प्राथमिक पात्र,गरियाबंद। जिला मुख्यालय से लगे 2 हजार की आबादी वाले ग्राम मालगांव के लोग अपने नाम से कम अपने ब्लड ग्रुप से ज्यादा पहचाने जाते हैं। इस गांव में 18 साल के युवा से लेकर 62 साल के बुजुर्ग हमेशा मूर्ति बनाने के लिए तैयार रहते हैं। जनसंख्या के प्रति इतनी अधिक जागरूकता है कि यहां महिला-पुरुष जन्मदिन और परिवार के सदस्यों के अवसर मिलते हैं। और पढ़ें- होली स्पेशल: छत्तीसगढ़ का एक अनोखा गांव जहां छुट्टी भर पहले ही मनाई जाती थी होली, डेट पर त्योहार से होती है अनहोनी
मालगांव निवासी ग्रामीण युवा ब्लड डोनर ग्रुप के संस्थापक और 35 वर्षीय भीम निशाद के प्रतीक हैं कि उन्होंने अपनी बहन का पहली बार नामांकन कराया था, जिससे बहन की जान बच गई। इसके बाद वे ढांचे की संरचना में शामिल हो गए। वे कहते हैं कि मूर्ति को महादान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि आपका यह दान किसी भी इंसान के जीवन को बचा सकता है। भीम निषाद इसके लिए अपने गांव के अलावा आसपास के गांव के लोगों को भी रेटिंग के लिए सलाहकार बनाते हैं। वे खुद अब तक 18 बार तक लगातार वोट कर चुके हैं और उनके परिवार के 25 सदस्य भी लगातार स्थिर बने हुए हैं। उन्होंने बताया कि गरियाबंद के ग्रुप से जुड़कर 2022 में 1004, 2023 में 840 और पिछले 3 महीने में 330 कुल 2174 डोनर शामिल हो चुके हैं।
राजधानी तक उपलब्ध करा रहे रक्त
इस गांव में 100 बच्चों की टोली लगातार 3 साल के सांस्कृतिक शिविर का आयोजन कर मानव सेवा के कार्य में शामिल हुई है। यहां के सभी युवा ग्रामीण युवा ब्लड डोनर ग्रुप और गरियाबंद ब्लड डोनर ग्रुप के साथ जुड़कर हेल्थ कैंप के माध्यम से और जिला अस्पताल गरियाबंद में निरंतर मनोबल कर सेवा का कार्य कर रहे हैं। मालगांव के आसपास के गांव कोदोबतर, बारूका, बहेराबुड़ा, घुकुनवापारा, जेराडीह, हरदी, कास, सोहागपुर, मजट्टा, भिलाई, पथरमोहनदा, चिखली और अन्य गांवों के युवा सतत सेवा कर जिला अस्पताल गरियाबंद के साथ-साथ राजिम, नयापारा, छुरा, महासमुंद, धमतरी और रायपुर के मेकाहारा, एम्स जैसे बड़े-बड़े अस्पतालों में ग़रीबों को आसानी से ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है।
मालगांववासी हर साल रेलवे स्टेशन हैं
मालगांव के ग्रामीण क्षेत्र में कहा जाता है कि इस क्षेत्र के निवासियों में कभी-कभी रक्त की कमी से मृत्यु हो जाती है, इस उद्देश्य को लेकर पिछले तीन पूर्वी जिलों में अलग-अलग जगहों पर समय-समय पर सामूहिक शिविर का आयोजन किया जाता है। साथ ही लोगों से अपील करते हुए कहा कि हर साल मालगांव के त्योहारों में आस-पास के क्षेत्र के सभी ग्रामों के युवाओं, नागरिकों, लड़कियों और महिलाओं को बड़ी संख्या में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाए। मालगांव में 2022 में लगे कैंप में 81 यूनिट, 2023 में 85 यूनिट और 17 मार्च को कैंप में 108 यूनिट तैनात हैं।
अनुपातिक के लिए चंपेश्वर ध्रुव पेशमशिला
17 मार्च को ग्राम मालगांव में लाइव चेकलिस्ट शिविर में शामिल होने के लिए देश भर के लोगों में ग्राम कास निवासी 30 साल चंपेश्वर ध्रुव एक पैर से डेटिंग है। उन्होंने बताया कि एक दुर्घटना के दौरान उनका एक पैर कट गया था। उस वक्त 10 बोतल रक्त की बीमारी के बाद उनका जन संपर्क था, तब से उन्होंने नामांकन करना शुरू किया है। आज चंपेश्वर भगवान के लिए अपने गांव सहित आसपास के क्षेत्र में एक मिसाल पेश कर रहे हैं। चैम्प के शिष्य हैं कि वे अब तक 13 बार रेटिंग कर चुके हैं और जब भी रक्त की आवश्यकता होती है वे सबसे पहले उपलब्ध होते हैं।
पति-पत्नी रोहरा ने पत्नी और बेटों के साथ की वोटिंग
मालगांव में लाॅस साइंटिफिक कैंप में गरियाबंद 62 साल का सार्जेंट रोहरा, अपनी पत्नी 58 साल का आशा रोहरा, बेटे 35 साल का सार्जेंट रोहरा के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका।
ड्यूटी में रहते हुए पुलिस ने गोलियों से हमला किया
इस सैन्य शिविर में गरियाबंद पुलिस के जवान भी बड़ी संख्या में हैं। इस दौरान करीब 11 पटाखों ने तोड़फोड़ की. दुःख के दौरान ज्यादातर युवा जोड़ों में थे। उन्होंने कहा कि जनता की सुरक्षा के लिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही मैग्नेट से किसी भी जरूरत मंद की जान बचाई जा सकती है, इसलिए वह ड्यूटी से कुछ समय निकाल कर नामांकन कर सकते हैं।