सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ में जुलाई से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू हो जाएगी। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव आर.पी. प्रसन्ना ने बताया कि अब वार्षिक अध्ययन की जगह पर सिस्टम से पढ़ाई होगी। सिलेबस में भी बदलाव किया गया है. अतिथि व्याख्याता नीति भी लागू की गई है। नई नीति से उच्च शिक्षा विभाग में आमचूल परिवर्तन हुआ है।
उच्च शिक्षा विभाग के सचिव प्रसन्ना ने बताया कि इस नीति में सतत मूल्यांकन का प्रावधान है, जिससे विद्यार्थियों की मानसिक ऊर्जा के साथ-साथ बौद्धिक क्षमता में भी वृद्धि होगी। आधार आधारित पाठ्यक्रम होने के कारण विद्यार्थियों को परीक्षा का तनाव नहीं होगा। यह नीति बहु-विषयक प्रणाली पर आधारित है, जो विद्यार्थियों को उनके शेष दूसरे संकाय के विषयों का अध्ययन करने की स्वतंत्रता देती है। भारतीय ज्ञान-प्रणाली में पाठ्यचर्या गतिविधियों को भी शामिल किया गया है। प्रोद्योगिकी के अनुकूलतम उपयोग पर बल दिया गया है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुख्य लक्ष्य 03/04 वर्षीय बहु-संख्यात्मक स्नातक पाठ्यक्रम समस्त पाठ्यक्रम क्रेडिट पर आधारित होने के साथ ही चॉइस बेस्ड क्रेडिट प्रणाली के अंतर्गत होंगे। 03/04 वर्षीय बातक पाठ्यक्रम को अधिकतम 07 वर्षों में पूरा किया जा सकता है। पाठ्यक्रम अवधि में विद्यार्थियों “बहु-प्रवेश बहु-निकास” संकाय के अंतर्गत प्रथम वर्ष पूर्ण कर किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे उस संकाय के अंतर्गत ‘सर्टिफिकेट’ के अंतर्गत दो वर्ष पूर्ण कर ‘डिप्लोमा’ की उपाधि दी जाएगी एवं तृतीय वर्ष पूर्ण करने पर ‘आतक’ की उपाधि प्राप्त कर पाठ्यक्रम को छोड़ा जा सकता है। जिन विद्यार्थियों को विषय विशेष में विशेषज्ञता प्राप्त करने या शोध करने की इच्छा हो, वे पाठ्यक्रम को निरंतर चौथे वर्ष में जारी रख सकते हैं एवं ‘अनर्स विद रिसर्च’ की उपाधि चौथे वर्ष में प्राप्त कर सकते हैं। इस नीति के अंतर्गत बहुविषयक शिक्षा, गतिशील समझ एवं आलोचनात्मक सोच, नैतिक मूल्य के साथ कौशल विकास को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। सतत् आतंरिक मूल्यांकन में 30% अंक एवं अंतिम परीक्षा में 70% अंक का अनुमान रखा गया है। छात्रों को पढ़ाई होने के लिए इन दोनों को मिलाकर (आतंरिक एवं अंतमिल परीक्षा) कुल 40% प्राप्त करना अनिवार्य होगा। एलेक्टिव के अंतर्गत कला/विज्ञान/वाणिज्य संकाय के विद्यार्थी अपने संकाय के अतिरिक्त अन्य संकाय के किसी एक विषय को अपना संकायाध्यक्ष ले सकते हैं। विद्यार्थियों की शिक्षा के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे SWAYAM/MOOC में उपलब्ध पाठ्यक्रमों से भी संबंधित विषय की पढ़ाई की जा सकती है। स्वाध्यायी विद्यार्थियों का समयबद्ध नामकरण और सतत मूल्यांकन द्वारा हास्य शिक्षा प्रदान करना। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह है प्रस्ताव –
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