आशुतोष तिवारी, सुपरमार्केट। विश्व में अद्वितीय और आकर्षण के लिए प्रसिद्ध स्ट्रॉबेरी दशहरा पर्व की शुरुआत आज रात काछन देवी की महिमा के बाद हो गई है। पारंपरिक अवकाश की अनुमति के लिए दशहरा दशहरा उत्सव शुरू हो गया है। कांचनगाड़ी की बारात में एक कुंवारी कन्या बेल के कांटों के झूले पर लिटाया जाता है। 700 वर्षों से चली आ रही परंपरा के सिद्धांतों के अनुसार, लेटी कन्या में साक्षात देवी ज्ञान पर्व की शुरुआत होती है। 75 दिन तक मनाए जाने वाले दशहरा पर्व में 12 से 12 साल की सबसे बड़ी रैलियां अद्भुत और अनोखी हैं।
बता दें कि स्ट्रॉबेरी का महापर्व दशहरा बिना किसी परेशानी का स्रोत हो, इस मंत्र और आशीर्वाद के लिए काचन देवी की पूजा होती है। रविवार की रात काछन देवी के रूप में एक विशेष परिवार की 8वीं वर्ष की पूजनीय कन्या पीहू दास ने कांटो के झूले पर लेटकर नेक राजपरिवार को दशहरा पर्व की शुरुआत करने की अनुमति दी। इससे पहले पिछले कुछ वर्षों से काचनगढ़ी रॉयल्टी में पीहू की चचेरी बहन अनुराधा खेल रही थीं।
सिद्धांत यह है कि इस महापर्व में काछन देवी की पूजा करना आवश्यक है। जिस पंका जाति की कुंवारी कन्या को बेल के कांटो से बने झूले पर लेटाया जाता है और इस दौरान उनके अंदर देवी ज्ञान पर्व की शुरुआत करने की बात सामने आती है। हर वर्ष पितृमोक्ष प्लांट को इस प्रमुख विधान को नियंता राज परिवार से प्राप्त किया जाता है। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग इस वन्यजीव परंपरा के साथ काछन गुड़ी की दुकानें देखने आए।
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