मित्रता विशेष: तटबंध पर मोर्टार की साजी कला साझेदारी, गांव की जनजातियों ने रक्षा सूत्र सुरक्षा का लिया वचन, मोर्टार की निकली हुई नाम

शिवा यादव, सुकमा। दशकों से बौद्ध धर्म का दंश झेल रहे सुकामा जिले की फिजाएं अब बदल रही हैं। जहां सुकामा जिले में घाटी के तीर्थयात्रियों के निवास बल से प्रभावित इलाकों में धार्मिक सुरक्षा के विस्फोट और स्थानीय लोगों के बीच भय और विद्रोह का माहौल देखा जा रहा है। लेकिन अब इसी क्षेत्र की महिलाएं और बहनें सुरक्षा बल के बंदूकों की सलामती की दुआएं मांग रही हैं और जेलों की पट्टियों पर रक्षा सूत्र बांध रही हैं।]

डोल की कलाई सूनी न रहे, इसलिए गांव की बारात ने बांधा रक्षा सूत्र

आज एक ऐसी ही तस्वीर होटल प्रभावित सुकामा जिले से निकलकर सामने आई है। जहां आज पूरे देश में बड़े पैमाने पर हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। वहीं अलग-अलग क्षेत्र में जातीय एकता ना रहे इसलिए गांव की सेनाओं ने भाई-बहन के प्रेम के साथ इस त्यौहार पर परिवार की कमी को महसूस नहीं किया, बल्कि गांव की सेनाओं ने भाई-बहन के प्रेम के बारे में भी बताया। . इन भाई-बहनों को आज के दिन अपने समरूप पा कर टुकड़ों में भी काफी खुशी हुई और भावुक हो गए। वहीं कई उकेले के नाम भी हो गए.

इन बहनों की सुरक्षा के कारण आज रक्षा बंधन के दिन हमारी कलाई नहीं सुनी जाएगी – बल बल

डॉकल्स ने बताया कि होटलों से प्रभावित इलाकों में हम लोग अपनी रचनात्मकता का सख्ती से पालन करते हैं। इस वजह से हर त्योहार पर उनके परिवार के साथ मनाना संभव नहीं होता है। ऐसे में जब हम त्योहारों में अपने परिवार के बीच मौजूद नहीं होते हैं तो हमें भी अपने परिवार की बहुत याद आती है, इन भाइयों ने रक्षा सूत्र बांधा था, यहां हम सहयोगियों को घर से दूर होने के साथ-साथ बहन की कमी महसूस नहीं होने दी। इसलिए हम सभी युवा बहुत खुश हैं आज हमारी भी कलाई नहीं सुनी जाएगी हम सभी युवा इन बहन बेटियों की रक्षा करने और उनके साथ हर घाटी में साथ देने का वचन देते हैं।

परिवार की कमी न हो इसके लिए हमने कैंप पहुंच कर बांधी राखियां – गांव की महिलाएं

गांव से आई महिलाओं से जब लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने बात की तो उन्होंने बताया कि संप्रदायवाद को खत्म करने, क्षेत्र में शांति मंडल बनाने और इन जंगलों के विकास के लिए यहां सुरक्षा बल के युवा उत्सव अपने परिवार से दूर रहते हैं। साथ समय नहीं बिताते हैं। जिससे उन्हें परिवार की कमी महसूस होती है और आज राखी का त्योहार है ऐसे में इन युवा श्रमिकों को उनके परिवार की कमी महसूस नहीं होती इसलिए हम कैंप पहुंच कर इन सभी श्रमिकों को राखी बांध रहे हैं। ऐसा इसलिए भी लगता है कि उनका परिवार भी यहां मौजूद है।