पीएम-सीजेआई मुलाकात पर विपक्ष की चिंताओं पर भाजपा की ‘इफ्तार पार्टी’ का जवाब | भारत समाचार

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गणेश पूजा के अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर आकस्मिक यात्रा को विपक्ष की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से संबंधित एक ऐसी ही घटना की याद दिलाते हुए जवाब दिया है।

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने 2009 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन के साथ इफ्तार पार्टी में हंसते हुए मनमोहन सिंह की कुछ पुरानी तस्वीरें साझा कीं।

पूनावाला ने 2009 की इफ्तार पार्टी की पुरानी तस्वीरें प्रसारित कीं, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन साथ में दिखाई दे रहे थे। पूनावाला ने टिप्पणी की कि उस दौरान विपक्ष का मानना ​​था कि “न्यायपालिका सुरक्षित थी।” उन्होंने इसकी तुलना मौजूदा स्थिति से की, जहां प्रधान न्यायाधीश के आवास पर गणेश पूजा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति के कारण यह दावा किया गया कि “न्यायपालिका से समझौता किया गया है।”

2009- प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इफ्तार पार्टी में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन शामिल हुए- शशशश – ये सेक्युलर है.. न्यायपालिका सुरक्षित है!

पीएम मोदी ने वर्तमान CJI हाउस में गणेश पूजा में भाग लिया – हे भगवान न्यायपालिका से समझौता pic.twitter.com/vhkUdRRVHI — शहजाद जय हिंद (मोदी का परिवार) (@Shehzad_Ind) 12 सितंबर, 2024

विपक्ष की टिप्पणी पर भाजपा के संबित पात्रा ने कहा, ‘क्या उन्हें दुश्मन होना चाहिए?’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि अलग-अलग ‘स्तंभ’ ड्यूटी पर होने पर और ड्यूटी से बाहर होने पर अलग-अलग शिष्टाचार बनाए रखते हैं।

पात्रा ने कहा, “विपक्ष के नेता कल सीजेआई चंद्रचूड़ के आवास पर पीएम मोदी द्वारा की गई गणेश पूजा पर राजनीति कर रहे हैं… क्या लोकतंत्र के विभिन्न स्तंभों को एकजुट नहीं होना चाहिए? क्या उन्हें दुश्मन होना चाहिए?… क्या उन्हें एक-दूसरे के प्रति कोई शिष्टाचार नहीं रखना चाहिए?”

वक्ता ने आपत्तियों में असंगति पर सवाल उठाया और कहा कि जहां प्रधानमंत्री की भारत के मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात को लेकर चिंताएं हैं, वहीं राहुल गांधी द्वारा चीनी प्रधानमंत्री इल्हान उमर और जॉर्ज सोरोस जैसी हस्तियों के साथ इसी तरह की मुलाकातों तथा समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने को नजरअंदाज कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इफ्तार पार्टियों में शामिल होने पर कोई आपत्ति नहीं थी, जिससे इन मुलाकातों के महत्व के संबंध में दोहरे मानदंड का पता चलता है।