किसानों पर बढ़ा कर्ज का बोझ…साल भर के बाद भी अब तक नहीं मिली राहत राशि, प्रभावित अन्नदाताओं को राहत का इंतजार

प्राथमिक पात्र, गरियाबंद। पिछले पेट्रोलियम सीज़न में कम वर्षा का सामना करना पड़ा था। देवभोग, अमलीपदर और मानपुर तहसील में सूखा प्रभावित रकबे का सर्वेक्षण किया गया। राजस्व विभाग ने आरबीसी 6_4 के तहत इस सप्ताह भी तैयार कर राहत मद से करोड़ों रुपये की मांग का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है।

तैयार प्रकरण के अनुसार सर्वाधिक देवभोग तहसील के 70 गांव में 3478 किसान 3989.52 हेक्टेयर रकबा प्रभावित हुआ, जिससे 3 करोड़ 38 लाख 26075 रुपये राहत राशि, अमलीपदर तहसील में 2238 कृषकों के 2689.197 हेक्टेयर पर 2 करोड़ 28 लाख 64762 रुपये और मानपुर तहसील के 249 किसानों के 227.49 गरीबों पर प्रभाव पाया गया। जिसके लिए 19 लाख 33815 रुपये की राहत राशि का प्रकरण दर्ज किया गया।

देवभोग भगत चितेश देवांगन और मैनपुर के प्रधान मंत्री पंकज धारे ने कहा कि राज्य शासन को राहत शाखा के माध्यम से राहत राशि की मांग के लिए अनुमोदित प्रकरण भेजा गया है। पागल रुपये में आओ ही राहत राशि दे जाओ।

डिफ़ाल्टर ने दिए 356 किसान, 1.56 करोड़ का कर्ज़ दस्तावेज़

सूखा राहत और वैज्ञानिक की मांग को लेकर अपनी जिद में आड़े झाखरपारा, झिरिपानी समिति के 22 गांव और कोसुमकानी गांव कुल 2285 किसानों ने समर्थन मूल्य में धान नहीं खरीदा। इनमें से 356 किसानों पर 1 करोड़ 56 लाख का कर्ज़ भी नहीं मिला, जिसमें बंधक श्रेणी में रखा गया है। इस साल से डिपाल्टर किसानों के लिए ऋण का ब्याज भी चढ़ना शुरू हो गया है।

ब्याज से लिया गया साहूकारी ऋण

समर्थन मूल्य में धान नहीं बेचने वाले सहकारी बैंक का कर्ज लेने वाले कोसमकानी के किसान टिकोराम, जालंधर, पादुलोचन ने बताया कि कर्ज चुकाने के लिए घरेलू सामान और ऋणी गिरवी रख साहूकारी कर्ज लेना पड़ा था। ब्याज से प्रभावित गांव के ज्यादतर किसानों ने मिल बीमा राशि और साहूकार कर्ज लेकर ही कर्ज पटाया है। इस साल काफी आर्थिक तंगी का सामना भी करना पड़ा।

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जयकिशन नागेश ने कहा कि सरकार ने अपने प्रतिनिधि मंडल लीज रिसीव्स की मांग को लेकर सीएम से कहा, कृषि मंत्री और स्थानीय उद्यमों से भी मिल मान्यताएं निर्धारित हैं, लेकिन अब तक उन्हें राहत नहीं मिली है।