फ्रेंडशिप पर अद्वितीय पहल: पर्यावरण प्रेमी ने जंगलों से निर्मित विशाल और आकर्षक राखियां, पेड़ों को बेचने के लिए संरक्षण का संदेश दिया

लक्ष्मीकांत बांसकोड, बालोद। “सांसें हो रही कम, आओ पेड़ पौधे हम” थीम पर जिले के पर्यावरण प्रेमी भोज साहू ने एक अनूठी पहल की है। रक्षाबंधन (रक्षाबंधन) के अवसर पर जहां बहनें अपने उद्योगों की लकड़ियों पर राखी बांधती हैं। वहीं भोज साहू ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए जुगाड़ से एक विशाल राखी तैयार की है। इस राखी में पेड़ बनाने के लिए स्लोगन लिख, पेड़ में राखी बांध पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं।

भाई-बहन के बीच प्यार का अटूट बंधन, रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर राखी बांध रही हैं। वहीं बालोद जिले के देवरी (डी) के रहने वाले पर्यावरण प्रेमी भोज साहू ने जुगाड़ से जुगाड़ कर साइकिल के रिंग स्पोक और कपड़ों से 5 फीट ऊंची और चौड़ी राखी तैयार की है, जो तिरंगे के रंग के थीम पर पुरानी बनी है। रबर में पर्यावरण संरक्षण का संदेश सड़क किनारे के पेड़ों में बांधा गया है, जो कि जड़ी-बूटियों का ध्यान आकर्षित कर उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहा है।

इस तरह की राखी बनाने के बारे में भोजपुरी पर्यावरण प्रेमी का कहना है जिस तरह की बहन अपने भाई के हाथों में राखी बांधते हैं। फिर भाई बहन की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए वैसे ही हमें अपने पेड़ के उपाय राखी बंधकर की रक्षा करने की आवश्यकता है। आज बढ़ती हुई जनसंख्या और वनस्पति है जंगल बहुत बड़ा समाज बनता जा रहा है। जंगल कटने से पौराणिक जीव-जन्तु संकट में हैं।ऐसे में पेड़-पौधों से बचाव के लिए संकल्प लेना आवश्यक है। यह संदेश देते हुए कहा गया कि वे सड़क किनारे नीम के पेड़ पर बड़ी राखियां, पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं।