रायपुर। कांग्रेस शासन में स्वास्थ्य विभाग के सीजीएमएससी ने मोक्ष प्राप्ति के माध्यम से छत्तीसगढ़ की राजकोष को किस तरह खाली किया है, यह महज दो साल के ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है। मुसीबत का आंकड़ा छोटी रकम नहीं है, मुसीबत की रकम इतनी बड़ी है कि इस राशि से पहाड़ खड़ा हो सकता है। अगर सही तरीके से जांच हो तो अधिकारी से लेकर मंत्री तक जांच की पहल होगी। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार करोड़ों रुपये की कमाई हुई है। इस पूरे मामले को लल्लूराम डॉट कॉम ने उजागर किया था।
दो साल के ऑडिट में खुली पोल
लेखा परीक्षा की टीम की ओर से सीजीएमएससी की उचित दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट के 660 करोड़ रुपये की खरीद की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया है।
ख़पाने के चक्कर में की ये ग़लती
ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से अधिक रासायनिक और उपकरण को धोने के चक्कर में नियम कानून को भी निर्धारित किया गया है। जिस अस्पताल में जिस केमिकल और मशीन की जरूरत नहीं पड़ी, वहां भी काम कर दिया गया। प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उपलब्ध हैं, जिनमें से 350 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिनमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
बेसलाइन सर्वेक्षण के परिणाम
ऑडिट टीम के अनुसार डीएचएस ने बेसलाइन सर्वेक्षण में स्वास्थ्य सेवा की सुविधाओं के बिना ही उपयोगी और शोध पत्र जारी किया था।
मांग पत्र का नाम तो लिया गया
क्रय एजेंसी ने यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक समान को एक मात्रा में 766 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधा जैसे उपकरण और रीएजेंट भेजे जाएं। इस अनुचित खरीद के परिणाम उच्च मूल्य के उपकरण खराब पड़े हैं और रीएजेंट की गुणवत्ता भी खर्च हो सकती है
लेखापरीक्षा अभी और खोदेगा दफन राज
लेखापरीक्षा की ओर से स्वास्थ्य विभाग को लिखे गए पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि विस्तृत ऑडिट की योजना बनाई जा रही है, जिसमें कंपनी, डीएचएस, एनएचएम और क्षेत्रीय स्तर की स्वास्थ्य सुविधाओं का ऑडिट किया जाएगा। एडिट में इन विचारों को सहायता करने के लिए निर्देशित करने को कहा गया है। साथ ही संपादन करने के लिए उपयुक्त तिथि और समय भी पूछा गया है।
आज होगी संपादकीय समीक्षा बैठक
सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद महालेखा परीक्षा विभाग की ओर से स्वास्थ्य विभाग को जारी पत्र के अनुसार स्वास्थ्य विभाग की ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा के लिए 2 जुलाई को बैठक बुलाई गई है, जिसमें स्वास्थ्य संचालक, सीजीएमएससी जीएम, मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को ऑडिट से जुड़े सभी दस्तावेजों के साथ बुलाया गया है।
अस्पताल बोर्ड की मांग,कार्रवाई होनी चाहिए
हॉस्पिटल बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा मामला लंबित है। स्वास्थ्य सेवा में दवाई, मशीन, कैमिकल में जुर्माना के लिए खतरनाक है। हमारी यही है कि इसकी जांच होनी चाहिए।
समिति
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी ने कहा कि उन्होंने जांच दल गठित कर दिया है। चार से पांच आईएएस अधिकारी जांच कर रहे हैं। जल्द ही रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर हम कार्रवाई करेंगे। इस मामले में जिस कंपनी ने दवा और उपकरण गायब किया था, उसका करीब 360 करोड़ से अधिक रुपए का भुगतान रोका गया है।
उठ रहे सवाल
बड़ा सवाल मोक्षित ग्रामीणों पर स्वास्थ्य विभाग क्यों था?
क्या नियम कानून पर भरोसा करके मोक्ष प्राप्त जनसंख्या को बचाया जा सकता है?
राजकोष को खाली करने के साथ-साथ इस बंदरबांट में कौन-कौन शामिल है?