मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री ने बस्तर दशहरा, जो 75 दिनों तक चलता है, को देशभर में और विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने पर बल दिया। मुख्यमंत्री आगामी पर्यटन सीजन के बीच आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को लेकर भी योजनाओं की रूपरेखा बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र को पर्यटन में भागीदार बनाना जरूरी है। उन्होंने पर्यटन सर्किट विकसित करने गाइड प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाए, ताकि स्थानीय युवाओं को रोजगार मिले।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि चित्रकोट और तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और प्राचीन गुफाओं जैसे आकर्षणों के लिए प्रसिद्ध यह क्षेत्र अद्भुत परिदृश्य और समृद्ध जैव विविधता प्रदान करता है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बस्तर दशहरा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने के लिए अभी से तैयारी के निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि पर्यटक जीवंत जनजातीय गांवों का भ्रमण कर बस्तर दशहरा जैसे पारंपरिक त्योहारों का अनुभव कर सकते हैं और स्थानीय शिल्प तथा व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। पर्यटन स्थलों की दृश्यता और सटीकता को बेहतर बनाने के लिए निजी एजेंसियों के सहयोग से गूगल मैपिंग सेवाओं में सुधार किया जाएगा।
बैठक में जानकारी दी गई कि नई छत्तीसगढ़ पर्यटन नीति 2025, शीघ्र प्रकाशित की जाएगी। मौजूदा पर्यटन संपत्तियों को निजी होटल व्यवसायियों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत लीज पर देने की योजना बनाई जाएगी। तीरथगढ़ जलप्रपात के पास कांच के पुल के निर्माण हेतु चक्रीय निधि से लगभग 6 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए गए हैं। ग्राम पेदावाड़ में होमस्टे सह परंपरागत हीलिंग सेंटर के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2025-26 की राज्य योजना मद में लगभग 40 लाख रुपए का प्रस्ताव रखा गया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने का काम सरकार कर रही है। नई औद्योगिक नीति में कई विशेष प्रावधान किए गए हैं। बस्तर संभाग के लोगों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर सृजित करना हमारी प्राथमिकता में शामिल है। वन संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करके हम स्थानीय लोगों की आय को बढ़ा सकते हैं। यहां से विभिन्न प्रकार के खनिज एवं खाद्यान्न का लगभग 102 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का निर्यात होता है, जिसमें लौह अयस्क की हिस्सेदारी सर्वाधिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई औद्योगिक नीति 2024-30 में इस्पात उद्योग के लिए 15 वर्षों तक रॉयल्टी प्रतिपूर्ति का प्रबंध है। आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देने पर उद्योगों एवं संस्थानों को पांच वर्ष तक उनके वेतन का 40 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है। अनुसूचित जाति, जनजाति और नक्सलवाद प्रभावित लोगों के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी तथा अनुसूचित जाति, जनजाति और नक्सलवाद प्रभावित व्यक्तियों द्वारा स्थापित नए एमएसएमई के लिए 25 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने के लक्ष्य के साथ बस्तर में विकास की गति को और तेज किया जाएगा। नई नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित, राहत-पुनर्वास नीति 2025 में कई विशेष प्रावधान किए गए हैं, ताकि प्रोत्साहन राशि, मुआवजा, शिक्षा, कौशल विकास और स्वरोजगार के माध्यम से नक्सल प्रभावित परिवारों और आत्मसमर्पित नक्सलियों को मुख्यधारा में लाया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की परिचर्चा से बस्तर के विकास की एक ठोस कार्ययोजना तैयार की गई है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यह कार्ययोजना न केवल बस्तर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के विकास को नई गति प्रदान करेगी। उन्होंने सभी स्टेकहोल्डर्स से इस दिशा में मिलकर काम करने का आह्वान किया।
जगदलपुर में आयोजित बस्तर की ओर परिचर्चा में उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, सांसद श्री महेश कश्यप, विधायक श्री किरण सिंह देव, श्री विनायक गोयल, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, सचिव श्री राहुल भगत, संबंधित विभागों के सचिव, बस्तर संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, कृषि, उद्योग, पर्यटन एवं कौशल विकास से संबंधित संस्थाओं के स्टेकहोल्डर उपस्थित थे।