जी का प्रस्तावित समाधि स्मारक ‘विद्यायतन’ युगों-युगों तक आचार्य जी के सिद्धांतों, संदेशों और उपदेशों के प्रचार का स्थान बनकर रहेगा। श्री शाह ने कहा कि जिस संत ने अपना पूरा जीवन विद्या की उपासना में बिताया, उनकी समाधि का नाम ‘विद्यायतन’ के अलावा कुछ और नहीं हो सकता। श्री अमित शाह ने कहा कि इस अवसर पर मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में निः शुल्क कन्या विद्यालय का भी शिलान्यास किया गया है। उन्होंने कहा कि इस विद्यालय में कौशल विकास और रोजगार दोनों सम्मिलित होंगे और अध्यापन कार्य मातृभाषा में होगा। उन्होंने कहा कि आचार्य जी के 108 चरण चिह्नों का भी लोकार्पण हुआ है, जो त्याग, तपस्या और संयम के जीवन का संदेश देंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत की संत परंपरा बहुत समृद्ध है। उन्होंने कहा कि देश को जब जिस भूमिका की ज़रूरत पड़ी, संत परंपरा ने उस भूमिका का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि संतों ने ज्ञान का सृजन किया, देश को एकता के सूत्र में बाँधा और जब गुलामी का कालखंड था, तब संतों ने भक्ति के माध्यम से राष्ट्र चेतना की लौ जलाए रखी। उन्होंने कहा कि देश का शासन और देश जब आज़ादी के बाद पाश्चात्य विचारों से प्रभावित होकर चलने लगा, तब विद्यासागर जी महाराज एकमात्र आचार्य थे जिन्होंने भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति से खुद को जोड़े रखा।श्री अमित शाह ने कहा कि जैन मुनियों ने पूरे देश को एक करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के हस्तिनापुर से लेकर कर्नाटक के श्रवणबेलगोला तक, बिहार के राजगीर से लेकर गुजरात के गिरनार तक हर जगह पैदल घूम कर अपने कर्मों से अपने त्याग का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आचार्य जी ने हमें सिखाया कि हमारी पहचान हमारी संस्कृति में निहित है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने ‘मूकमाटी’ नामक हिन्दी महाकाव्य की रचना की, जिस पर अनेक लोगों ने शोध और निबंध लिखे हैं। सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के आचार्य जी के संदेश का पालन करते हुए उनके अनुयायियों ने ‘मूकमाटी’ का कई भाषाओं में अनुवाद किया है। उन्होंने कहा कि ‘मूकमाटी’ में धर्म, दर्शन, नीति और अध्यात्म को बहुत गहराई से समझाया गया है और इसमें शरीर की क्षणभंगुरता का वर्णन एवं राष्ट्र प्रेम का भी संदेश है। श्री अमित शाह ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज का मानना था कि हमारे देश की भाषाई विविधता हमारी सच्ची शक्ति है। उन्होंने कहा कि जिस देश में अनेक भाषाएँ, लिपियाँ और बोलियाँ हों और अलग-अलग प्रकार के व्याकरण और गाथाएँ हों, वह देश सांस्कृतिक रूप से उतना ही समृद्ध माना जाता है।

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी और आचार्य जी के बीच बहुत ही आत्मीय संवाद रहा है। उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी का संदेश, प्रवचन व लेखन जैन समुदाय के साथ-साथ पूरे राष्ट्र के लिए एक अनमोल धरोहर है।