कोंडागांव। चाहत अगर मन में हो तो राह खुद बी खुद निकल आती है। यह साबित कर दिया है जिले के एक गांव की बेटी 15 साल की रंजीता करोटे ने। कक्षा 9वीं के आर्किटेक्ट रंजीता के पिता नहीं हैं। माँ की माली हालत ख़राब है. इसलिए बेटी की पढ़ाई के लिए उसे कोंडागांव बाल कल्याण परिषद में भर्ती कराया गया। मगर यहां बेटी ने जो कारनामा कर दिखाया वह किसी से कम नहीं है। और पढें-स्टूल में मेकअप के शौक़ीन के लिए चोर बनी महिला, पड़ोसी के घर में डाला डाका, सीसीटीवी में कैद
असल में, रंजीता बाल में अतिरिक्त कल्याण की पढ़ाई के साथ-साथ आईटीबीपी के सोलो से जूडो के गुर भी सिखाने लगी। इसी लगन के साथ उनका सेलेक्शन साेई भोपाल में हो गया। यहां भी उन्होंने बाजी मार ली. अब उसे जूडो का प्रशिक्षण लेने के लिए स्पेन भेजा जा रहा है।
रंजीता यहां ले रही थी ट्रेनिंग
आईटीबीपी 41 बटालियन की ओर से संचालित कोंडागांव में कोचिंग कैंप है, जो वर्ष 2016 से संचालित किया जा रहा है। इससे कई बेहतर क्षेत्र के छात्र- क्लाइमेट राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जूडो में पदक ला चुके हैं। मगर रंजीता करोटे विदेश जाने वाली पहली वास्तुकार है। रंजीता आईटीबीपी में जूडो के उदय सिंह यादव और नारायण सोरेन से ट्रेनिंग ले रही थीं। वह अब तक पांच बार राज्य में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं, तो वहीं भोपाल नेशनल जूडो में कांस्य पदक और लखनऊ में भी कांस्य पदक जीत चुकी हैं।
अब ले रही है साई भोपाल में ट्रेनिंग
रंजीता करोटे अब साए भोपाल में अध्ययन कर रही है और कहीं पर भी जूडो का प्रशिक्षण ले रही है। विदेश भेजे जाने वाले प्लेयर्स के ट्रायल में रंजीता ने भोपाल में बाजी मारी है। अब वह 20 जनवरी को स्पेन में अंतर्राष्ट्रीय जूडो अभ्यास सिल में भाग लेने के लिए जाएगा। बता दें कि 2020-23 में रंजीता का सेलेक्शन गेम इंडिया वूमेन लीग में हुआ था। वहां से मेडल प्राप्त करने के बाद उनका चयन भोपाल सानी में हो गया, जहां अब वह पढ़ाई कर रही हैं।
यह है परिवार की स्थिति
रंजीता कोंडागांव विकासखंड के ग्राम फरसागांव के कोर कोटे गांव की है। पिता के देहान्त के बाद माँ पालन-पोषण पोषण कर रही थी, लेकिन जब आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो उसे पढ़ने के लिए माँ ने कुंडा के बाल कल्याण परिषद में भर्ती विद्यालय में दाखिला लिया। यहां रंजीता पढ़ाई के साथ-साथ जूडो भी सिखाने लगी थी।
लोगों के लिए मिसाल है रंजीता
आईटीबीपी 41 बटालियन के ट्रेनर उदय सिंह यादव ने बताया कि, इलेक्ट्रानिक्स ने जो कारनामा कर दिखाया है, उसके लिए शब्द मेरे पास नहीं है। रंजीता ने जिले और प्रदेश ही नहीं देश को भी गौरवान्वित किया है। रंजीता लोगों के लिए एक मिसाल है. इससे मिलती-जुलती सीख यह है कि अभाव में भी लगन हो तो बंधकों को बचाया जा सकता है। मुझे पूरा विश्वास है एक दिन यही गाँव का नाम रोशन करेगा।