अभिजीत यादव।
नवदुनिया प्रतिनिधि,इटारसी। नर्मदांचल में पिछले दस सालों से हजारों जहरीले सांपों का रेस्क्यू कर लोगों एवं सांपों की जान बचाने वाले सर्प विशेषज्ञ अभिजीत यादव आखिरकार मौत के मुंह से बाहर निकल गए हैं। बुधवार शाम कोबरा सांप को तवानगर के जंगल में छोड़ने के दौरान उन्हें सांप ने डस लिया था, जिसके बाद अभिजीत की हालत बिगड़ गई थी।
उनके मित्रों ने नर्मदा अपना अस्पताल में यादव को भर्ती कराया था, जहां अस्पताल संचालक डा. राजेश शर्मा, डा. रेणु शर्मा एवं अन्य विशेषज्ञों की टीम ने वेंटीलेटर पर रखकर अभिजीत को जीवन रक्षक दवाएं दीं। अस्पताल प्रबंधक मनोज सारन ने बताया कि गुरूवार सुबह अभिजीत को मामूली होश आया है।
इशारा करने पर वह जवाब भी दे रहा है, अब माना जा सकता है कि वह खतरे से बाहर आ गए हैं, हालांकि जहर का असर ज्यादा होने से उन्हें सामान्य होने में थोड़ा वक्त लगेगा। देर शाम अभिजीत यादव के सर्पदंश का शिकार होने की जानकारी मिलने के बाद हजारों लोगों ने सोशल मीडिया पर उसकी जान बचने एवं जल्द स्वास्थ्य लाभ मिलने की कामना की थी।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई हर धर्म के लोगों ने दिल खोलकर जीत के लिए दुआ की थी, इन दुआओं और चिकित्सकों की दवाओं का असर यह रहा कि कोबरा का सांप अभिजीत के शरीर को कोई घातक नुकसान नहीं पहुंचा पाया।
कई लोगों ने जीत के स्वस्थ्य होने पर गरीबों को भोजन कराने, आर्थिक मदद करने की पेशकश भी की थी, जिसके बाद जीत मौत के मुंह से बाहर आ गए हैं। बताया गया है कि अभिजीत ने कुछ सांपों को घरों से पकड़ा था, हमेशा की तरह वे सांपों को सुरक्षित जंगल में छोड़ने के लिए साथियों के साथ तवानगर के जंगल में गए थे।
कोबरा ने डसा पर ध्यान नहीं दिया
यहां रिलीज करने के दौरान एक कोबरा सांप ने उन्हें डस लिया था, इससे पहले भी दो-चार बार ऐसा हुआ है, लेकिन अभिजीत ने इसे मामूली समझकर ध्यान नहीं दिया, लेकिन रास्ते में अभिजीत को उल्टियां होने लगीं। बैचेनी होने पर उन्हें पहले इटारसी के सरकारी अस्पताल लाया गया, यहां हालत बिगड़ने पर नर्मदा अपना अस्पताल रेफर किया गया, जहां तत्काल चिकित्सकों की टीम ने इलाज प्रारंभ कर नाजुक हालत को देखते हुए उन्हें वेंटीलेटर पर रखा था।
मान्यता प्राप्त सर्प विशेषज्ञ हैं
अभिजीत यादव वन विभाग से मान्यता प्राप्त मानसेवी सर्प विशेषज्ञ हैं, अब तक वे हजारों सांपों की जान बचा चुके हैं, एक काल पर सांप पकड़ने दिन हो या रात अभिजीत शहर से लेकर आसपास के गांवों तक पहुंच जाते हैं, इसके एवज में वे अपनी तरफ से रुपयों की मांग नहीं करते। सांपों के अलावा कई बार अन्य वन्य जीवों जैसे बाघ, तेंदुए, मगरमच्छ, बंदर, बायसन, कबरबिज्जू के रेस्क्यू में भी वे वन विभाग की मदद कर चुके हैं।