शिवम मिश्रा, रायपुर। शराब की बोतलों में पीने वालों के लिए होल ब्लॉक मामले में अनवर ढेबर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। विशेष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ टीम के प्रोडक्शन वारंट को स्वीकार करते हुए 48 घंटे के भीतर संबंधित न्यायालय में पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के फैसले के साथ ही कागजी कार्रवाई पूरी कर यूपी पुलिस अनवर ढेबर को लेकर मेरठ रवाना हो गई। यह भी पढ़ें : घरघोड़ा नगर पंचायत के मामले में सीएमओ ने तत्काल प्रभाव से निलंबित किया मामला, जानिए किन मामलों में पाए गए आरोप…
बता दें कि मंगलवार को अनवर ढेबर को गिरफ्तार करने के लिए रायपुर पहुंची यूपी पुलिस की एएसटीएफ़ टीम को ढेबर समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ा था। देर शाम गिरफ्तार करने के बाद आज अनवर ढेबर को रायपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां विद्वान न्यायमूर्ति ने उन्हें विशेष कोर्ट में पेश करने को कहा।
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स्पैशन कोर्ट में सुनवाई के बाद यूपी पुलिस के प्रोडक्शन वारंट को स्वीकार कर लिया गया, जिसके साथ ही अनवर ढेबर को उत्तर प्रदेश ले जाने का रास्ता साफ हो गया है। केवल अनवर ही नहीं, यूपी एसटीएफ ने पूछताछ के लिए आबकारी विभाग के अधिकारी रह चुके अरुणपति त्रिपाठी और सेवानिवृत्त आईएएस अनिल कपूरजा को ले जाने के लिए आवेदन किया था। सुनवाई के बाद यूपी पुलिस को अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को ले जाने की मंजूरी मिल गई।
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जानिए क्या है होलोग्राम केस
जुलाई 2023 में नकली होल मामले में ईडी के डिप्टी डायरेक्टर ने नोएडा के कसना इंस्पेक्टर में एफआईआर दर्ज की थी। 3 मई को यूपी एसटीएफ ने प्रिज्म होलोग्राफी फ़िल्टर फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विधु गुप्ता को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में गुप्ता ने अनवर और अरुणपति का नाम लिया था।
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आरोप और अनियमितताएं
एफआईआर के अनुसार, छत्तीसगढ़ के एक्साइज विभाग ने अवैध रूप से प्रिज्म होलोग्राफी फ़िल्टर फिल्मों को टेंडर दिया था। कंपनी के मालिकों की मिलीभगत से निविदाओं को प्रमाणित किया गया और अवैध रूप से निविदाएं निर्धारित की गईं। बदले में कमीशन लिया गया और डुप्लीकेट होल क्राइम की छत्तीसगढ़ सक्रिय गिरोह को मार दिया गया।
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संदिग्ध पास
टेंडर मिलने के बाद, विधु गुप्ता ने डुप्लीकेट होल ड्रामा को छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी अरुण पति त्रिपाठी के निर्देश पर जारी किया। गिरोह के सदस्य पूरे ब्लाग को अवैध शराब की लत पर चिपकाते थे और फर्जीवाड़ा के साथ धोखाधड़ी में भी लिप्त रहते थे। इस कार्य में छत्तीसगढ़ के 15 जवानों के आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे।
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