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ग्वालियर के गोपाल मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बैंक से गहने लाकर दिए जाते है मंदिर में लाया जाएगा और फिर परीक्षण कर राधाकृष्ण के विग्रहों का शृंगार किया जाएगागोपाल मंदिर की स्थापना करीब 103 साल पहले सिंधिया राजघराने ने ही कराई थी
नईदुनिया प्रतिनिधि ग्वालियर। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर ग्वालियर के फूलबाग स्थित रियासतकालीन गोपाल मंदिर के राधा-कृष्ण के विग्रहों को बेशकीमती एंटीक गहनों से शृंगार किया जाएगा। सिंधिया रियासत काल के इन गहनों में सोना, हीरा, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज जैसे बेशकीमती रत्न जड़े हैं।
सोमवार को इन गहनों की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ मंदिर में लाया जाएगा और फिर परीक्षण कर राधाकृष्ण के विग्रहों का शृंगार किया जाएगा। इसके बाद दोपहर ठीक 12 बजे गोपाल मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। मंदिर के आसपास लगभग 400 से ज्यादा जवान तैनात रहेंगे। बता दें गोपाल मंदिर की स्थापना करीब 103 साल पहले सिंधिया राजघराने ने ही कराई थी।
यह बेशकीमती रत्न जड़ित गहने भी सिंधिया घराने की देन हैं
गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी। उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्न जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे।
इनमें राधा-कृष्ण के 55 पन्ना जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी जिस पर हीरे और माणिक लगे हैं, सोने की नथ, हार और चांदी के पूजा के बर्तन हैं। राधा-कृष्ण पहनाए जाने वाले एंटीक गहनों का रख-रखाव और उनको बैंक से निकालने का काम नगर निगम के जिम्मे रहता है। गहनों को बैंक से निकालने, रात में कोषालय में रखने और अगले दिन बैंक के लॉकर में जमा कराने का प्रबंध नगर निगम के पास है।
वहीं गहनों को बैंक से लाने और वापस जमा कराने दौरान त्रिस्तरीय सुरक्षा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी पुलिस के पास है। 17 साल से लगातार शृंगार वर्ष 2007 में इन एंटीक गहनों की देखरेख की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी गई, तब से लगातार जन्माष्टमी के मौके पर राधा-कृष्ण के विग्रहों का शृंगार किया जा रहा है।
आजादी के पहले तक भगवान इन जेवरातों धारण किए रहते थे। राधा-कृष्ण दोनों के मुकुट में हीरे और पन्ना जड़े हैं। कृष्ण की बांसुरी सोने की है और उस पर भी हीरे लगे हैं। हार में नीलम, पुखराज, पन्ना, माणिक लगे हैं।