प्राथमिक पात्र, गरियाबंद। किडनी रोग से ग्रसित सुपेबेड़ा सहित 9 गांव के लोगों को नदी से लेकर पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए 8.45 करोड़ की सामूहिक जल प्रदाय योजना का निर्माण शुरू हुआ। लेकिन इससे पहले ही डायफ्राम वॉल रोडा द्वारा सीनलेक्शन विभाग द्वारा बनाई गई उनकी सफलता साबित हो रही है।
2 करोड़ की लागत से बनी इस दीवार का ऊपरी हिस्सा बारिश में ढह गया। समुद्र तट विभाग नदी में लहरें कम होने के कारण ही लघु फिल्म निर्माण की तैयारी में थी। इसी बीच अब एनआईटी की रिपोर्ट में सींचल डिपार्टमेंट की स्लीप हरम कर दी गई है। ईसाई विभाग द्वारा बनाई जा रही जलप्रदाय योजना के लिए यह अहम दीवार है। दीवार के ढहने की योजना की सफलता के लिए वैज्ञानिक वैज्ञानिक विभाग ने एनआईटी (राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थान) से सारे मानक की तकनीकी जांच करवा दी। 4 जनवरी को इलेक्ट्रिक्स के ईई पंकज जैन के साथ संस्थान के इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख डॉ. इश्तियाक अहमद और डॉ. मणिकांत वर्मा के नेतृत्व में टीम ने सुपेबेड़ा और सेनमुड़ा घाट पर छापेमारी की। टीम ने सप्ताह भर पहले ही अपनी रिपोर्ट में डायफ्राम वॉल को नए सिरे से बनाने की सलाह दी है। पंकज जैन ने इस रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए बताया कि एनआईटी की रिपोर्ट में उनके विभाग के अलावा जिला रजिस्ट्रार और सींचल विभाग के ईई को व्यावहारिक संरचना दी गई है।
एनआईटी ने क्या रिपोर्ट दी? डायफ्राम दीवार के निर्माण का उद्देश्य नदी के ऊपरी हिस्सों में सतह और उपसथ दोनों तरह के पानी की धार है। डायाफ्राम दीवार की खराबी का कारण पूरा नहीं हो रहा है। डायफ़्राम दीवार के मध्य भाग में नदी के बहाव को नहीं झेला गया और पलट दिया गया। पूरे ढाँचे में कई स्थानों पर लिखा हुआ है। जो कलाकारी का प्रारूप है। दीवार के किनारे लगे पिचिंग कार्य में बोल्डर स्ट्रक्चर निराधार से मिलते जुलते हैं। नदी के पानी की गुणवत्ता का परीक्षण जो मानक अनुमेय सीमा के भीतर पाया गया था। रिट्रीट त्रासदी के कारण तेल नदी तट के दोनों खंड मिट्टी कटाव के कारण नदी का स्वरूप बदल दिया गया है। इंफ्रास्ट्रक्चर और डब्लू (सिंचाई) विभाग के बीच समन्वय की कमी का आकलन किया जा रहा है।
एनआईटी ने दी ये सलाह
डायाफ्राम दीवार की विफलता के साथ-साथ संरचनात्मक संरचना और सुरक्षा की आवश्यकता है। डायफ्राम वॉल के निर्माण का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। क्योंकि इसका कुछ हिस्सा या तो पलटा हुआ है या अंदर गहरे गड्ढे हैं। जिससे पानी आसानी से खाया जा सकता है। जल जीवन मिशन के तहत सुपेबेड़ा जलप्रदाय योजना की सफलता के लिए यह दीवार अहम है। नदी तट पर जलप्रदाय योजना के तहत इंटेक वेल का निर्माण किया जा रहा है। बारह महीने तक चलने वाले पानी के शस्त्रागार और जल आपूर्ति के लिए मजबूत पावर वाली दीवार जरूरी है।
ईई बोले बोल्से से टेस्ट करा रहे हैं
सीचॅल विभाग के ईई अर्थशास्त्री बर्मन ने एनआईटी की रिपोर्ट से स्पष्ट रूप से अनभिज्ञता की बात कही है। उन्होंने कहा कि दीवार के हिस्सों में अब भी पानी भर गया है। बस्ट की विजिट कराई जा रही है। जरूरी हुआ तो नए उद्यम से भी निर्माण कराएंगे।
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