गरियाबंद. धर्म की नगरी राजिम में आश्रम के तीर्थयात्रियों के चुनावी संग्राम में सुगबुगाहट ने इलाके के भाजपा नेताओं का बीपी बढ़ाया था। काफी मान-मनोव्वल के बाद बाबा ने चुनाव नहीं लड़ा का खंडन किया। जिसके बाद बीजेपी और पार्टी के नेताओं ने राहत भरी सांस ली है।
मीटिंग के बाद बढ़िया हलचल
कट्टर राजिम विधान सभा के सिरकटी आश्रम में एक बैठक हुई जहां पीपापिएज गोवर्धन शरण व्यास के अनुयाई के अलावा भाजपा के अनुसांगिक संगठन के कई समर्थक और समर्थक थे। तीन घंटे से भी ज्यादा देर तक चली इस बैठक में उनके समर्थक बाबा से चुनाव लड़ने का आग्रह कर रहे हैं। बाबा गोवर्धन शरण व्यास ने मीडिया से चर्चा में इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि समर्थक आग्रह कर रहे हैं, पर मेरा मन नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सनातनी लोगों का आग्रह है, सनातन धर्म की रक्षा की जरूरत है तो चुनाव भी लडूंगा। हालाँकि अभी तय नहीं किया गया है।
व्यास ने भी खरीदा था नामांकन
बता दें कि राजिम में अब तक 7 नामांकित फॉर्म लिए गए हैं, जिनमें गोवर्धन शरण व्यास का नाम भी शामिल है। जो सिरकट्टी आश्रम के तीर्थयात्री हैं और 4 विधान सभाओं में उनकी पकड़ का पता चल रहा है। संत गोवर्धन शरण व्यास वर्ष 2013 में सिरकट्टी आश्रम के पुर्नापीश बने। वर्ष 2013 में सड़क शरण दुर्घटना में भुनेश्वरी शरण व्यास की मृत्यु हो जाने के बाद गोवर्धन को आश्रम का मुखिया बनाया गया। गोवर्धन शरण के इस पूरे क्षेत्र में अनुयाई है, या यूँ कहें कि पास के 4 क्षेत्र क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है।
ग़ुलामों का केंद्रबिंदु
बताया जा रहा है कि बीजेपी के समर्थक नेताओं की बैठक भी आश्रम में ही हो रही है. राजिम विस में भाजपा ने रोहित साहू को शिया बनाया, जिसके बाद कॉन्स्टेंसी विस नेताओ का जामवड़ा इसी आश्रम में हुआ। दो दौर की बैठक में तो नाराज बड़े चेहरे भी दिखे। बाबा के इस कदम के पीछे नाराज भाजपा नेताओं का हाथ बताया जा रहा है।
बाबा के प्रेस नोट से हुआ धमाका
पिपासाधिपति गौशाला शरण व्यास के राजिम से चुनावी लड़ाई की सुगबुगाहट की खबरें जैसे ही मीडिया में बनीं, भाजपा शोभा और नेताओं के मन में बल पद गए। सभी घुड़सवारी आश्रम की ओर। फिर शुरू हुआ मान-मनौव्वल का दौर। पिछले दिनों संत गोवर्धन शरण दास की ओर से प्रेस नोट जारी कर बताया गया था कि वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनके कुछ शुभचिंतकों ने चुनावी लड़ाई के लिए जरूर आग्रह किया था, लेकिन वे किसी भी प्रकार की राजनीति में नहीं पड़ना चाहते। बाबा के इस प्रेस नोट से फ़िलहाल अफ़वाहों का बाज़ार शांत हो गया है और भाजपा नेताओं को राहत की सांस मिली है।