(फाइल फोटो)
HighLights
सिटी फॉरेस्ट पिपलियाहाना में 2 साल में लहलहाता जंगल विकसित हुआ। छिंदवाड़ा से इंदौर आए संजय पटेल ने बंजर जमीन को हरा-भरा बनाया। सिटी फॉरेस्ट में 10,000 से अधिक पौधे 15 फीट ऊंचाई तक बढ़ चुके हैं।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। ‘‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों‘‘ दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को साकार होते देखना है तो आपको पिपलियाहाना में विकसित हो रहे सिटी फारेस्ट तक आना होगा। यहां लहलहाते जंगल को देख सहज ही अनुमान नहीं होता कि यह सिर्फ 2 वर्षों की मेहनत का नतीजा है।
इंदौर की बिगड़ती आबोहवा से आहत
यह मेहनत है इंदौर की उजड़ती आबोहवा से आहत एक ऐसे व्यक्ति की, जो सिर्फ अपनी बेटी की पढ़ाई के सिलसिले में छिंदवाड़ा से इंदौर आया था। बेटी कमरा लेकर अकेली रहने से यहां खुश नहीं थी। ऐसे में माता-पिता सब कुछ छोड़कर बेटी को सपोर्ट करने इंदौर ही आ गए। यहां बेटी तो पढ़ाई के सिलसिले में घर से बाहर रहती, लेकिन पिता दिनभर घर बैठे रहते।
2 वर्ष में तैयार हो गया लहलहाता जंगल
ऐसे में पिता को सूझा कि उन्हें अपने शौक पर कुछ काम करना चाहिए। चूंकि वे किसान हैं और उन्हें बागवानी में आनंद मिलता है, इसलिए वे नगर निगम गए और शहर में पेड़-पौधे लगाने के अपने शौक के बारे में बताया। निगम ने उनका जुनून देखते हुए उन्हें शहर में सिटी फॉरेस्ट डेवलप करने का टेंडर भरने को कहा। संयोग से उनके दाम कम थे, तो टेंडर उन्हें मिल भी गया। इसके बाद नगर निगम द्वारा दी गई बंजर जमीन को पति-पत्नी ने मिलकर केवल 2 वर्षों में लहलहाते जंगल में बदल दिया।
छिंदवाड़ा से इंदौर आए थे संजय पटेल
यहां बात हो रही है छिंदवाड़ा निवासी संजय पटेल की। पिपलियाहाना क्षेत्र में लहलहाते पौधों को देखते हुए पटेल ने बताया कि 2 वर्ष पहले तक यह जमीन बंजर पड़ी थी। बेटी IIT की कोचिंग के सिलसिले में इंदौर में थी, लेकिन उसे अकेले रहना अच्छा नहीं रहता था। मजबूरी में हम पति-पत्नी भी उसके साथ इंदौर आ गए। यहां मैंने देखा कि पिपलियाहाना क्षेत्र में लंबी चौड़ी जमीन बंजर पड़ी है।
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मैं किसान हूं और पौधों को रोपना और उनकी देखभाल करना मेरे संस्कार हैं। मैंने संकल्प लिया कि एक दिन मैं इस बंजर जमीन को हराभरा बनाऊंगा। कहते हैं न कि जब आपका संकल्प पवित्र हो तो ईश्वर स्वयं आपकी मदद करते हैं। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। मैंने बंजर जमीन को हराभरा करने के संकल्प के साथ निगम अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने मुझे सिटी फारेस्ट के लिए टेंडर भरने के लिए कह दिया। – संजय पटेल
सिटी फॉरेस्ट में आज 10 हजार से ज्यादा पौधे
संजय पटेल बताते हैं कि यह ईश्वरीय चमत्कार ही था कि मेरा टेंडर खुला और मुझे अपने संकल्प को पूरा करने का मौका मिल गया। दो वर्षों की मेहनत का नतीजा है कि सिटी फारेस्ट में 10 हजार से ज्यादा पौधे आज 10 से 15 फीट ऊंचाई के हो गए हैं। मैं और मेरी पत्नी दिनभर इन पौधों की देखभाल में लगे रहते हैं। ये सभी पौधे मेरे लिए मेरे पुत्र समान हैं।
पटेल कहते हैं कि हमारे वेदों में वृक्षों की महत्ता बताते हुए कहा गया है कि 10 कुओं के बराबर एक बावड़ी, 10 बावड़ी के बराबर एक सरोवर, 10 सरोबार के बराबर एक पुत्र और 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष होता है। मेरे ये हजारों बेटे बड़ा होकर सिर्फ मेरी ही नहीं पूरे शहर की सेहत का ध्यान रखेंगे। आज भी वे शहरवासियों को सांस लेने के लिए ताजा और शुद्ध ऑक्सीजन उपलब्ध करवा रहे हैं।