वीनस मिशन: वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीनस ऑर्बिटर मिशन) को मंजूरी दी गई। इस मिशन में मंगलयान की तरह शुक्र ग्रह पर भी एक ऑर्बिटर भेजा गया था, जो उसके उपग्रह, तापमान, सतह और मौसम आदि का अध्ययन करेगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इन लेक की जानकारी दी। नारियल की मंजूरी के बाद दुनिया की एक बार फिर नजर इसरो पर आ टिकी है।
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शुक्र ऑर्बिटर मिशन” (वीओएम) के लिए कुल निधि 1236 करोड़ रुपये है, जिसमें 824.00 करोड़ रुपये अंतरिक्ष यान पर खर्च होंगे। लागत में अंतरिक्ष यान का विकास और निर्माण शामिल है, जिसमें इसके विशिष्ट पेलोड और प्रौद्योगिकी तत्व, नेविगेशन और नेटवर्क के लिए वैश्विक ग्राउंड स्टेशन समर्थन लागत और साथ ही लॉन्च किए गए वाहनों की लागत शामिल है।
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वैज्ञानिक हो, यह मिशन भारत को भविष्य के संकेतों के मिशनों के लिए बड़े पैमाने पर पेलोड, तीर्थयात्रा के दृष्टिकोण के साथ सक्षम बनाता है। अंतरिक्ष यान और लॉन्च यान के विकास के दौरान भारतीय उद्योग की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। विभिन्न अभिलेखों की भागीदारी और छात्रों को पहले चरण से लॉन्च किए गए प्रशिक्षण प्रस्ताव की भी परिकल्पना की गई है जिसमें डिजाइन, विकास, परीक्षण, परीक्षण डेटा में कमी, अंशांकन आदि शामिल हैं। अपने अनू थे उपकरण के माध्यम से यह मिशन भारतीय विज्ञान समुदाय को नए और मूल्यवान विज्ञान डेटा प्रदान करता है और इस प्रकार उभरता है और नए अवसर प्रदान करता है।
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वीनस ऑर्बिट मिशन का क्या उद्देश्य है?
वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) का उद्देश्य वैज्ञानिक अध्ययन करना, शुक्र ग्रह के जीवाश्म, भूविज्ञान को बेहतर तरीके से और इसके ज्वालामुखीय समूहों की जांच करके बड़ी मात्रा में वैज्ञानिक सांख्यिकी तैयार करना है।
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पृथ्वी के सबसे निकट का ग्रह
यानी चंद्रमा और मंगल के बाद भारत के आभूषणों की दृष्टि अब शुक्र के लक्ष्य पर है। यह चंद्रमा और मंगल से शुक्र ग्रह की खोज और अध्ययन के लिए सरकार की दृष्टि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। शुक्र ग्रह पृथ्वी के सबसे निकट का ग्रह है और ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण पृथ्वी के समान ही हुआ था, यह संकेत एक अनोखा कार्य प्रदान करता है जिससे संकेत का वातावरण बहुत अलग तरीके से विकसित हो सकता है।
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