1918 में होलकर काल में बनी थी इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन योजना, बहुत रोचक है इस प्रोजेक्‍ट का इतिहास

इंदौर-मनमाड़ रेलवे परियोजना हुई मंजूर।

HighLights

जनता के घोषणा पत्र पर होने लग गया है अमल। रेल मंत्रालय ने इस परियोजना को हरी झंडी दी। मंजूरी से इंदौर के विकास को एक नई गति मिलेगी।

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर-मनमाड़ नई रेल लाइन परियाेजना स्वीकृत होने के बाद अब जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है। 106 वर्ष पुरानी इस परियोजना को लेकर नईदुनिया ने जनता की मांग पर सांसद शंकर लालवानी को 27 अगस्त को जनता का घोषणा पत्र सौंपा था।

इसमें सांसद लालवानी ने जल्द ही इस परियोजना को स्वीकृति दिलाने का कहा था। जिसके बाद सोमवार को रेल मंत्रालय ने इस परियोजना को हरी झंडी दे दी है। पांच वर्ष में परियोजना पूरी की जाना है। इसके बाद इंदौर से मुंबई की दूरी 830 किमी से घटकर 568 किमी रह जाएगी।

सौ से अधिक साल में यह सब हुआ

रेल मामलों के विशेषज्ञ नागेश नामजोशी ने बताया कि 1918 में होलकर राज्य में आर्किटेक्ट पैट्रिक गिडीस ने सबसे पहले इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन परियोजना का खाका तैयार किया था। लेकिन इस इस पर काम नहीं हो पाया। 2002 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतिश कुमार ने प्रोजेक्ट के सर्वे के लिए राशि मंजूर की और 2004 में सर्वे पूरा हुआ। लेकिन महाराष्ट्र और मप्र सरकार में समन्वय स्थापित नहीं होने के कारण कार्य शुरू ही नहीं हो पाया। इसके बाद इस परियेाजना के लिए महाराष्ट्र से आंदोलन शुरू हुआ, जो इंदौर तक पहुंचा। 2016 में सेंट्रल रेलवे ने सर्वे किया। 2019 में जहाजरानी मंत्रालय और रेलवे के बीच इस परियोजना के लिए अनुबंध हुआ। लेकिन बाद में निरस्त हो गया। अब पूरा प्रोजेक्ट रेलवे खुद तैयार कर रही है।

मुंबई की दूरी होगी कम

वर्तमान में इंदौर से मुंबई जाने के लिए रतलाम, सूरत होते हुए 830 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। इंदौर-मनमाड़ लाइन तैयार होने के बाद यह दूरी घटकर 568 किमी हो जाएगी। करीब 260 किमी की दूरी घट जाएगी। इसके साथ ही चार से पांच घंंटे का समय भी बचेगा।