सत्यपाल राजपूत, रायपुर। राजधानी के कॉलम (मेकाहारा) अस्पताल को राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है लेकिन यहां की उपचार व्यवस्था से मरीज और उनके आवास हैं। लल्लूराम असाहित्य की टीम ने आज मेहरा की व्यवस्था की जांच की तो हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। यहां की व्हीलचेयर इतनी खराब हो गई है कि ठीक हो 10000 लोगों की बुकिंग से साइबेरियाई सिद्धपीठ रह रहे हैं। इस ओर जिम्मेदारी अधिकारी कोई सुध नहीं ले रहे।
मेकाहारा में व्हीलचेयर खुद का स्थान पर है। मैदान से साबिश्ते-ए-साइथ हो रहे। यहां कभी-कभी गंभीर रूप से घायल मरीजों की जान भी जा सकती है. मछलीघर से ख़राब साज़िश और ऑपरेशन वाले मरीज़ों को ज़्यादा ख़तरा है। वहीं ठीक हुए पैदल यात्री फिर से यात्री बन रहे। किसी भी व्हीलचेयर का कोई भी नमूना गायब है तो का भुगतान ही नहीं है। फाइबर, स्टिच स्ट्रीचेल का पैरदान बनाया गया है। जहां दो ही चक्के में मरीज़ों को बंधक बनाकर ले जाने के लिए मरीज़ों को मजबूर किया जाता है।
हॉस्पिटल में ऑर्केस्ट्रा वॉर्ड बॉयज सैट किए गए हैं, लेकिन सभी नदारद हैं। इस मामले को लेकर हॉस्पिटल के डॉक्टर डॉ. एसबीएस नेता ने कहा, रेलवे को भी स्टेशन मरम्मत की आवश्यकता है, इसके लिए आदेश जारी किया जा चुका है। अंतिम आदेश जारी होने के बाद भी व्हीलचेयर की मरम्मत क्यों नहीं की गई। इसका पता लगाने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी। वॉर्ड बॉय को लेकर कहा वॉर्ड बॉय कम है।
आईएम के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा, मेकाहारा में फिर से उपलब्ध व्यवस्था को खत्म करने की बात कही गई है, ठीक है वो चौराहे की हो या वेंटीलेटर की हो।
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