जेल में मनाया गया राखी का त्योहार, आदिवासियों ने बांधा रक्षा सूत्र पर अपने कारीगरों की कलाईयां रखीं, शोक मनाया

हकीमुद्दीन नासिर, महासमुंद। अपने कारीगरों की कलाईयों पर राखी बांधने की बड़ी संख्या में जिला जेल में जमावड़ा लगाया गया। अलग- अलग अपराधी जेल में बंद निरुद्ध सौ से भी बड़े कैदी और बंदियों की कलाई पर बंधुओं ने चार साल बाद राखी बांधी और अपने साथियों की सलामती की दोस्ती को रिहा कर दिया। इस दौरान भाई-बहन की प्यारी नजर आईं।

वैसे तो जिले के जेल में रक्षाबंधन के मुख्य त्योहारों पर श्रमिकों की कलाईयों पर राखी बांधने की परंपरा चली आ रही थी। लेकिन 2020 में वैश्विक महामारी के कारण इस पर रोक लगा दी गई। चार साल बाद फिर से जेल प्रशासन ने जेलों का दरवाजा बंद कर दिया।

जेल में राखी बांधने के दौरान कई भाई-बहन भावुक हो गए और एक दूसरे के गले लगकर फफक कर रो पड़े। वहीं एक बंदी की बहन राखी बांधने तक नहीं पहुंच पाई तो वह मोहा था, जहां उपस्थित महिला रक्षक ने भांप ले लिया। उन्होंने उस बंदी को बहन की कमी महसूस नहीं होने दी और उसकी कलाई पर राखी बाँधी।