सुप्रीम कोर्ट ऑन बुलडोजर एक्शन: बुलडोजर एक्शन सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से स्पष्ट किया है। सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि संपत्ति में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को अपराध का आधार नहीं बनाया जा सकता। उस कथित अपराध को कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से अदालत में साबित किया जाना चाहिए। कोर्ट इस तरह की तोड़फोड़ की धमकियों से खबर नहीं रख सकता। कोर्ट आंख मूंद नहीं सकता. उस राष्ट्र में ये अकल्पनीय है जहां कानून सर्वोच्च है। टॉप कोर्ट ने ये बातें गुरुवार (12 सितंबर 2024) को गुजरात (गुजरात) के एक मामले की सुनवाई करते हुए कही।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह के अपराध में दोषी ठहराए गए संपत्ति का उद्घाटन करना कोई आधार नहीं है। घर के किसी एक सदस्य के लिए पूरे परिवार पर कब्जा करना और वैध मकान को गिराना गलत है। देश में कानून का शासन है। दो तरह के मामलों को विस्तृत कार्रवाई सही नहीं कहलाएगी।
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असली गुजरात के निर्णायक के एक व्यक्ति ने दावा किया था कि वह वैध तरीके से बने मकान को नगर पालिका में गिराना चाहता है। परिवार के एक सदस्य की पहचान के बाद ऐसा किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी करते हुए गुरुवार (12 सितंबर 2024) को नगर पालिका की कार्रवाई पर रोक लगा दी। अदालत ने सुनवाई के दौरान इसे लेकर तल्ख टिप्पणी भी की। प्रतिष्ठित हृषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि देश में कानून सर्वोच्च है। कोर्ट इस तरह की कार्रवाई पर नजर नहीं मूंद सकता. ऐसी कार्रवाई को देश के कानून पर बुलडोजर के रूप में देखा जा सकता है।
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ये है पूरा मामला
गुजरात के अछूते जिलों में रहने वाले गहरी घाटी अली आबमिया सैय्यद ने दावा किया है कि उनके एक पुश्तैनी घर को कठलाल नगर में गिराने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि वह वैध हैं। उनका कहना है कि 2 सितंबर 2024 को उनके भाई के खिलाफ यौन उत्पीड़न और हमलों के आरोप में एक आरोपी दर्ज हुआ। इसके चार दिन बाद यानी 6 सितंबर 2024 को कटहलाल नगर पेलेग ने उन्हें एक नोटिस भेजा, जिसमें उनके घर पर गिरी हुई बात कही गई थी।
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‘पूरे परिवार को सज़ा देना सही नहीं’
सैय्यद ने अपनी अर्जी में तर्क दिया कि मकान गिराने का उद्देश्य परिवार के एक सदस्य पर लगाए गए आपराधिक भत्ते के लिए पूरे परिवार को सौंपना है। गुरुवार की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”किसी अपराध में आरोपित संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं है।” ऐसे देशों में जहां राज्य के कार्य कानून के शासन की ओर से होते हैं, घर के किसी सदस्य की ओर से अपराध के लिए पूरे परिवार को इकट्ठा करना और वैध मकान को गिराना सही नहीं है। सभी मेटल्स को सुनने के बाद प्रियंका ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने के लिए संबंधित अधिकारियों से एक महीने की पूछताछ की। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि इस बीच की संपत्ति के संबंध में सभी संबंधित स्टार्स की ओर से संपत्ति की स्थिति बनाई जानी चाहिए।
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गुजरात सरकार की अधिसूचना जारी
कोर्ट ने परिवार के एक सदस्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने पर साझे का परिवार घर ढहाए जाने की जोखिम भरी याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए संपति पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। दसवें दिन में यह दूसरा मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने किसी मुद्दे के घर बुलडोजर चलाने को लेकर ऐसी टिप्पणी की है।
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