगों में संतुलन:
बिहार और आंध्र प्रदेश को वह विशेष दर्जा नहीं मिला जिसकी वे लंबे समय से मांग कर रहे थे, लेकिन पर्याप्त बजट आवंटन क्षतिपूर्ति उपाय के रूप में काम करता है। यह कदम सुनिश्चित करता है कि भाजपा एनडीए गठबंधन में महत्वपूर्ण सहयोगी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का राजनीतिक समर्थन बरकरार रखे।