रायपुर। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में वित्तीय समिति की संयुक्त बैठक विधानसभा सचिवालय में हुई। बैठक में डॉ. रमन सिंह ने कहा कि संसदीय मुहरों का दायरा अत्यंत विस्तृत और व्यापक स्वरूप का होता है, इसलिए इसी महत्ता के कारण संसदीय मुहरों को लघु सदन की संज्ञा दी गई है। अन्तः सत्र काल में विधानिका के माध्यम से ही कार्यपालिका पर नियंत्रण बनाए रखा है और इस सत्र में सभी वित्तीय पहलुओं के सभापति अनुभवी और संसदीय ज्ञान से परिपूर्ण हैं, जिससे कि उनके सुखद संसदीय ज्ञान और अनुभवों से हमारे सदन की वित्तीय समितियां संकटग्रस्त साथ हैं। वह परिणाम मूल सिद्ध.
डॉ. रमन सिंह ने सभी वित्तीय कठिनाइयों के सभापतियों एवं सदस्यों को वर्ष 2024-25 के लिए सभापति एवं सदस्य चुनने जाने पर बधाई दी। बैठक में लोक लेखा समिति के सभापति डॉ. चरणदास महंत, प्रकल्पन समिति के सभापति अजय चंद्राकर, सरकारी निगमों संबंधी समिति के सभापति अमर अग्रवाल, स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति के सभापति धरमलाल कौशिक, प्रधान महालेखाकार यशवंत कुमार, वित्त विभाग के सचिव, संचालक, राज्य संपरीक्षा विधानसभा के सचिव दिनेश शर्मा और वित्त सचिव शारदा वर्मा एवं इन वित्तीय कारणों से संबद्ध अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
वित्तीय समितियों का एक अलग महत्व
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने वित्तीय कठिनाइयों के महत्व और उनकी उपयोगिता पर चर्चा करते हुए कहा कि संसदीय समितियों में वित्तीय समितियों का अपना अलग महत्व है क्योंकि यही वह समितियां होती हैं, जो विधानसभा द्वारा पारित बजट की राशि को विभिन्न शासकीय योजनाओं में किस तरह से व्यय करती हैं। किया जा रहा है इस पर नजर रखने वाले लोग, इसकी समीक्षा करते हैं और समीक्षा से प्राप्त निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि वित्तीय अनुशासन को बनाए रखने के लिए यह सुनिश्चित करती है। इसके बाद उन्होंने वित्तीय वर्ष में लोक लेखा समिति को सबसे महत्वपूर्ण रूप से एक व्याख्या करते हुए कहा कि इस समिति के माध्यम से भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षकों के प्रतिवेदन में प्रस्तुत वित्तीय अंकेक्षण से संबंधित कार्यों की समीक्षा होती है और इसमें अनियमितता सामने आती है। इसलिए उस वित्तीय असंतुलन से संबंधित सभी कंडिकाओं का मौखिक परीक्षण तथा शेष अन्य कंडिकाओं पर लिखित जानकारी के आधार पर लोक लेखा समिति का परीक्षण किया जाता है। के बाद कार्यपालिका की ओर से किए गए खर्च पर सभा का वित्तीय नियंत्रण बनाए रखने का कार्य करती है। इस दौरान प्रक्कलन समिति के सदस्यों से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने विचार भी विस्तृत चर्चा करते हुए प्राप्त किए।
विधानसभा में समितियां करती है प्रतिवेदन प्रस्तुति
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सरकारी निगमों संबंधी समिति को एक और महत्वपूर्ण वित्तीय समिति बताते हुए कहा कि इस समिति के माध्यम से राज्य के विभिन्न निगम या मंडलों की लेखों की जांच महालेखाकार की ओर से की जाती है तथा प्रतिवर्ष प्रतिवेदन तैयार कर विधानसभा में यथासमय प्रस्तुत किया जाता है। है. सभा में प्रस्तुत सार्वजनिक निगमों से संबंधित महालेखाकार के प्रतिवेदन में विभाग एवं सार्वजनिक निगमों से जानकारी प्राप्त कर, क्षेत्रीय प्रभागीय सचिव की मौखिक गवाही को लेकर अपनी प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है। महालेखाकार की ओर से जाने के पश्चात प्रतिवेदन विधानसभा में प्रस्तुत किया जाता है। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा की ओर से भी इन परीक्षणों का परीक्षण करके प्रतिवेदन को विधानसभा में प्रस्तुत किया जाता है। इन प्रतिवेदनों का परीक्षण विधानसभा की स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति की ओर से जाकर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है।
उत्कृष्ट कार्यशैली स्थापित करने का कार्य करना है : डॉ. रमन
बैठक में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अनुरोध करते हुए कहा कि वित्तीय कठिनाइयों के सभापति एवं सदस्यों को समिति की अध्यक्षता के प्रति अपनी उपस्थिति के प्रति प्रति सदैव गंभीर रहना है क्योंकि अध्यक्षता की अध्यक्षता और सभापति एवं सदस्यों की उपस्थिति ही कठिनाइयों की सार्थकता को सिद्ध कर देगी। छत्तीसगढ़ विधान सभा की वित्तीय समितियों की उत्कृष्ट कार्यशैली को स्थापित करने में सफल होने के लिए, छत्तीसगढ़ विधान सभा की वित्तीय समितियों की बेहतर कार्यशैली को स्थापित करने में, साथ ही साथ अन्य राज्यों की तुलनात्मक समीक्षा करते हुए, मोटे तौर पर सभापति एवं सदस्यों का यह सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि वित्तीय समितियों की बेहतर कार्यशैली को स्थापित करने में सफल होने के लिए, साथ ही साथ अन्य राज्यों की तुलनात्मक समीक्षा करते हुए, छत्तीसगढ़ विधान सभा की वित्तीय समितियों की उत्कृष्ट कार्यशैली को स्थापित करने में सफल हो।
अंत में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने मुश्किलों के प्रति शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की यह षष्ठम विधान सभा अभी अपने शाश्वत काल पर है, शेष कार्य अवधि में हमारी वित्तीय संसदीय समितियां बेहतर से बेहतर परिणाम देने में सफल हो और उन्हें आशा है कि यह सबसे महत्वपूर्ण है। अधिक से अधिक बैठकें आयोजित कर मेहनत एवं लगन से कार्य करते हुए सभी सदस्य अपने-अपने उत्तरदायित्वों का निर्माण करेंगे।
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