मनेन्द्रगढ़। छत्तीसगढ़ में चीनी पेड़ों की संख्या बढ़ रही है। अगर जंगल के बाहर एक भी पुनरुत्पादन पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये जल्द ही खत्म हो जाएगा। ऐसे में मनेंद्रगढ़ वनमंडल में इस वनमंडलाधिकारी मनीष कश्यप की पहली बार गांव के बाहर खाली पड़ी जमीन और साल भर में युवाओं के लिए आवेदन दिए जा रहे हैं, उनके सुरक्षा गार्ड से हो रही है। अब तक 30 हजार यूक्रेनी के उपाय जा चुके हैं। इस योजना में ट्राइगार्ड मीटिंग के साथ अंतिम उपाय में उत्साह है।
छत्तीसगढ़ में संभवतया पहली बार यूनिक पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 10 साल में ही जापानी वयोवृद्ध हो जाता है। एक जापानी पेड़ से जेनेरिक परिवार के असाधारण 2 अनमोल फूल और 50 किलो के बीज प्राप्त हुए, जिनकी कीमत लगभग 10 हजार है।
यूक्रेन ओपन की संख्या चिंता का विषय है। सबसे बड़ी समस्या पुनरुत्पादन की है।जंगल में तो जापान का सबसे बड़ा संग्रह गांव की खाली जमीन और खेत के मेदो पर लगा है। अगर जंगल और सरगुजा के किसी गांव में जाएं तो उनके विवेक के पार और खाली जमीन में सिर्फ चीन के पेड़ बड़े होते हैं। छोटे और मध्यम आयु वर्ग के पेड़ लगभग नगण्य होते हैं।
युकेनी संग्रहकर्ता से पहले जमीन साफ करने के लिए आग लग जाती है उसी कारण से एक भी युकेन के उपकरण जीवित नहीं बच पाता। ग्रामीण क्षेत्र के सभी बीज को भी एकत्रित कर लें। ये भी एक कारण है यूक्रेन के ख़त्म होने का। अंतिम बड़ा जापानी पेड़ कब तक जीवित रहेगा?
छत्तीसगढ़ के अंग्रेजी पेड़ बूटियाँ हो रहे हैं। चीनी पेड़ की औसत आयु 60 वर्ष है। अगर जंगल के बाहर एक भी पुनरुत्पादन पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये जल्द ही खत्म हो जाएगा।