नई दिल्ली: अचानक गठबंधन बदलने के बाद एनडीए में शामिल हुए बिहार के सीएम नीतीश कुमार को आज विधानसभा में अपना बहुमत दिखाना है. इससे पहले तेजस्वी यादव के आवास पर चल रही बैठकों से पटना का सियासी पारा गरमा गया है. क्या लालू यादव की पार्टी राजद फ्लोर टेस्ट में कोई खेल खेलने की योजना बना रही है? ये सवाल कई दिनों से सियासी हवा में छाया हुआ है. राजद के कुछ विधायक कपड़े और बैग के साथ तेजस्वी के घर पर रुके हुए हैं.
उधर, लालटेन की चमक के डर से जेडीयू विधायकों को होटल चाणक्या में रखा गया है. बीजेपी विधायकों को भी दूसरे होटल में ले जाया गया है. ऑपरेशन लोटस का जो खौफ कुछ राज्यों में था, वही अब बिहार में ऑपरेशन लालटेन की चर्चा है. इस बीच ‘तेजस्वी चाहिए’ के नारों ने सत्ता पक्ष की धड़कनें जरूर बढ़ा रखी हैं.
क्या बीजेपी-जेडी(यू) के पास पर्याप्त संख्या है?
फ्लोर टेस्ट से पहले पटना में हंगामे की वजह सियासी आंकड़ा 8 है. दरअसल, राजद के पास 79, कांग्रेस के पास 19 और लेफ्ट के पास 19 विधायक हैं. इस तरह महागठबंधन की संख्या 114 पहुंच गई है. बहुमत से सिर्फ 8 विधायक कम हैं. वहीं, एनडीए खेमे में बीजेपी के पास 78, जेडीयू के पास 45, HAM के पास 45 सीटें हैं.
जीतनराम मांझी को चार और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन प्राप्त है. ये संख्या 128 है यानी बहुमत से 6 विधायक ज्यादा. अगर 7-8 विधायक टूटते हैं या ‘गायब’ हो जाते हैं तो ये नीतीश के लिए मुसीबत हो सकता है. बिहार विधानसभा की 243 सीटों में सत्ता बचाने के लिए नीतीश को 122 का आंकड़ा हासिल करना होगा.
जब नीतीश कुमार ने पलटी मारकर बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी तो तेजस्वी यादव ने कहा था कि अब खेल शुरू होगा. एक हफ्ते से राजद खेमा चिल्ला रहा है- हर व्यक्ति की यही मांग है, हमें तो तेजस्वी सरकार ही चाहिए. नीतीश की धड़कनें बढ़ने का एक कारण यह भी है कि बिना संख्या बल के राजद तेजस्वी सरकार बनाने का दावा क्यों कर रहा है?
कुछ घंटे पहले यह भी खबर आई थी कि मांझी का नंबर काम नहीं कर रहा है. लेफ्ट के एक वरिष्ठ नेता ने भी मांझी से मुलाकात की. वहीं, जेडीयू की बैठक में 2-3 विधायक नहीं पहुंचे. सूत्रों से पता चला है कि जेडीयू की बैठक में सुदर्शन कुमार सिंह, बीमा भारती और दिलीप राय शामिल नहीं हुए. फ्लोर टेस्ट से पहले आज एक और खेल!
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जदयू विधायकों की बैठक में दो-तीन विधायकों की अनुपस्थिति को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. उन्होंने कहा कि एनडीए में 128 विधायक हैं. हम बहुमत की स्थिति में हैं. हमारे सभी विधायक आज सदन में मौजूद रहेंगे. विश्वास मत से पहले स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आएगा. उन्होंने बताया कि नियमों के तहत अगर जरूरी हुआ तो 38 विधायक अपनी सीटों पर खड़े होकर प्रस्ताव का समर्थन करेंगे, जिसके बाद स्पीकर को नए स्पीकर के चुने जाने तक कार्यवाही का संचालन उपाध्यक्ष को सौंपना होगा.
दरअसल, विधानसभा के उपाध्यक्ष जदयू से महेश्वर हजारी हैं और विधानसभा अध्यक्ष राजद से अवध बिहारी चौधरी हैं. पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा जोरों पर थी कि बिहार में स्पीकर के जरिए कुछ खेल हो सकता है. आख़िर सदन में स्पीकर ही सर्वोच्च होता है.
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने गुस्से में कहा कि पार्टी की दो दिनों की मैराथन बैठक में सरकारी अधिकारियों का आना यह साबित करता है कि सरकार न सिर्फ जनादेश, बल्कि विश्वास भी खो चुकी है. ये राजद की बैठक है. बीजेपी कार्यशाला कर रही है, तो वह रासलीला है और राजद विधायकों के साथ बैठक कर रही है, तो चरित्र ढीला है. सरकार के लोग मजिस्ट्रेट भेजकर पता लगाते हैं कि कौन से विधायक अपने हैं या नहीं? लोकतंत्र में ये नहीं चलता.
राजद का हमला
लालू की पार्टी के पूर्व हैंडल पर कहा गया, ‘नीतीश कुमार ने सरकार खोने के डर से तेजस्वी जी के आवास को घेरने के लिए हजारों की संख्या में पुलिस भेजी है. वे किसी भी तरह से सदन में घुसकर विधायकों के साथ कुछ अप्रिय घटना करना चाहते हैं. बिहार की जनता नीतीश कुमार और पुलिस की करतूतों को देख रही है.’ बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले कई विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार पाला बदलने से जहां एक तरफ नीतीश कुमार की लोकप्रियता कम हुई है.