जी पी एम. सार्वभौम साइबर क्राइम के बीच जीपीएम पुलिस ने अच्छी पहल की है। जिले के पुलिस कप्तान फेस्टिव भावना गुप्ता ने आज जीपीएम पुलिस के फेसबुक पेज पर एक विशेष ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया। साइबर मदरसा में साइबर क्राइम और पैरेंटिंग को लेकर कंसल्टेंट और ट्रेनर डॉ. रक्षित मानक ने छात्रों से बातचीत के दौरान कई अहम विषयों पर चर्चा की। इस विशेष लाइव प्रशिक्षण सत्र में जिलों के कई आश्रमों, छात्रावासों और छात्रों के प्रमुखों को शामिल किया गया। सत्र 10 वर्ष से 18 वर्ष तक आयु वर्ग के विद्यार्थियों को ध्यान कराया गया।
साइबर कंसल्टेंट और ट्रेनर डॉ. रक्षित टेलर ने इस विशेष लाइव सत्र में साइबर वर्ल्ड में सर्फ़िंग के दौरान बच्चों से जुड़े चिह्न और सुरक्षित सर्फ़िंग टिप्स दिए। डॉ. के दौरान लाइव सत्र रक्षित होने के दिग्गज ने बच्चों से ऑनलाइन गेमिंग और मोबाइल गेम्स के दौरान हुई बातचीत के बारे में बताया। पहले उन्होंने बच्चों से पूछा कि कौन सा गेम प्लेयर हो। फिर उस गेम को गूगल प्ले स्टोर पर सबके सामने दिखाया गया तो सभी दंग रह गए। दरअसल, उस गेम के लिए एक आयु सीमा निर्धारित की गई थी, जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
प्ले स्टोर पर ऐसे कई सारे गेम्स हैं, जिनके बारे में पता चलता है। कुछ उदाहरण के लिए किसी भी वेबसाइट से एपीके फ़ाइल डाउनलोड करें। इस पर साइबर ट्रेनर ने कहा कि फ्री गेम्स के चक्कर में .apk फाइल डाउनलोड करने से बचना चाहिए। साइबर हाईजीन पर बात करते हुए उन्होंने सभी बच्चों से गेम खेलने के दौरान और डाउनलोड करने के लिए कई बार देखने वाले स्टीरेल वीडियो पर भी बात की और बच्चों के मन मस्तिष्क को मिलने वाली ऑनलाइन आइडिया पर भी ध्यान देने की सलाह दी।
बच्चों ने पूछा डॉ रक्षित टोनर से अहम सवाल
आत्मानंद इंग्लिश स्कूल सेजस से 8वीं की खोज और गौरेला मां कल्याणिका स्कूल से 11वीं की छात्रा छात्रा ने साइबर फिशिंग से बचने के तरीके के बारे में पूछा। साथ ही ऐसे ऐप्स, लिंक के बारे में पूछे गए किसी भी ऐप, लिंक का सेफ या खतरनाक पता चल सके। जिसके बाद डॉ. रक्षित टोनर ने बच्चों को बताया कि फिशिंग लिंक में कोई भी नहीं आया और भेजे गए.एपीके फ़ाइल से बचने के लिए इस ऐप और लिंक की जांच करने के लिए www.virustotal.com की जालकारी दी। ऑफ़लाइन स्क्रीन शेयर करते हुए कुछ फ़्रैंचाइज़ी लिंक के नोट्स और मालवेयर भी दिखाए गए। साथ ही www.sancharsthi.gov.in के बारे में भी बताया गया है। डायल 1930 की समीक्षा और www.cybercrime.gov.in पर इंटरव्यू करने और खुद को ट्रेनिंग देने के लिंक भी ऑनलाइन दिखाए गए हैं।
सेजस इंग्लिश इंग्लिश स्कूल के आठवीं के छात्र आर्यन ने पूछा, क्या हैकर्स मोबाइल या लैपटॉप का वेब कैमरा, फ्रंट कैमरा भी हैक कर सकते हैं। इस सनाल पर डॉ रक्षित टोनर ने बताया कि कुछ ऐसे हैकर्स हैं जो ऐसा करते हैं। इसलिए वेब कैमरा जब इस्तेमाल किया जाता है तब वेब कैमरा कवर नहीं होता है। वहीं कुछ ऑफ़लाइन उत्पादों को भी स्क्रीन पर साझा किया गया, जिससे वेब कैमरा कवर किया जा सकता है।