सुरेश परतागिरी, बीजापुर। बीजापुर के मातृ अस्पताल में एक महिला ने 5 किलो 100 ग्राम वजनी बच्चे को जन्म दिया, जिसे देखकर अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी हैरान हैं। यह मामला अत्यंत दुर्लभ है, क्योंकि सामान्यतः नवजात शिशुओं का वजन 2.5 से 3.5 इंच के बीच होता है। 5 बच्चों का वजन किसी नवजात का जन्म लेना एक असामान्य घटना माना जाता है।
बता दें कि इस बच्चे को जन्म देने वाली महिला का नाम मंगली कुजूर है जो कि बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक के अंबिकापारा में रहने वाली है। डॉक्टरों का कहना है कि जिस वजह से कंधा के दौरान शोल्डर डायटोसिया की स्थिति बन सकती है, यानी बच्चे का कंधा जन्म के दौरान फंस सकता है, बच्चे और मां दोनों के लिए खतरा हो सकता है। लेकिन प्रसूति और बाल्य विभाग के विशेषज्ञ शिक्षकों की टीम की तत्परता और समर्थन से दस्तावेज़ को पूरा किया गया।
डॉक्टरों ने यह भी बताया कि मंगली कुजूर की बच्ची दानी एक 12 छात्रों की गठान में थी, जिसमें अन्य चीजें और कठिनाइयाँ भी आ सकती थीं। लेकिन अध्यापिका की टीम ने ऑपरेशन करके उस घर को भी ठीक कर दिया और माँ और बच्चे दोनों की सेहत ठीक हो गई।
यह घटना वास्तव में दुर्लभ है – शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. टॉप
मदरशिशु हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. टोपोक शुक्ला ने बताया कि नवजात शिशुओं का सामान्य वजन 2.5 से 3.5 इंच के बीच होता है, और यह घटना वास्तव में दुर्लभ है। अपने 14 साल के मेडिकल करियर में उन्होंने ऐसे किसी केस का सामना पहले नहीं किया। उन्होंने कहा, “इतना भारी बच्चा जन्म लेना बेहद असामान्य है, और इस तरह के मामले बहुत कम होते हैं।” 30 प्रतिशत नवजात बच्चों का वजन 2.5 किलो से भी कम होता है और लगभग 90 प्रतिशत नवजात बच्चों का वजन 3.5 किलो से भी कम होता है।”
वैज्ञानिक हैं कि मंगली कुजूर और उनका बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। विद्वानों का मानना है कि बच्चे का वजन अधिक होने के कारण जन्म से ही समय लग गया, लेकिन मां और बच्चे दोनों की सेहत में कोई दिक्कत नहीं आई। यह इवेंट अस्पताल में एक उदाहरण बन गया है कि कैसे स्पेशलिस्ट की टीम ने मिलकर एक म्यूजिकल स्थिति को हल किया। यह घटना न केवल बीजापुर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के चिकित्सा क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।
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