एक किस्सा ऐसा भी…परिवार को बिना गुमनाम कार सेवा में ले गए थे दो दोस्त, एक भी नहीं लौटा…जानिए भांचा राम की संघर्ष यात्रा में क्या था ननिहाल के लोगों का योगदान?

प्राथमिक पात्र, गरियाबंद। कार सेवा के कई किस्से इतिहास के पन्ने में समय के साथ दब गए। अब जब राम मंदिर दर्शन में आया तो एक-एक किस्सा सामने आ रहा है। अनैतिक किस्से में ऐसे ही दो कार सेवक देवभोग विकासखंड से भी शामिल हैं। 1992 में किचेन ने अपना योगदान दिया था। झराबाहाल निवासी ध बालाजी राम यदु 48 वर्ष लाल की उम्र में, तो वहीं केंदुबन निवासी उजल राम यादव 45 वर्ष की उम्र में 28 अगस्त 1992 को कार सेवा करने के लिए घर में बिना नाम के अयोध्या निकल गए थे।

1980 से जब कार सेवा की अपील हुई तो देवभोग से 6 लोग निकले थे। लेकिन रामपुर संघ कार्यालय पहुंचने के बाद आगे के लिए रवाना किए गए सामान में इन दो साखियों का नाम शामिल है। इनमें से डी एलॉगिन राम वापस नहीं आये। उनके बेटे महेश यादव यादव दो साल तक उनके इंतजार के बाद खत्म हो गए।

जहां केंदुबन के उजल राम नेकर अपने संघर्ष की कहानी को अपने उपन्यासों में वापस लाते हैं। वापसी के बाद वे कॉन्स्टैंट अपने वार्ड से 5 बार के निर्विरोध पंच रहे। दो साल पहले उनकी मृत्यु हो गई तो पत्नी सायबनी बाई को पंच बिश्राम पंचायत सम्मान देती हुई आ रही हैं।

आज दिया गया सम्मान

आज सहकारी भारती सहभागिता, एबीवीपी प्रदेश कार्यकारिणी ने दोनों कार सेवकों के घर स्थापना परिवार को सम्मानित किया।

छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें अंग्रेजी में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें